सीमा शुल्क क्षेत्र में कार्गो का प्रबंधन विनियम (एचसीसीएआर), 2009 एक सीमाशुल्क क्षेत्र में आयातित माल/निर्यातित माल की प्राप्ति, भण्डारण, सुपुर्दगी अथवा अन्यथा प्रबंधन के ढंग का प्रावधान करता है। सीसीएसपी से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि कंटेनरों का दक्ष लदान, उतराई, स्टेकिंग, प्रहस्तन, भराई तथा उतराई उनके भंडारण, प्रेषण तथा सुपुर्दगी के लिए पर्याप्त अवसंरचना, उपकरण तथा श्रम सहित पॉवर बैक अप के साथ कस्टम इलैक्ट्रानिक्स डाटा इन्टरचेंज (ईडीआई) सहित सम्बद्धता तथा खतरनाक कार्गो के प्रहस्तन के लिए उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध है। परिसर, जिसमें एक आईसीडी अथवा एक सीएफएस प्रचालित है, उठाईगीरी तथा चोरी से बचने सहित कार्गो की अभिरक्षा के संबंध में अच्छी तरह से संरक्षित एवं सुरक्षित होने चाहिए।
आईसीडी में डीओसी स्थापित करने का अर्थ माल के निर्धारण एवं निकासी, कंटेनरों की भराई तथा उतराई करने के निरीक्षण सहित कंटेनरों की जाँच से है। सीमा शुल्क स्टाफ को स्थायी आधार तथा लागत वसूली के आधार पर नियुक्त किया जाता है। सीएफएस में, सीमा शुल्क कार्य माल की भराई तथा उतराई के पर्यवेक्षण तथा जाँच तक सीमित है। माल का निर्धारण तथा निकासी मुख्य बंदरगाह/आईसीडीएस से होता है जिससे सीएफएस जुडी है। मर्चेंट ओवरटाईम आधार पर नियुक्त सीमा शुल्क अधिकारी सीएफएस में सीमा शुल्क कार्यों का निर्वहन करते है।
क्षेत्राधिकारी सीमा शुल्क कमिश्नर यह सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेह है कि संरक्षक एचसीसीएआर 2009 की शर्तों को पूरा करते है।
लेखापरीक्षा ने चयनित आईसीडी/सीएफएस तथा क्षेत्राधिकारी सीमा शुल्क प्राधिकरणों में उपलब्ध फाईलों तथा रिकार्डों तथा चयनित आईसीडी तथा सीएफएस पर कार्गो के प्रहस्तन के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जाँच निम्नलिखित जानने के लिए की
- एचसीसीएआर 2009 के तहत शर्तों को पूरा करना,
- व्यापार की आवश्यकताओं पूरा करने में सक्षम हैं तथा
- कुशल एवं निर्बाध परिवहन संभार तन्त्र प्रदान करते हैं।
लेखापरीक्षा ने निम्नलिखित निदर्शी मामले देखे:
4.1 पर्याप्त अवसंरचना के बिना कार्यरत आईसीडी
एचसीसीएआर 2009 के नियम-5 के अनुसार, आयातित अथवा निर्यातित माल की अभिरक्षा के लिए तथा सीमा शुल्क क्षेत्र में ऐसे माल के प्रहस्तन के लिए सीसीएसपी सीमा शुल्क कमिश्नर की संतुष्टि तक प्रचालन तथा स्टैकिंग क्षेत्र में प्रयोग के लिए भारी उपकरण के लिए मानक पटरी सहित कंटेनरों के लदान, उतराई, स्टैकिंग, प्रहस्तन, भराई तथा उतराई, स्टोरेज, प्रेषण तथा कंटेनरों एवं कार्गो आदि की सुपुर्दगी आदि के लिए अवसंरचना, उपकरण तथा पर्याप्त श्रम को प्रावधान करेगा।
