अध्याय
अध्याय

3.1 आईसीडी/सीएफएस को स्थापित करने के लिए तंत्र का अभाव

वाणिज्य विभाग (डीओसी)आईसीडी, सीएफएस और वायु मालभाड़ा स्टेशन (एएफएस) से संबंधित अवसंरचना विकास को समर्थित करने के लिए एक नोडल विभाग है,और यह अंतर विभागीय मुददों के प्रस्तावों का समन्वय करता है। आईएमसी को आईसीडी, सीएफएस और एएफएस की स्थापना के प्रस्तावों हेतु एकल विंडो मंजूरी के रूप में कार्य करने के लिए मार्च 1992 में वाणिज्य मंत्रालय के प्रस्ताव द्वारा गठित किया गया था।

आईएमसी के विचारार्थ विषय में नये आईसीडी/सीएफएस के अनुमोदन के लिए मापदंड और दिशा-निर्देश निर्दिष्ट करना शामिल है। आईएमसी द्वारा प्रस्तावों के अनुमोदन और डीओसी द्वारा आशय पत्र (एलओआई) जारी करने के बाद, एक बार आवश्यक अवसंरचना सुविधाओं का निर्माण हो जाने पर आईसीडी/सीएफएस/एएफएस को कार्यात्मक बनाने के लिए सीमा शुल्क विभाग द्वारा आवश्यक अनुमतियां, ईडीआई नोडस और सीमा शुल्क कर्मचारी प्रदान किये जाते है।

लेखापरीक्षा ने देखा कि आईसीडी/सीएफएस/एएफएस की स्थापना के लिए दिशानिर्देशों के दो सेट डीओसी की वेबसाईट पर उपलब्ध थे। तथापि, किसी भी दिशानिर्देशों में अधिसूचना या ज्ञापन का उल्लेख नहीं है जिसके माध्यम से उन्हें औपचारिक रूप दिया गया या जिस तिथि से ये प्रभावी हुए।

डीओसी ने अपने उत्तर में कहा (जनवरी 2018) कि संशोधित दिशा निर्देश अपलोड करते समय, एनआईसी द्वारा वेबसाइट से पुराने दिशानिर्देशों को गलती से नहीं हटाया गया। 19 सितम्बर 2017 को आयोजित आईएमसी बैठक जिसमें संशोधित दिशानिर्देश अपनाए गए थे, के कार्यवृत वाला कार्यालयी ज्ञापन (ओएम) विभागीय वेबसाइट commerce.gov.in पर पृथक रूप से उपलब्ध था। उन्होंने यह भी कहा कि दिशानिर्देश बनाने के लिए पृथक अधिसूचना अथवा ज्ञापन की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि इन्हें आईएमसी के संदर्भ के अनुसार बनाया गया है।

यद्यपि डीओसी ने कहा कि पृथक अधिसूचना की आवश्यकता नहीं थी, तथापि उनका जवाब आईसीडी/सीएफएस की स्थापना, कार्यकारिणी तथा मॉनीटरिंग के उद्देश्य तथा प्रयोजन को वर्णित करने वाले तंत्र के अभाव के मूल मामले को संबोधित नहीं करता।

मौजूदा दिशा-निर्देशों में अनुमोदन देते समय अनुसरित होने वाले उपायों की जांच सूची वर्णित की गई जो अधिक प्रक्रियात्मक प्रकृति के हैं तथा इसमें उन सिद्धांतों तथा उद्देश्यों का वर्णन करने वाला कोई नीति दस्तावेज अथवा कार्यढ़ांचा नहीं है जोकि प्रस्तावों का मूल्यांकन करने में आईएमसी सदस्यों की सहायता करेगा।

इसके अलावा, सेक्टर को अनियमित छोड़ते हुए आईएमसी अथवा इसके संविधानी मंत्रालयों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया से अधिक कोई भूमिका तथा उत्तरदायित्व वर्णित नहीं किए गए है।

लेखापरीक्षा उन कानूनों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहती है जोकि मेजर तथा नॉन मेजर पोर्टों तथा भूमि पोर्टों से संबंधित है जो ऐसे पोर्टों की स्थापना के लिए तंत्र का प्रावधान करते हैं, एक प्रशासनिक ढ़ॉंचे का निर्धारण करते है तथा एक नियामक तंत्र उपलब्ध कराते हैं।

इसके अतिरिक्त, लेखापरीक्षा ने देखा कि वेबपेज (http://commerce.nic.in/trade/ national tpa guidelines.asp और www.commerce.nic.in) पर दिशा निर्देशों के दो सेट उपलब्ध थे जो इस सूचना के संबंध में किसी अधिसूचना अथवा ज्ञापन के बिना थे कि दोनों में से कौन सा सेट किस तिथि से लागू हुआ है।

3.2 देश में आईसीडी और सीएफएस की संख्या और स्थिति पर विश्वसनीय आंकड़ों की कमी

देश में आईसीडी और सीएफएस को स्थापित करने के लिए नोडल ऐजेन्सी होते हुए, डीओसी को आईसीडी और सीएफएस के परिचालन और स्थापना से संबंधित सभी मूल आकंड़ेों जैसे कि उनकी संख्या,स्थान, परिचालन स्थिति,(अर्थात क्रियाशील या बन्द) संस्थापित क्षमता, परिचालन क्षमता के अनुसार निष्पादन आदि का संग्राहक होना अपेक्षित है। परियोजना क्षेत्र में मौजूदा आईसीडी/सीएफएस की संख्या और निष्पादन के संदर्भ में प्रस्तावित आईसीडी/सीएफएस योजना की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए यह डाटा अनिवार्य है और इसलिए ये योजना अनुमोदन प्रक्रिया में आईएमसी के लिए बहु मूल्य इनपुट के रूप में सेवा कर सकते है।

डीओसी को 1992 में आईएमसी की स्थापना से पहले और बाद में स्थापित किए गए आईसीडी और सीएफएस पर डाटा उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया था (जुलाई 2017)। डीओसी ने आईएमसी की स्थापना के बाद क्रियाशील होने वाले 236 आईसीडी और सीएफएस की एक सूची उपलब्ध कराई और बताया (जुलाई 2017) कि 1992 से पहले स्थापित आईसीडी और सीएफएस का डाटा उनके पास नहीं है लेकिन सीबीईसी के पास ऐसा डाटा हो सकता है। सीबीईसी से उपरोक्त आकंड़ेे उपलब्ध कराने हेतु निवेदन (जुलाई 2017) किया गया था, लेकिन अभी तक (फरवरी 2018) कोई सूचना प्रेषित नहीं की गई है।

