2.1 लेखापरीक्षा उद्देश्य
आईसीडी तथा सीएफएस के कार्यचालन की निष्पादन लेखापरीक्षा को उस सीमा का निर्धारण करने के लिए इस उद्देश्य के साथ लिएा गया था जिसके लिए कार्गो के कंटेनरीकृत आवागमन के माध्यम से आईसीडी तथा सीएफएस भारत के विदेश व्यापार को सुविधाजनक बनाने के योग्य है। लेखापरीक्षा उद्देश्य निम्नलिखित थे:
आईसीडी तथा सीएफएस की स्थापना तथा समापन की प्रक्रियाओं की जांच करने के लिए : लेखापरीक्षा ने यह जांच की कि क्या प्रक्रियाएं वर्णित नीतियों के अनुरूप थी तथा क्या प्रक्रियाएं नीति उद्देश्यों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाती है। लेखापरीक्षा ने इस उद्देश्य के साथ नीति को लागू करने के लिए स्थापित तंत्र की जांच भी यह निर्धारण करने के लिए की कि क्या तंत्र सरकारी नीतियों में परिकल्पित रूप में आईसीडी तथा सीएफएस के माध्यम से सम्भार तन्त्र अवसंरचना के सृजन में सहायता कर रहे थे।
व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए कंटेनरीकृत कार्गो प्रबंधन तथा सीमाशुल्क निकासी सुविधाएं प्रदान करने में आईसीडी तथा सीएफएस के निष्पादन का निर्धारण करने के लिए : लेखापरीक्षा ने यह जांच की कि क्या आईसीडी तथा सीएफएस सीमाशुल्क कार्गो के संबंधित प्रबंधन के विभिन्न विनियमों तथा अधिसूचनाओं में वर्णित अनुसार कार्गो प्रबंधन अवसरंचना प्रदान करने तथा माल की सुरक्षा करने में सक्षम थे।
आईसीडी तथा सीएफएस के परिचालन के लिए विनियामक ढ़ांचे की जांच करने के लिए : लेखापरीक्षा ने यह जांच की कि क्या ढ़ांचे का अनुपालन किया जा रहा है, क्या ये सरकारी राजस्वों का सरंक्षण करने के लिए पर्याप्त थे तथा क्या आन्तरिक लेखापरीक्षा सहित एक उपयुक्त आंतरिक नियंत्रण तंत्र था जो अनुपालन को बढ़ावा देता है, दुरूपयोग से बचाता है तथा मॉनीटरिंग और आईसीडी तथा सीएफएस के परिचालन में सम्मिलित सीमा शुल्क तथा अन्य संबंधित इकाइयों के बीच समन्वय को बढ़ाता है।
2.2 लेखापरीक्षा कार्यक्षेत्र, नमूना, लेखापरीक्षा कार्यप्रणाली तथा लेखापरीक्षा मानदंड
2.2.1 लेखापरीक्षा कार्यक्षेत्र
निष्पादन लेखापरीक्षा में 2012-13 से 2016-17 तक की पांच वर्षीय अवधि के सव्यवहारों को कवर किया गया। लेखापरीक्षा में सम्बंधित मंत्रालयों तथा उनके क्षेत्रीय कार्यालयों को कवर किया गया जिसमें वाणिज्य मंत्रालय तथा राजस्व विभाग/ सीबीईसी, सीमा शुल्क क्षेत्रीय कार्यालयों तथा आईसीडी तथा सीएफएस के अभिरक्षक सम्मिलित किए गए।
2.2.2 नमूना
लेखापरीक्षा में इस निष्पादन लेखापरीक्षा के लिए 103 कमिश्नरियों में से 35 कमिश्नरियों के तहत 44 आईसीडी (38 कार्यशील तथा 6 बंद/अकार्यशील) तथा 41 सीएफएस का चयन किया गया (परिशिष्ट II).