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साउथ इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एवं केरल इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवलपमेंट कार्पोरेशन (केआईएनएफआरए), केरल सरकार का एक सांविधिक निकाय, के बीच एक सार्वजनिक निजी साझेदारी परियोजना के रूप में स्थापित आईसीडी कोट्टयम अक्तूबर 2009 से काम कर रहा है। परियोजना को राज्य को निर्यात अवसंरचना तथा सहायक कार्यकलाप के विकास के लिए सहायता (एएसआईडीई) निधि से ₹ 8.20 करोड़ से निधिबद्ध किया गया जो निर्यात को बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार की एक योजना है।
यह देखा गया था कि यद्यपि आईसीडी से प्रतिवर्ष 9000 टीईयू का प्रबंधन अपेक्षित था, तथापि 2012-17 तक पांच वर्षो के दौरान आईसीडी पर केवल 9159 टीईयू का प्रबंधन किया गया था जिसमे से केवल 609 टीईयू (कुल मात्रा का 6.7 प्रतिशत) निर्यात से संबंधित थे। आईसीडी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए एक हजार से अधिक निर्यातको के प्रक्षेपण के प्रति, केवल 25 निर्यातकों ने लेखापरीक्षा के समय तक सुविधा का लाभ उठाया था। लेखापरीक्षा ने पाया कि आईसीडी में कंटेनरों के संचालन के लिए मूल प्रहस्तन उपकरण जैसे लिफ्ट ऑफ तथा लिफ्ट ऑन के लिए रीच स्टैकर उपलब्ध नही थे। अन्तर्देशीय जलमार्ग से कोट्टायम तथा आईसीटीटी वल्लारपदम के बीच कार्गो के परिवहन के लिए ₹ 2.51 करोड की लागत से निर्मित घाट तथा जेटी को घाट से घाट तक कंटेनरों के लदान तथा उतराई के लिए क्रेन उपलब्ध न होने के कारण उपयोग नही किया जा सका।
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आईसीडी वेरना, गोवा में लेखापरीक्षा ने देखा कि एचसीसीएआर 2009 की न्यूनतम अवसंरचना सुविधा शर्तों को पूरा नही किया गया था। न्यूनतम आवश्यक क्षेत्र की शर्त का उल्लंघन किया गया क्योंकि आईसीडी के तहत अधिसूचित क्षेत्र केवल 1.2 हेक्टेयर था, जो आईसीडी के लिए आवश्यक 4 हेक्टेयर के न्यूनतम क्षेत्र से बहुत कम था। लेखापरीक्षा ने पाया कि अप्रैल 2015 से संस्थापित ईडीआई की संबंद्धता बीएसएनएल के साथ निपटाये न गये अन्य मामलों के कारण कार्य नही कर रही थी। अत: आयातक एवं निर्यातक सीमाशुल्क सदन मरगाँव, गोवा में अपने बीई तथा एसबी हस्त्यरूप से भर रहे थे। आईसीडी का प्रवेश एवं निकास के लिए एक द्वार था, यद्यपि एचसीसीएआर अपेक्षा करता है कि प्रवेश तथा निकास के लिए अलग-अलग द्वार होना चाहिए। आईसीडी ने सितम्बर 2015 में इलैक्ट्रानिक तुला सेतु संस्थापित किया था जिसे सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा उपयोग में नही लाया जा रहा था।
डीओआर ने लेखापरीक्षा आपत्ति स्वीकार करते हुए कहा (फरवरी 2018) कि वर्तमान में आईसीडी कोट्टायम में कंटेनरों के लदान और उतराई के लिए क्रेन की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि बार्ज के माध्यम से कंटेनरों की आवाजाही में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। आईसीडी वर्ना में, पूर्ण क्षमता की ईडीआई कनेक्टिविटी उपलब्ध है, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से कार्गों की निकासी के लिए मैनुअल अनुमति प्रदान की गई थी। कंटेनरों के आवागमन के लिएे गेटों के उपयोग पर स्पष्टीकरण देते हुए डीओआर ने बताया कि यह कार्गों की कम संख्या के कारण किया गया था।