1992 में आईएमसी के सृजन से पूर्व स्थापित किए गए सहित देश में कार्यकारी आईसीडी तथा सीएफएस की संख्या के संदर्भ में व्यापक डाटा संग्रहित करने के प्रयास में, लेखापरीक्षा ने इंटरनेट5. पर सार्वजनिक हित में उपलब्ध सूचना सहित सूचना के अन्य स्रोतों की सहायता ली। यह पाया गया कि इस सूचना में आईसीडी/सीएफएस का केवल पश्च 1992 डाटा निहित था तथा इस प्रकार यह अपूर्ण था।

इसलिए, लेखापरीक्षा ने स्थानीय सीमा शुल्क कार्यालयों से उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत विभिन्न आईसीडी और सीएफएस के विवरण हेतु संपर्क किया, जिसकी 30 जून 2017 को डीओसी के आकंड़ेों के साथ तुलना में कई विसंगतियों का पता चला जो निम्न तालिका के रूप में है:

तालिका 1
आईसीडी और सीएफएस की स्थिति के संबंध में डाटा में विसंगतियां
आईसीडी/सीएफएस डीओसी के अनुसार स्थिति स्थानीय सीमाशुल्क कमिश्नरियों के अनुसार स्थिति रिपोर्ट का संदर्भ विवरण सं.
आईसीडी (9): पवारखेडा (कृभको-हजीरा) सूरत, देसूर, मैथीलाकाम, भदोही, जीपीआईएल मंडीगोबिन्दगढ़, पीएसडब्ल्यूसी भटिंडा, भीलवाड़ा, भिवाड़ी सीएफएस (6): विक्रम लोजिस्टिक हसन; विक्रम लोजिस्टिक कारवार, सी टेक सर्विसेज; एरनाकुलम; कोनकोर वेलिंगटन आईलेंड; कोच्ची; पीएसीई अरूर क्रियाशील अक्रियाशील 1
आईसीडी (3): सूरजपुर; वाराणसी; उदयपुर सीएफएस (1): सीडब्ल्यू; हल्दिया क्रियाशील बन्द 2
आईसीडी (8): दीघी; नासिक; वालूज; औरंगाबाद; वेरना;गोवा; कोट्टायम; जीवीआईएल मंडीगोबिन्दगढ़, पीएसडब्ल्यूसी भटिंडा सीएफएस आईसीडी 3

स्रोत : स्थानीय सीमाशुल्क आयुक्तालयों द्वारा प्रस्तुत डाटा

डीओसी द्वारा अनुरक्षित आकंड़ेों से,1992 के बाद स्थापित आईसीडी औरसीएफएस के संबंध में यह देखा गया कि, गलत रिपोर्टिंग तथा स्थिति के गैर-अद्यतन के कम से कम 27 मामले थे (विवरण 1, 2 और 3) । इसके अलावा एमओसीआई की वेबसाईट (www.imcdryports.commerce.gov.in/home.php) पर यथा प्रदर्शित आईसीडी/सीएफएस की राज्यवार गिनती चित्रित करने वाले मानचित्र में नागालैंड में आठ क्रियाशील आईसीडी दर्शाए गए हैं, हालांकि क्षेत्राधिकार सीमाशुल्क कमिश्नरी (शिलांग) के अनुसार वहां ऐसी कोई इकाई मौजूद नहीं है। इसके अलावा क्षेत्राधिकार सीमाशुल्क द्वारा आईसीडी के रूप में आठ इकाई बताई गई हैं लेकिन उन्हें डीओसी के आकंड़ेो में सीएफएस के रूप में सूचित किया जा रहा है।

लेक्षापरीक्षा ने देखा कि यद्यपि डीओसी के दिशानिर्देश आईसीडी और सीएफएस से तिमाही प्रगति रिपेार्ट (क्यूपीआर) भेजने की अपेक्षा करते है, ऐसी कोई तिमाही प्रगति रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही थी। लेखापरीक्षा ने पाया कि लेखापरीक्षा नमूना जांच के दौरान 85 में से केवल चार6 आईसीडी/सीएफएस डीओसी को तिमाही प्रगति रिपोर्ट भेज रहे थे।

हालांकि डीओसी ने बताया है कि उन्होंने डिवलपर्स के यातायात विवरण सीधे डीओसी को उपलब्ध करवाने के लिए अनुस्मारक भेजे है, डीओसी की फाइलों में ऐसे कोई अनुस्मारक पाए नहीं गए।

इस प्रकार, यह देखा गया कि देश में आईसीडी और सीएफएस की स्थापना और क्रियाशीलता से सम्बंधित नोडल मंत्रालय के पास देश में क्रियाशील आईसीडी और सीएफएस की संख्या और स्थिति पर विश्वसनीय डाटा नहीं है।

डीओसी ने अपने उत्तर (जनवरी 2018) में कहा कि विभाग आईसीडी/सीएफएस/ एएफएस का डाटाबेस अनुरक्षित करता है जिसके लिए आईएमसी ने सुविधा बनाने तथा सीमाशुल्क प्राधिकरणों के तहत परिचालन करने के लिए एलओआई प्रदान की है। आईएमसी के संदर्भ के अनुसार, आईसीडी अथवा सीएफएस द्वारा अपना परिचालन प्रारम्भ करने के पश्चात आईएमसी की कोई भूमिका नहीं होती तथा इसे सीमाशुल्क अधिनियम तथा सीमा शुल्क क्षेत्र विनियम में कार्गो की हैंडलिंग (एचसीसीएआर) 2009 के प्रावधानों द्वारा शासित किया जाता है। परिचालनात्मक डाटा सीमाशुल्क के पास उपलब्ध है जिसके क्षेत्राधिकार के तहत आईसीडी/सीएफएस परिचालन करता है तथा जब भी आवश्यक हो वह यहीं उसकी स्वयं की सतर्कता के पश्चात् आईएमसी को प्रदान करता है।

उसके अलावा, लेखापरीक्षा द्वारा प्रदर्शित विसंगतियों के संदर्भ में डीओसी ने कहा कि यह डीओसी तथा सीमाशुल्क और डीओसी के क्षेत्रीय कार्यालयों से प्राप्त डाटा के संदर्भ में लेखापरीक्षा द्वारा शब्द ‘‘कार्यशील’’ का गलत अर्थ लेने की वजह से है। यह कहा गया कि लेखापरीक्षा अवलोकन के संदर्भ में, इसे अर्थ स्पष्ट करने के लिए ‘‘एफ=परिचालन आरम्भ किए गए’’ के रूप में संशोधित किया गया है। डीओसी ने यह भी सूचित किया कि लेखापरीक्षा अभ्युक्तियों के मद्देनजर आईसीडी/ सीएफएस/ एएफएस से संबंधित डाटा स्पष्टीकरण और अद्यतन के लिए सीबीईसी को भेज दिया गया है और उनसे सूचना की प्राप्ति पर इसे अद्यतित कर दिया जाएगा। नागालैण्ड में आईसीडी के गलत चित्रण के संदर्भ में डीओसी ने बताया कि ऑनलाइन मॉडयूल पर मैप का विकास किया जा रहा था और उक्त को यथोचित सुधार के पश्चात विकसित कर दिया गया।