i) आईसीडी का चयन
एक दो स्तरीय चयन कार्यप्रणाली अपनाई गई।
प्रथम स्तर पर- आईसीडी के लिए डाटा3 जैसे निर्यात एवं आयात का मूल्य तथा मात्रा, आईसीडी का उपयोग करने वाले आयातकों, निर्यातकों की संख्या तथा उत्पाद प्रोफाईल का उपयोग करके एक अखिल भारतीय जोखिम मैट्रिक्स बनाई गई। जोखिम भारित स्कोर पर आधारित अखिल भारतीय रैंकिं ग को परिभाषित किया गया। जोखिम भारित सूची में शीर्ष छ: आईसीडी4 का चयन लेखापरीक्षा के लिए अनिवार्य रूप से किया गया।
द्वितीय स्तर पर- 3-6 तथा 3 से कम के बीच जोखिम भारित स्कोर वाले आईसीडी की क्षेत्रीय कार्यालय वार सूची को संकलित किया गया। डाटा पुन: प्रस्तुतीकरण के लिए डाटा विश्लेषक तथा टैबल्यू सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके , प्रत्येक आईसीडी के लिए आईसीडी वार जोखिम प्रोफाइल बनाया गया।
अधिकतम 3 आईसीडी तक प्रत्येक क्षेत्रीय (लेखापरीक्षा) कार्यालयों के लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकार के तहत कम से कम 50 प्रतिशत आईसीडी का चयन किया गया। इसके अतिरिक्त तथा जहां पर भी लागू हो, क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा चयनित नमूने में कम से कम एक आईसीडी शामिल था जिसे लेखापरीक्षा अवधि के दौरान बन्द किया गया था तथा लेखापरीक्षा अवधि के दौरान कम से कम एक नया आईसीडी ढ़ांचा था।
ii) सीएफएस का चयन
चूंकि सीएफएस के माध्यम से प्रबंधित आयात तथा निर्यात मात्रा/मूल्य का अखिल भारतीय डाटा उपलब्ध नहीं था, अत: नीचे दिए मानदंड के आधार पर क्षेत्रीय कार्यालयों ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आने वाले 50 प्रतिशत सीएफएस का चयन किया।
- चयन का मानदंड प्रबंध किए गए कार्गो की मात्रा/मूल्य, चोरी, उठाईगीरी, भ्रष्टाचार के प्रमुख जोखिम, प्रबंध किए गए कार्गो की प्रकृति विशेष रूप से यदि खतरनाक तथा संवेदनशील वस्तुओं को प्रबंधित किया जाता हो, को दर्शाने वाली पिछली लेखापरीक्षा आपत्तियों तथा अन्य सुसंगत सूचना पर आधारित था।
- लेखापरीक्षा के लिए चयनित आईसीडी से सम्बधित सभी सीएफएस का चयन अनिवार्य रूप से किया गया।
- लेखापरीक्षा के लिए चयनित कुल नमूना आकार 6 प्रति कार्यालय से अधिक नहीं था।
2.2.3 लेखापरीक्षा कार्य-प्रणाली
इस लेखापरीक्षा को भारत के सीएजी द्वारा यथा निर्धारित निष्पादन लेखापरीक्षा मानकों तथा दिशा-निर्देशों का उपयोग करके किया गया है।
उपरोक्त अनुसार नमूने के चयन में तथा अध्याय 1 में सूचित अनुसार डाटा से आने वाली प्रमुख प्रवृतियों पर रिपोर्ट के लिए डाटा विश्लेषण को परिनियोजित किया गया।
लेखापरीक्षा कार्य-प्रणाली में फाइलों की डैस्क समीक्षा, डाटा का संग्रहण तथा डाटा विश्लेषण,आगम बिल (बीई)/लदान बिल (एसबी) आधारित संव्यवहारों की नमूना जांच, आईसीडी तथा सीएफएस के परिसरों की सरसरी तथा भौतिक जांच, सूचना आधारित प्रश्नावली तथा 2012-13 से 2016-17 तक की 5 वर्षों की अवधि के लिए उपयोगकर्त्ताओं तथा सेवा प्रदाताओं का सर्वेक्षण सम्मिलित था।
लेखापरीक्षा उद्देश्यों तथा लेखापरीक्षा के कार्यक्षेत्र की चर्चा करने के लिए 7 जुलाई 2017 को राजस्व विभाग (डीओआर) (सीबीईसी), वाणिज्यिक विभाग (डीओसी), कान्कॉर तथा आईसीडी तुगलकाबाद से सीमाशुल्क अधिकारियों के साथ एन्ट्री कान्फ्रेंस आयोजित की गई। लेखापरीक्षा निष्कर्षों तथा सिफारिशों पर 7 फरवरी 2018 को आयोजित एग्जिट कान्फ्रेंस में डीओआर तथा डीओसी के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई।
2.2.4 मानदंड
लेखापरीक्षा ने सीमा शुल्क अधिनियम 1962, सीमाशुल्क टैरिफ अधिनिमय 1975, परियोजना आयात विनियम, 1986, सीबीईसी की विधि नियम पुस्तक, सीबीईसी की सीमाशुल्क नियम पुस्तक, आयातित माल के पोतांतरण की शर्तें विनियम 1995, सीमाशुल्क क्षेत्र में कार्गो का प्रबंधंन विनियमावली 2009, खतरनाक तथा अन्य अपशिष्ट (प्रबंधंन तथा ट्रांस-बाउंड्री आवागमन) नियमावली, 2016 के सुसंगत प्रावधानों तथा सीबीईसी के परिपत्रों और अधिसूचनाओं जिन्हें समय-समय पर जारी किया गया तथा जो निष्कर्षो के बेंचमार्क के लिए मानदंड के रूप में लेखापरीक्षा अवधि के दौरान लागू थे, का उपयोग किया।