डीओसी की प्रतिक्रिया इन दो आईसीडीज की व्यवहार्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
चित्र 17 : आईसीडी वेरना गोवा में एकल प्रवेश/निकास द्वार का फोटोग्राफ
4.2 निर्दिष्ट सीमांकित क्षेत्र की अनुपलब्धता
एचसीसीएआर 2009 के नियम 6 में अनुबंधित है कि यह संरक्षक की जिम्मेवारी है कि वह नीलामी के माल के प्रहस्तन के लिए अलग स्थान उपलब्ध कराने के साथ-साथ आयातित माल तथा निर्यातित माल की उतराई तथा स्टोरेज के लिए अलग से क्षेत्र का सीमांकन करे। इसी प्रकार, सीबीईसी के दिनांक 23 जुलाई 2013 के अनुदेश सं. एफ.सं. 450/19/2005- सीमाशुल्क IV के अनुसार, सभी संरक्षकों को आयात एवं निर्यात परेषण दोनों के लिए आवश्यक जांच करने के लिए संयंत्र संगरोध प्राधिकारियों को सक्षम करने के लिए पश्च धूंए वाले स्थानों तथा स्टोरेज तथा धूमन के लिए अलग से तथा समर्पित स्थान उपलब्ध कराना अपेक्षित था। बोर्ड ने संबंधित सीमा शुल्क कमिश्नर को यह सुनिश्चित करने के भी अनुदेश दिए थे कि निदेशों का तुरंत एवं निष्ठापूर्वक अनुपालन किया गया था।
लेखापरीक्षा में नमूना जांचित 85 आईसीडी तथा सीएफएस में से, यह देखा गया कि छह आईसीडी तथा नौ सीएफएस पर अपेक्षित सीमांकित क्षेत्र उपलब्ध नही था जैसा कि नीचे दिया गया है:
तालिका 3
निर्दिष्ट सीमांकित क्षेत्र की अनुपलब्धता
सीमांकित स्थान उपलब्ध नही |
आईसीडी/सीएफएस तथा क्षेत्राधिकारी सीमाशुल्क कमिश्नरी के नाम |
आयात एवं निर्यात कार्गों के भण्डारण हेतु अलग क्षेत्र |
मेरठ कमिश्नर के तहत आईसीडी मुरादाबाद; कानपुर कमिश्नर के तहत आईसीडी पनकी; नोयडा कमिश्नर के तहत सीएफएस सीएमए-सीजीएम लॉजिस्टिक पार्क्स लि.दादरी; (2 आईसीडी तथा 1सीएफएस) |
नीलामी कार्गो के भण्डारण हेतु अलग क्षेत्र |
मेरठ कमिश्नर के तहत आईसीडी मुरादाबाद; कानपुर कमिश्नर के तहत आईसीडी पनकी; नोयडा कमिश्नर के तहत सीएफएस सीएमए-सीजीएम लॉजिस्टिक पार्क्स लि. दादरी; बैंगलूरू कमिश्नर के तहत चार आईसीडी/सीएफएस: आईसीडी व्हाईटफील्ड, सीएफएस-सीडब्ल्यूसी व्हाईटफील्ड, मेरीगोल्ड लॉजिस्टिक प्रा.लि. तथा सीएफएस-एचएएल;सीएफएस मंगलौर कमिश्नरी के तहत सीएफएस सीडब्ल्यूसी पनम्बूर; मंगलौर कमिश्नरी के तहत सीएफएस-सीडब्ल्यूसी पनम्बूर; बेलगाम कमीश्नरी के तहत आईसीडीदेसूर; (4 आईसीडी तथा 5 सीएफएस) |
कार्गो के धूम्रीकरण और पश्च धूम्रीकरण भंडारण के लिए अलग क्षेत |
मेरठ कमिश्नरी के अंतर्गत आईसीडी मुरादाबाद; कानपुर कमिश्नरी के अंतर्गत आईसीडी पनकी; नोएडा कमिश्नरी के अंतर्गत सीएफएस सीएमए-सीजीएम लॉजिस्टिक पार्क्स लिमि., दादरी; बंगलूरू कमिश्नरी के अंतर्गत चार आईसीडी/सीएफएस: आईसीडी वाईटफील्ड, सीएफएस सीडब्ल्यूसी-वाईटफील्ड, सीएफएस मेरीगोल्ड लॉजिस्टिक्स प्रा.लि. तथा सीएफएस-एचएएल; मंगलूरू कमिश्नरी के अंतर्गत सीएफएस-सीडब्ल्यूसी पनमबूर; बेलगाम कमिश्नरी के अंतर्गत आईसीडी देसुर; कोलकाता (पत्तन) कमिश्नरी के अंतर्गत सीएफएस: सीडब्ल्यूसी; कोलकाता, सेंचुरी प्लाई (जेजेपी) कोलकाता, सेंचुरी प्लाई (सोनाई) कोलकाता तथा एलसीएल लॉजिस्टिक्स, हल्दिया; शिलांग कमिश्नरी के अंतर्गत आईसीडी अमीनगांव; बोलपुर कमिश्नरी के अंतर्गत आईसीडी दुर्गापुर; (6 आईसीडी तथा 9 सीएफएस) |