डीओसी की यह प्रतिक्रिया स्वीकार्य नहीं है कि आईसीडी/सीएफएस द्वारा प्रचालन शुरू होने के पश्चात आईएमसी की कोई् भूमिका नहीं हैं। आईसीडी/सीएफएस अनुमोदनों हेतु नोडल एजेंसी होने के नाते, उनसे देश में उन सभी आईसीडी और सीएफएस पर व्यापक डाटाबेस के संरक्षक होने की अपेक्षा की जाती है जो अनुमोदित है, कार्यरत है और जो बन्द भी हो चुके है। सीमाशुल्क अधिनियम और सीमाशुल्क क्षेत्र विनियमावली में कार्गों की हैंडलिंग के प्रावधान आईसीडी/सीएफएस के प्रचालनों को मॉनीटर करने के लिए स्वयं पर्याप्त नहीं हो सकते क्योंकि यह इन यूनिटों की परिचालनात्मक निष्पादन की मॉनीटरिंग की बजाय सरकारी राजस्व और सीमाशुल्क नियंत्रणों की सुरक्षा के लिए हैं।

आईसीडी की ‘‘कार्यशील’’ स्थिति से ‘‘परिचालन आरम्भ’’ में आशोधन के संबंध में डीओसी की प्रतिक्रिया व्याख्यात्मक मुद्दों का समाधान कर सकती है, फिर भी यह इस समस्या का समाधान नहीं करती कि कई कार्यकारी/परिचालित/बन्द आईसीडी तथा सीएफएस पर डाटा के एकमात्र विश्वसनीय स्रोत की कमी है। यद्यपि डीओसी आईसीडी/सीएफएस द्वारा प्रस्तुति हेतु अपेक्षित क्यूपीआर से देश में आईसीडी/सीएफएस की कार्यात्मक स्थिति पर डाटा रखरखाव की स्थिति में था फिर भी इसने उनसे डाटा की प्रस्तुति और संग्रहण सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए। इसके अलावा लेखापरीक्षा नागालैण्ड में आईसीडी की स्थिति के संबंध में उत्तर की जांच नहीं कर सका, क्योंकि यूआरएल जिसमें अद्यतित मानचित्र अपलोड किया गया था, को उपलब्ध नहीं कराया गया है (फरवरी 2018)।

3.3सृजित और प्रयुक्त क्षमता निर्धारण के बिना नए आईसीडी और सीएफएस की स्थापना के लिए अनुमोदन

आईसीडी और सीएफएस की स्थापना कन्टेनरीकृत कार्गो के प्रहस्तन के लिए अवसंरचना के निर्माण और पत्तनों में भीड़ कम करने में सहायता करने और आयातकों और निर्यातकों के दरवाजे तक सीमाशुल्क निकासी की सुविधा प्रदान करने के अतिरिक्त देश के विदेश व्यापार को सुगम करती है।

लेखापरीक्षा ने देखा कि डीओसी अनुमोदन प्रदान करने के लिए आईसीडी और सीएफएस की संस्थापित क्षमता पर कोई डाटा नहीं मांगता है। आईसीडी और सीएफएस की स्थापना के लिए निर्धारित आवेदन प्रपत्र से यह देखा जाता है कि यह सूचना योजना डिवलपर्स से नहीं मांगी जाती है और उनके लिए केवल उस क्षेत्र के आयात/निर्यात यातायात तथ्यों को प्रस्तुत करना अपेक्षित है जहां वे स्थापित किये जा रहे है।

चूंकि मंत्रालय स्तर पर सृजित क्षमता और प्रयुक्त क्षमता पर डाटा उपलब्ध नहीं था, इसलिए लेखापरीक्षा ने लेखापरीक्षा के लिए चयनित आईसीडी और सीएफएस से यह सूचना एकत्रित करने की मांग की है। लेखापरीक्षा के लिए चयनित 85 आईसीडी और सीएफएस में से केवल 51 ऐसे आईसीडी तथा सीएफएस पर क्षमता उपयोग डाटा लेखापरीक्षा के लिए स्थानीय कमिश्नरियों द्वारा उपलब्ध कराए गये थे (विवरण 4) जो कि नीचे चित्रित है:

चित्र 14 : 51 लेखापरीक्षित आईसीडी / सीएफएस पर 5 वर्षीय औसत क्षमता उपयोग (2012-17)

स्रोत: स्थानीय सीमाशुल्क कमिश्नरी द्वारा प्रस्तुत डाटा

  • यह देखा गया कि करीब चालीस प्रतिशत आईसीडी और सीएफएस अपनी स्थापित क्षमता के आधे से भी कम पर परिचालन कर रहे थे, और अन्य एक तिहाई अपनी क्षमता के 50 से 75 प्रतिशत के मध्य परिचालन कर रहे थे। महाराष्ट्र में लेखापरीक्षित दस इकाईयों में से, केवल नौ इकाईयों (चार आईसीडी और पांच सीएफएस) के लिए क्षमता उपयोग डाटा उपलब्ध था, जो यह दर्शाता है कि एक (आईसीडी बूटीबोरी) अक्रियाशील हो गई थी, सात कम उपयोगी7 थी और केवल एक (नवकार कारपोरेशन सीएफएस) अपनी संस्थापित क्षमता से अधिक कार्य कर रही थी (104 प्रतिशत)। पूणे में, चार आईसीडी (तालेगांव, दिघी, चींचवाड और पिम्परी) 50 किमी. के त्रिज्या के भीतर कार्य कर रहीं थी और इनमें से श्रेष्ठ निष्पादन आईसीडी, तालेगांव, का था जो केवल 31.73 प्रतिशत (औसत 5 वर्ष) के क्षमता उपयोग के साथ कार्य कर रहीं थी जबकि अन्य तीन का क्षमता उपयोग 7 प्रतिशत से भी कम था (आईसीडी दिघी-6.21 प्रतिशत, आईसीडी चिंचवाड़ 6.64 प्रतिशत,आईसीडी पिम्परी -3.46 प्रतिशत)। इस कम क्षमता उपयोग के बावजूद भम्बोली, चकन, पूणे पर एक और आईसीडी की स्थापना के लिए नवम्बर 2016 में एपीएम टर्मिनल्स प्रा. लि. को एलओआई दिया गया था।
  • इसीप्रकार,यह देखा गया कि यद्यपि कोलकाता पोर्ट से लगे हुए पांच सीएफएस का क्षमता उपयोग 2016-17 के दौरान उनकी संयुक्त प्रहस्तन क्षमता का केवल 73.5 प्रतिशत था (2.74 लाख टीईयू में से 2.01) (विवरण-5) परन्तु मार्च 2017 से एक नये सीएफएस8 (विवरण 5) में परिचालन आरम्भ करने की अनुमति दी गई थी। नये सीएफएस के परिचालन होने के तुरन्त बाद, मौजूदा सीएफएस, अर्थात सीडब्ल्यूसी, कोलकाता द्वारा प्रहस्तित मात्राओं में नए सीएफएस द्वारा प्रहस्तित मात्राओं के लगभग समान अनुपात में गिरावट आई। निम्न तालिका नये सीएफएस में परिचालन होने के बाद दो सीएफएस की तुलनात्मक मात्राओं को दर्शाती है:
    तालिका 2
    कोलकाता पोर्ट से लगे सीएफएस का क्षमता उपयोग
    माह सीडब्ल्यूसी सीएफएस कोलकाता द्वारा प्रहस्तित कार्गो (टीईयू) नये सीएफएस द्वारा प्रहस्तित कार्गो(टीईयू)
    जनवरी 2017 5,287 परिचालन नहीं
    फरवरी 2017 5,167 परिचालन नहीं
    मार्च 2017 5,503 परिचालन नहीं
    अप्रैल 2017 1,559 2,875
    मई 2017 845 5,012
    जून 2017 203 6,435
    जुलाई 2017 12 6,768

    स्रोत: स्थानीय सीमाशुल्क कमिश्नरी द्वारा प्रस्तुत आकंड़े

    इस प्रकार, मौजूदा सीएफएस, जहां प्रहस्तन क्षमता का पहले ही कम उपयोग किया गया था, के समीप अन्य सीएफएस की स्थापना से गेटवे पोर्ट पर भीड़ कम करने का अतिरिक्त लाभ उपलब्ध नहीं हो सका। दूसरी ओर, इसके कारण मौजूदा और उच्च निष्पादन सीएफएस से कारोबार एक नई सीएफएस में विस्थापित हो गया, इसलिए उसके व्यापार को बुरे तरीके से प्रभावित किया। इसके बाद यह देखा गया कि पोर्ट पर एक और सीएफएस की स्थापना के लिए अक्टूबर 2016 में अन्य एलओआई जारी9 किया गया जिसके कारण कोलकाता पोर्ट पर सीएफएस में और वृद्धि हुई।
  • कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अन्तर्गत हल्दिया डोक कोम्पलेक्स (एचडीसी) में लेखापरीक्षा ने देखा कि एचडीसी की स्थापित क्षमता (2.5 लाख टीईयू) थी जबकि इसकी मौजूदा कार्गो हैंडलिंग मांग 1.36 लाख टीइयू थी और 2017-18 के लिए अनुमानित भावी कार्गो हैंडलिंग मांग 1.5 लाख टीइयू तक थी। 2016-17 के दौरान स्वयं पोर्ट के पास इसकी अतिरिक्त क्षमता की उपलब्धता के कारण इससे लगे चार सीएफएस का क्षमता उपयोग केवल 15.5 प्रतिशत था।
  • जेएनपीटी मुम्बई में,जेएनपीटी मुम्बई के आसपास 27 सीएफएस में से 13 में क्षमता उपयोग10 2012 में 60-65 प्रतिशत के बीच होना सूचित किया गया था जबकि चैन्नै पोर्ट में 2012 में 29 सीएफएस में से 16 में क्षमता उपयोग 56 प्रतिशत के बीच होना सूचित किया गया था। आईएमसी ने 2012-17 की अवधि के दौरान महाराष्ट्र में दस और तमिलनाडु में बारह और आईसीडी/सीएफएस (चैन्नै में छ: सहित) स्थापित करने का अनुमोदन किया इसके परिणामस्वरूप इन राज्यों में आईसीडी/सीएफएस का और प्रसार हुआ।

जहां पहले ही कम उपयोग ईकाईयां मौजूद थी, वही आईसीडी/सीएफएस स्थापित करने के लिए प्रदान किए गए अनुमोदनों की संख्या और उपरोक्त क्षमता उपयोग सांख्यिकी यह दर्शाती है कि ऐसे अनुमोदन बिना उपयुक्त आवश्‍यकता और/या प्रभाव विश्लेषण के प्रदान किये गये थे और परिणामस्वरूप मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, हल्दिया और पुणे जैसे क्षेत्रों में कम निष्पादन वाले आईसीडी/सीएफएस का प्रसार हुआ था।

अनुमोदन प्रक्रिया की संवीक्षा से ज्ञात हुआ कि यद्यपि आईएमसी निर्धारित एमओसी दिशा-निर्देशों के अनुसार तथा क्षेत्राधिकारी सीमा शुल्क आयुक्त और संबंधित पोर्ट प्राधिकारी द्वारा प्रस्तुत की गई टिप्पणियों के आधार पर अनुमोदनों की जांच एवं संस्वीकृत करती है।ये दिशा निर्देश न तो यह मानदंड निर्धारित कर रहे है कि पोर्ट/न्यायक्षेत्र सीमाशुल्क प्राधिकारी को अपनी टिप्पणियां देते समय क्या ध्यान रखना चाहिए न ही यह कि आईएमसी को आईसीडी/सीएफएस की स्थापना हेतु प्रस्तावों की जांच हेतु क्या मानदंड ध्यान रखने चाहिए। इसके अतिरिक्त, जैसा कि उपर यह बताया गया है, कि निर्दिष्ट आवेदन प्रपत्र में परियोजना क्षेत्र में पहले से ही स्थित आईसीडी/सीएफएस की मौजूदा और वास्तविक क्षमता उपयोगिता पर किसी डाटा की मांग नहीं की जाती यद्यपि, यह प्रस्तावित परियोजना की व्यवहार्यता पर सुविज्ञ निर्णय पर पहुँचने के लिए यह आवश्यक सूचना है। परिणामस्वरूप, महत्वपूर्ण पहलू जैसे कि, पोर्ट और संबंधित सीएफएस की मौजूदा क्षमता, मौजूदा आईसीडी/सीएफएस की क्षमता उपयोगिता, परियोजना क्षेत्र में भावी क्षमता आवश्यकताएं, पोर्ट क्षेत्र में यातायात भीड़ की सीमा और परियोजना के लिए सहायक सड़के , क्षेत्र में मौजूदा इकाईयों के सामने आने वाली बाधाऐं आदि की अनुमोदन प्रक्रिया के दौरान आवश्यक रूप से जांच नहीं की गई है और दिशा-निर्देशों में केवल निर्दिष्ट प्रचलित आवश्यकताओं को पूरा करने के आधार पर अनुमोदन प्रदान किये गये हैं।

अपने उत्तर (जनवरी 2018) में डीओसी ने कहा कि आवेदक अपने आवेदन में फे सीलिटी तक कंटेनर संचालन के लिए यातायात अनुमान और उपलब्ध क्षेत्र को दर्शातें हैं। डीओसी द्वारा आवेदन को संबंधित नोडल मंत्रालयों और सीबीइसी को भेजा जाता है, जो अपने दृष्टिकोण से उपयुक्त तत्परता से कार्य करते है। सीबीइसी डाटा प्राप्त करता है और अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से सृजित भौतिक आधारभूत ढांचे का सत्यापन कराता है। एक बार नोडल मंत्रालयों/सीबीईसी से सभी इनपुट प्राप्त हो जाने के पश्चात, उक्त को आईएमसी को भेजा जाता है जिन्हें इन सभी मंत्रालयों/सीबीइसी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी प्रस्तुत किया जाता है।

इसके अतिरिक्त, डीओआर, आईएमसी का एक सदस्य, सभी कार्यशील फे सीलिटिज के प्रचालन के निरीक्षण हेतु नियामक प्राधिकारी हैं और प्रस्ताव के अग्रिम प्रचालन के चरण पर, यह अपने क्षेत्रीय संगठनों द्वारा प्रस्ताव की व्यवहार्यता, आवश्यकता और प्रभाव विश्लेषण की जांच करता है। 19 सितम्बर 2017 को हुई आईएमसी की बैठक में, यह निर्णय लिएा गया कि डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी को प्रोत्साहित करने और चेन्नै और मुंबई पोर्ट पर ड्राई पोर्ट सुविधा के अधिक भराव के मद्देनजर, सीएफएस की स्थापना हेतु प्रस्ताव अनुमोदित नहीं किये जाढंगे।

एग्जिट बैठक के दौरान, डीओसी अधिकारियों ने कहा कि आईएमसी द्वारा प्राप्त किये गये प्रस्ताव निजी विकासकर्त्ताओं की कारोबार प्राथमिकताएं हैं, जिसके लिए भूमि उन्होंने स्वयं अधिगृहित की है। इस संभावना के साथ विकासकर्त्ताओं द्वारा निवेश किया गया है कि प्रस्तावित मात्रा पर व्यापार करना व्यवहार्य होगा और उनकी सफलता उनके द्वारा प्रयोग की गई प्रौद्योगिकी और प्रदत्त सेवाओं की गुणवत्ता पर आधारित है।

विकासकर्त्ता की कारोबार व्यवहायर्ता के संदर्भ में यातायात संभावनाओं को ध्यान में रखने के संबंध में डीओसी की प्रतिक्रिया स्वीकार्य नहीं है क्योंकि आईएमसी को यूनिट की व्यवहार्यता के निर्धारण के लिए विकासकर्ता द्वारा किये गये यातायात अनुमानों के साथ प्रस्तावित इकाई के समीप मौजूदा संस्थापित क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए। एमओसी दिशा निर्देशों में प्रस्तावों की व्यवहार्यता के निर्धारण के लिए कोई मानदंड नहीं दिये गये हैं न ही उन्होंने प्रस्तावित इकाई की आवश्यकता या प्रभाव विश्लेषण करने के लिए किसी एजेन्सी को कोई अधिदेश दिये हैं। इसलिए पोर्ट प्राधिकारियों या सीमा शुल्क द्वारा प्रस्तावों की व्यवहार्यता के निर्धारण हेतु अपनाई गई निर्धारण प्रक्रिया में कोई समानता नहीं है। इसके अतिरिक्त, लेखापरीक्षा के अंतर्गत आनेवाली अवधि के दौरान अधिक क्षमता के आधार पर मना करने के कोई मामले नहीं देखे गए। भावी अनुमोदन रोकने का निर्णय सितम्बर 2017 में ही लिएा गया है।

यद्यपि डीओसी ने कहा कि आईएमसी द्वारा प्राप्त किये गये प्रस्ताव निजी विकासकर्ता, जिन्होंने कारोबार प्रस्ताव की व्यवहार्यता को आकलन किया है, की कारोबार पहल हैं, तथ्य यह है कि इसके कारण देश के मुख्य पत्तन क्षेत्रों में और कुछ क्षेत्रों के आस-पास आईसीडी और सीएफएस का प्रसार हुआ। जैसाकि उपरोक्त पैराग्राफ में लेखापरीक्षा द्वारा इंगित किया गया है, सृजित क्षमता के कम उपयोग के मुख्य कारणों में से एक कारण एक दूसरे के नजदीक अनेक आईसीडी/सीएफएस की स्थापना करना है। इसके परिणामस्वरूप सीमा शुल्क विभाग के संसाधनों का अधिक दोहन भी हुआ क्योंकि प्रत्येक आईसीडी और सीएफएस में सीमा शुल्क स्टाफ तैनात किया जाता है और इडीआई बैंडविड्थ और लैंडस्पेस जैसे संसाधनों को प्रत्येक आईसीडी और सीएफएस को उपलब्ध कराने की आवश्यकता पड़ती है।

3.4 आईसीडी और सीएफएस परियोजनाओं के अनुमोदन और परिचालन में विलंब

आईसीडी और सीएफएस स्थापित करने के दिशानिर्देशों के भाग सी के पैरा 5 के अनुसार, प्रस्ताव की प्राप्ति पर डीओसी 30 दिनों के भीतर सीमाशुल्क के क्षेत्राधिकारी कमिश्नर और अन्य संबंधित एजेन्सियों से टिप्पण प्राप्त करने के लिए कार्यवाही करेगा और सामान्य परिस्थितियों में प्रस्ताव की प्राप्ति के छ: हफ्ते के भीतर आईएमसी का निर्णय लिएा जाएगा। इसके अलावा, दिशानिर्देशों के भाग सी के पैरा 7 के अनुसार आवेदक द्वारा आशय पत्र (एलओआई) जारी करने की तिथि से एक वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचा स्थापित करना अपेक्षित है। डीओसी आवेदक द्वारा दिये गये औचित्यों को ध्यान में रखते हुए छ: माह के समय विस्तार की मंजूरी दे सकता है। उसके बाद, छ: माह की आगामी (अन्तिम) अवधि के विस्तार के विचार के लिए आईएमसी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। आईएमसी विस्तार पर विचार कर सकता है अथवा स्वीकृत अनुमोदन को वापस ले सकता है। इस प्रकार दिशानिर्देश आईसीडी/सीएफएस स्थापित करने के लिए दो वर्ष की अधिकतम अनुमोदन अवधि निर्धारित करते है।

लेखापरीक्षा अवधि के दौरान (2012-17), डीओसी ने आईसीडी/सीएफएस स्थापित करने के लिए 94 प्रस्ताव प्राप्त किये थे। मार्च 2017 को एक प्रस्ताव निरस्त किया गया था और 71 प्रस्तावों को आईएमसी द्वारा अनुमोदित किया गया था जबकि शेष 22 प्रस्तावों पर आईएमसी का निर्णय लम्बित था।

2012-17 के दौरान अनुमोदित 71 मामलों में से 40 मामलों की लेखापरीक्षा ने नमूना जांच की और देखा कि 35 मामलों में (विवरण 6) डीओसी ने छ: हफ्ते की निर्धारित अवधि से अधिक 3 से 35 माह की देरी से डेवलपर्स को आशय पत्र जारी किये थे।विलंब मुख्य रूप से सीबीईसी और एमओएस से टिप्पणियों के देरी से प्रस्तुतीकरण के कारण थे।सीबीईसी और एमओएस द्वारा टिप्पणियों के देरी से प्रस्तुतीकरण का काल विश्लेषण निम्न प्रकार है:

चित्र 15 : सीबीईसी द्वारा लिया गया समय

स्रोत: वाणिज्य विभाग दस्तावेज

चित्र 16 : एमओएस द्वारा लिया गया समय

स्रोत: वाणिज्य विभाग दस्तावेज

यह भी देखा गया कि 31 मार्च 2017 तक आईएमसी निर्णय के लिए प्रतीक्षारत शेष 22 प्रस्तावों में से 16 में (विवरण-7) , छ: हफ्ते की निर्धारित अवधि से अधिक पांच हफ्ते से लेकर 125 हफ्ते तक विलंब था जो सीबीईसी/एमओएस/एमओआर से टिप्पणियों की अप्राप्ति के कारण था।

बताए जाने पर, (अगस्त 2017) डीओसी ने बताया (सितम्बर 2017) कि सीबीईसी की टिप्पणियाँ प्राप्त होने में अत्यधिक देरी आईएमसी के लिए चिंता का विषय रहा है तथा कि 22 लंबित प्रस्ताव अगली आईएमसी बैठक के लिए कार्यसूची में शामिल किये गये थे।

इसके अलावा, डीओसी द्वारा प्रस्तुत किये गए (31 मार्च 2017) (विवरण 8) 51 कार्यान्वयन अधीन प्रस्तावों पर डाटा से यह देखा गया था कि 12 परियोजनाएं (विवरण 9) संबंधित डेवलपर के अनुरोध पर आईएमसी द्वारा मंजूर किये गए कई विस्तारों के साथ अनुमोदन की तिथि से ढ़ाई वर्ष से ग्यारह वर्षों की अवधि तक अकार्यशील रहे। यह देखा गया कि इन बारह मामलों में से नौ11 में अकार्यशील होने के लिए दर्ज कारण सीमा शुल्क द्वारा कुछ सुविधाओं की अनुपलब्धता, जैसे कि ईडीआई कनेक्टविटी तथा सीमा शुल्क स्टॉफ की तैनाती अथवा सीमा शुल्क अधिसूचना जारी न करना था।

अपने उत्तर (जनवरी 2018) में डीओसी ने कहा कि आईएमसी के सचिव के रूप में डीओसी, एक पूर्ण आवेदन प्राप्त होने पर इसे टिप्पणियों हेतु आईएमसी के सभी सदस्यों को भेजता है जो अपने क्षेत्रीय संगठनों से इनपुट प्राप्त करते है। विनिर्दिष्ट समयसीमा में टिप्पणियां प्राप्त करने के प्रयास किये गये है ताकि आईएमसी अपना निर्णय ले सके । आईएमसी बैठक में मंत्रालय से टिप्पणियों में विलम्ब की समीक्षा भी की गई। डीओसी ने ध्यानपूर्वक कार्य करते हुए अपनी टिप्पणियों के तीव्र रूप से प्रस्तुतीकरण के लिए सदस्यों को नियमित रूप से अनुस्मारक भी भेजे हैं।परियोजना को आरंभ करने में कई कारणों से विलम्ब होता है। कुछ मामलों में सीमाशुल्क अधिसूचनाओं, सीमाशुल्क स्टाफ की तैनाती, इडीआई संस्थापन आदि के कारण और कुछ मामलों में, विकासकर्ता द्वारा आकस्मिक वित्तीय बाधाओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण जोकि विकासकर्ता के नियंत्रण से बाहर है। तथापि, अतिरिक्त समय प्रदान करने से पहले, आईएमसी ऐसे विलम्ब के कारणों को सावधानी पूर्वक देखती है और तब सुविचार करती है कि क्या एलओआई का विस्तार प्रदान करना चाहिए।

डीओसी का उत्तर इस तथ्य को सुदृढ़ बनाता है कि आईएमसी द्वारा अनुमोदन प्रदान करने तथा परियोजना कार्यान्वयन, दोनो चरणों में, विलम्ब आईसीडी/सीएफएस की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने तथा प्रस्तावों की शीघ्रतम मंजूरी उपलब्ध कराने के लिए एक एकल-विंडो प्लेटफार्म के रूप में आईएमसी के अस्तित्व के उद्देश्य की पूर्ति में बाधक हैं। इसके अतिरिक्त, इन मामलों में आईएमसी द्वारा अनुमत कई विस्तारों को ध्यान में रखते हुए, आईसीडी/सीएफएस के प्रचालन के लिए दो वर्ष की अधिकतम समय सीमा का प्रावधान, जैसे कि दिशानिर्देशों में निर्धारित है, महत्व खो चुका है।

3.5 अपेक्षित न्यूनतम भूमि क्षेत्र को पूरा किये बिना आईसीडी प्रचालन

आईसीडी/सीएफएस की स्थापना पर दिशानिर्देशों के पैरा 4 के अनुसार, एक सीएफएस के लिए अपेक्षित न्यूनतम क्षेत्र एक हेक्टेयर है तथा आईसीडी के लिए चार हेक्टेयर है। तथापि, प्रौद्योगिकीय अद्यतन एवं ऐसे विचलन को उचित सिद्ध करने वाली विशिष्ट विशेषताओं पर विचार करने पर कम क्षेत्र वाले प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है। लेखापरीक्षा ने देखा कि ये छूट आईएमसी अथवा नोडल विभाग, डीओसी के देय अनुमोदन के बिना स्थानीय सीमा शुल्क प्राधिकारियों द्वारा अनुमत की गई जैसी कि नीचे व्याख्या की गई है।

मैसर्स केएलपीएल, कानपुर को 6.07 हेक्टेयर के एक क्षेत्र पर आईसीडी पनकी, कानपुर की स्थापना के लिए एक आशय पत्र (जून 2010) की मंजूरी दी गई थी तथा इस क्षेत्र को सीमा शुल्क के क्षेत्राधिकारी कमिश्नर द्वारा अगस्त 2010 में सीमा शुल्क क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया था। तथापि, आईसीडी के सीमा शुल्क के क्षेत्र को एक पूर्व अधिसूचित सीमा शुल्क क्षेत्र अधिसूचना रद्द करने हेतु नियत प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना, अप्रैल 2011 में कस्टम केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर कमिश्नर, कानपुर के द्वारा जारी एक ‘शुद्धि पत्र’ द्वारा 1.62 हेक्टेयर तक कम कर दिया गया था जो एक आईसीडी के लिए अपेक्षित न्यूनतम क्षेत्र से काफी कम है। संरक्षक द्वारा यह पुष्टि की गयी थी कि केवल 1.62 हेक्टेर भूमि सीमा शुल्क प्रयोजनों के लिए उपयोग की गई थी तथा शेष 4.45 हेक्टेयर निजी इस्तेमाल में उपयोग की जा रही थी, जैसे कि खाली कंटेनरों का भण्डारण, घरेलू प्रबंधन आदि। लेखापरीक्षा ने देखा कि आईसीडी, पनकी में निर्यात कार्गों की भराई एवं सीलिंग के लिए लिए गए समय में 2013-14 में 8 दिनों से 2016-17 में 22 दिनों तक की वृद्धि हुई।

उसी तरह से, वेरना इंडस्ट्रियल इस्टेट फेज–II बी गोवा में सेन्ट्रल वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन (सीडब्ल्यूसी) द्वारा प्रचालित सीएफएस के मामले में, इसे 2.32 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क कमिश्नर द्वारा वर्ष 2001 में एक आईसीडी के रूप में अधिसूचित किया गया था, यद्यपि इसने आईसीडी के लिए भूमि आवश्यकता को पूरा नही किया। इसके अलावा, अगस्त 2003 में आईसीडी के कार्य के लिए केवल 1.24 हेक्टेयर क्षेत्र को छोड़ते हुए 1.07 हेक्टेयर का क्षेत्र अधिसूचित नही किया गया था जो 4 हेक्टेयर के न्यूनतम अपेक्षित क्षेत्र से काफी कम था। अपेक्षित भूमि की शर्त से छूट के लिए औचित्य तथा आईएमसी अनुमोदन रिकार्ड में उपलब्ध नही था।

एक और न्यूनतम भूमि शर्तों को पूरा किये बिना आईसीडी/सीएफएस प्रचालन के ऐसे उदाहरण संदेह सृजित करते हैं कि क्या ये आईसीडी अपेक्षित आधारभूत सेवाएं तथा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के योग्य हैं, वहीं दूसरी ओर, ऐसे उदाहरण यह भी दर्शाते हैं कि आईसीडी तथा सीएफएस के लिए न्यूनतम भूमि आवश्कताओं के मानदंड की समीक्षा करने की आवश्यकता हो सकती है।

डीओसी ने अपने उत्तर (जनवरी 2018) में बताया कि डीओआर द्वारा उत्तर प्रस्तुत किया जा सकता है।

डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि संबंधित क्षेत्रीय संगठन से तथ्यात्मक रिर्पोट प्राप्त की जा रही है।

3.6आईएमसी अनुमोदन की मंजूरी से पूर्व किया गया निवेश

आईसीडी/सीएफएस स्थापित करने के दिशानिर्देशों के भाग सी के पैरा 6 के अनुसार, एक प्रस्ताव की स्वीकृति पर प्रार्थी को एक आशय पत्र जारी किया जाएगा जो आधारभूत अवसंरचना को सृजित करने के लिए कदम उठाने के लिए विकासक को सक्षम करेगा।

दो मामलों में यह देखा गया कि विकासक ने आशय पत्र जारी होने से पूर्व ही आधारभूत अवसंरचना के निर्माण में निवेश किया था। वैष्णो कंटेनर टर्मिनल ने तारापुर, थाने, महाराष्ट्र में आईसीडी की स्थापना के लिए आवेदन करने (मई 2012) के समय अपेक्षित आधारभूत अवसंरचना का आधे से अधिक काम पूरा किया था। जबकि दिसंबर 2012 में आशय पत्र मंजूर किया गया था वही आईसीडी ने अगस्त 2014 से काम करना आरंभ किया था। एक दूसरे मामले में, एलसीएल लोजिस्टिक्स (इंडिया) प्रा. लि. हल्दिया को अभिरक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था तथा 12 दिसंबर 2012 को आशय पत्र की मंजूरी के 24 दिनों के अन्दर कोलकाता (बंदरगाह) कमीश्नरी सार्वजनिक सूचना सं. 44/2012 दिनांक 6 दिसंबर 2012 के अनुसार हल्दिया, पं. बंगाल को सीएफएस के रूप में कार्य आरंभ करने की अनुमति प्रदान की गई थी।

सीएफएस एलसीएल लोजिस्टिक्स, हल्दिया द्वारा संचालित ट्रैफिक की औसत मात्रा दिसंबर 2012 में इसके आरंभ होने से इसकी वार्षिक संस्थापित प्रबंधन क्षमता का 15 प्रतिशत रही। जैसा कि पूर्व (पैरा 3.2) में देखा गया, इस सीएफएस पर ट्रैफिक की कम मात्रा हल्दिया डॉक कॉम्पलेक्स (एचडीसी) के पास उपलब्ध अधिशेष कंटेनरीकृत कार्गों हैंडलिंग क्षमता के कारण है जो सीएफएस के लिए गेटवे पोर्ट के रूप में कार्य करता है। यह कारक इस सीएफएस स्थापित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन करते समय आईएमसी द्वारा ध्यान में नही रखा गया प्रतीत होता है।

ये उदाहरण दर्शाते है कि यह संभावना हो सकती है कि परियोजना की व्यवहार्यता अथवा आवश्यकता जैसे महत्वों की अपेक्षा आशय पत्र जारी करने से पूर्व किये गए निवेश अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए थे जिसके कारण आईएमसी का अनुमोदन प्रदान किया गया। चूंकि एक आईसीडी अथवा एक सीएफएस को कब और कैसे स्थापित किया जाना चाहिए, के लिए कोई नीति नहीं है, इसलिए आईएमसी से अनुमोदन प्राप्त किये बिना इस प्रक्रिया को आरंभ करने के लिए डेवलपर्स पर कोई रोक नहीं है। डीओसी के दिशानिर्देश इस विषय पर मूक है।

आईएमसी ने अपनी बैठकों (मार्च 2017) के कार्यवृत्त में उल्लेख किया कि कई मामलों में, डेवलपर्स ने आशय पत्र जारी करने से पूर्व निवेश करना तथा अवसंरचना कार्य का निर्माण आरंभ किया था। इसके अलावा, डीओआर ने मई 2017 में बताया कि विद्यमान नीति में, विभिन्न मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावों की जांच परियोजना विकासक द्वारा पर्याप्त निवेश किये जाने के बाद होती ही है जिसने अनुमोदन को एक निर्विवादित तथ्य बना दिया है।

डीओसी ने अपने उत्तर में बताया (जनवरी 2018) कि दिशानिर्देशों में इस सीमा तक बदलाव किऐ गए हैं कि एक प्रस्ताव के अनुमोदन पर जहां भी आवश्यक होगा शर्तों के साथ आवेदक को एलओआई जारी किया जाऐगा। एलओआई जारी होने से पूर्व अवसंरचना के विकास में किया गया किसी भी प्रकार का निवेश संबंधित विकासक के जोखिम पर होगा और क्षेत्राधिकारी सीमाशुल्क आयुक्त का ‘सैद्धांतिक’संस्वीकरण प्राप्त करने से पूर्व निवेश करने की आवश्यकता नहीं है।

निष्कर्ष

आईसीडी और सीएफएस स्थापित करने के लिए डीओसी के वर्तमान दिशा-निर्देश संस्वीकरण प्रदान करते समय अनुपालित किऐ जाने वाले चेक लिस्ट निर्धारित करते हैं जो अधिक प्रक्रियागत प्रकृति के है और सिद्धांत और उद्देश्य निर्धारित करने हेतु ऐसे कोई उच्च स्तरीय नीति दस्तावेज या ढांचा नहीं है जो आईएमसी सदस्यों को प्रस्ताव का मूल्यांकन करने में मदद करे। इसके अतिरिक्त, आईएमसी या उसके घटक मंत्रालयों के लिए संस्वीकृति प्रक्रिया के अतिरिक्त कोई भूमिका और जिम्मेदारी प्रदान नहीं की गई है जिससे यह क्षेत्र अनियमित रह जाता है। इस प्रकार आईसीडी तथा सीएफएस क्षेत्र के लिए सर्वोच्च नियामक तथा मॉनीटरिंग निकाय होने की बजाय उसकी भूमिका एक बार स्थापित हो जाने पर आईसीडी और सीएफएस के निष्पादन को मॉनीटर करने के लिए बिना किसी जिम्मेदारी के अनुमोदन देने वाले निकाय तक सीमित है।

डीओसी जो कि एक नोडल मंत्रालय है, में आईसीडी तथा सीएफएस पर डाटा और सूचना का अभाव देश में कंटेनर ट्रैफिक का प्रबंध करने के लिए उपलब्ध अवसंरचना सुविधाओं पर आईएमसी द्वारा अनुमोदन प्रदान करने से पहले एक समग्र दृष्टिकोण बनाने को भी रोकता है। अनुमोदन क्षमता की आवश्यकता के व्यापक परिप्रेक्ष्य की तुलना में प्रत्येक मामले के आधार पर प्रदान किये गए।

लेखापरीक्षा द्वारा संग्रहीत सांख्यिकी से भी पता चलता है कि कंटेनर कार्गो के प्रहस्तन के लिए सृजित क्षमता का सतत रूप से कम उपयोग हुआ है जिसका एक कारण इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि आईएमसी अनुमोदन क्षेत्र में विद्यमान क्षमता पर पर्याप्त विचार किये बिना मामलों के आधार पर नए आईसीडी तथा आईसीडी के लिए अनुमोदन प्रदान किये जा रहे है।

आईएमसी के घटक मंत्रालयों से टिप्पणियों की प्राप्ति में विलम्ब के कारण आईसीडी एवं सीएफएस की स्थापना के लिए प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान करने में विलम्ब ने प्रस्तावों की शीघ्रतम मंजूरी तथा आईसीडी/सीएफएस की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक एकल-विंडों प्लेटफार्म के रूप में आईएमसी के अस्तित्त्व के मूल उद्देश्य को ही समाप्त कर दिया है।

सिफारिशें
  • यह सिफारिश की जाती है कि सरकार सुदृढ़ तंत्र उपलब्ध कराने के लिए नीति स्तरीय दस्तावेज तैयार करे जो अनुमोदन प्रक्रिया के साथ-साथ मॉनीटरिगं और नियामक तंत्र को व्याप्त रूप से परिभाषित करे। ऐसा तंत्र केवल सीमाशुल्क कानून पर निर्भर नहीं रह सकता, क्योंकि यह कानून प्राथमिक रूप से सरकारी राजस्व की सुरक्षा और वस्तुओं के सीमा पर आवागमन को नियमित करता है और शुष्क बंदरगाह क्षेत्र की मॉनीटरिगं और विनियम की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करता।

    राजस्व विभाग ने आईसीडी तथा सीएफएस स्थापित करने के संबंध में अपने उत्तर (फरवरी 2018) में कहा कि सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के अंतर्गत अधिसूचना जारी करने के पूर्व सीमा शुल्क की भूमिका सिफारिशकर्ता प्रकृति की है। एक बार वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आईसीडी और सीएफएस स्थापित करने का प्रशासनिक आदेश देने के पश्चात, ऐसे आईसीडी और सीएफएस सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों और उसके अंतर्गत बनाऐ विनियमों की शर्तों से विनियमित क्षेत्र है। देश में शुष्क बदंरगाहों के लिऐ कानून के संबंध में, आईएमसी के माध्यम से वाणिज्य मंत्रालय उचित कार्रवाई कर सकता है।

    एग्जिट बैठक के दौरान, डीओसी के प्रतिनिधियों ने बताया कि देश में मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट लॉजीस्टिक स्थापित करने के लिए सरकार की नीति की परिधि में आईसीडी/सीएफएस का मुद्दा कवर किया जा सकता है।
  • यह सिफारिश की जाती है कि डीओसी द्वारा आईसीडी तथा सीएफएस पर एक वेबसाइट बनाई जाए जहाँ आईसीडी तथा सीएफएस के प्रचालन पर अद्यतित डाटाबेस तथा वास्तविक समय जानकारी तक सभी पणधारकों द्वारा पहुंच बनाई जा सके ।

    डीओसी ने अपने उत्तर (जनवरी 2018) में बताया कि लेखापरीक्षा अवधि के दौरान विकसित वेबसाईट पर शुष्क बदंरगाहों के अनुमोदनों पर वास्तविक समय जानकारी उपलब्ध है।

    यह उत्तर इस लेखापरीक्षा आपत्ति का समाधान नहीं करता कि वर्तमान में सूचना का कोई स्रोत अथवा नोडल एजेन्सी नहीं है जो देश में आईसीडी/सीएफएस की वास्तविक संख्या, स्थान और क्रियान्वयन स्थिति की जानकारी दे सके ।

    एग्जिट बैठक के दौरान, डीओसी अधिकारियों ने बताया कि मल्टीमॅाडल ट्रांसर्पोट लॉजिस्टिक पर एक पोर्टल का प्रयोग एकल जानकारी स्रोत के रूप में किया जा सकता है।

    राजस्व विभाग के अपने उत्तर (फरवरी 2018) में कहा कि वे लेखापरीक्षा सिफारिश से सहमत है।
अध्याय 4

कंटेनरीकृत कार्गो में व्यापार को सुविधाजनक करने में आईसीडी तथा सीएफएस की प्रभावकारिता