कोलकाता (पत्तन) कमिश्नरी ने बताया (दिसम्बर 2017) कि सभी सीएफएस को तुरंत अलग फ्यूमीगेशन/पोस्ट फ्यूमीगेशन साईट उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिये गए है। सीजीएसटी कमिश्नरी, बोलपुर ने बताया (दिसम्बर 2017) कि आईसीडी दुर्गापुर के अभिरक्षक को फ्यूमीगेशन के लिए क्षेत्र आबंटित/निर्धारित करने के लिए अनुरोध किया गया है।
लेखापरीक्षा आपत्ति स्वीकार करते हुए डीओआर ने बताया (फरवरी 2018) कि नोएडा सीमाशुल्क, आईसीडी मुरादाबाद तथा बंगलुरू सिटी कमिशनरियों में, अभिरक्षकों ने हानिकारक तथा गैर हानिकारक कार्गों के भंडारण तथा हैंडलिंग के लिएे अलग क्षेत्र आबंटित/निर्धारित कर दिये हैं। सीडब्ल्यूसी पनमबुर, मगंलूरू कमिश्नरी और शिलांग कमिश्नरी को अलग निर्धारित क्षेत्र उपलब्ध कराने और एचसीसीएआर 2009 विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।
4.3 खतरनाक वस्तुओं के भंडारण हेतु स्थान की अनुपलब्धता
परिपत्र सं. 04/2011-सीमाशुल्क दिनांक 10 जनवरी 2011 तथा परिपत्र सं. 40/2016 दिनांक 26 अगस्त 2016 द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, आयातित वस्तुएं या निर्यातित वस्तुएं जो खतरनाक प्रकृति की है, का भंडारण सीसीएसपी के स्वीकृत परिसर में अन्य सामान्य कार्गो से पूर्णतया अलग स्थल पर कार्गो की खतरनाक प्रकृति के वर्गीकरण के अनुसार और अधिसूचित परिसर में भंडारण के लिए आबंटित स्थानों में समुचित रूप से निर्मित परिसर जिसमें उष्मा और अग्नि रोधी दीवारें, आरसीसी छत और फर्श हों, में किऐ जाने चाहिए। खतरनाक मलबा (प्रबंधन, प्रहस्तन, ट्रांस बाउंड्री) नियमावली, 2009 के प्रावधानों और खतरनाक रसायन विनिर्माण, भंडारण और आयात नियमावली 1989 और सरकार द्वारा निर्धारित अन्य संबंधित नियम और विनियमों का ऐसी वस्तुओं के भंडारण और प्रहस्तन में अनुपालन किया जाना चाहिए। एचसीसीएआर, 2009 के विनियम 7 के प्रावधानों के अनुसार सीमाशुल्क आयुक्त द्वारा अभिरक्षकों को परिसर की सुरक्षा और सुरक्षा उपाय की शर्तों में किसी प्रकार की रियायत या छूट अनुमत नहीं की जानी है। सीबीईसी ने आयुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है कि परिसरों की सुरक्षा तथा अभिरक्षा से सम्बन्धित प्रावधानों का सीसीएसपी की नियुक्ति के समय पर सख्ती से अनुपालन किया जाता है और उसके बाद निगरानी की जाती है। विनियम 10 के उप-विनियमन (2) के परन्तुक के अनुसार पूर्व में नियुक्त किये जा चुके अभिरक्षकों के ऐसे दायित्वों की समीक्षा करना भी अधिदेशित था।
आईसीडी और सीएफएस पर खतरनाक कार्गो के लिए समुचित भंडारण और प्रहस्तन सुविधाएं सुनिश्चित करने की सख्त शर्तों के बावजूद भी, लेखापरीक्षित 85 आईसीडी/सीएफएस में यह देखा गया कि लेखापरीक्षा अवधि के दौरान (विवरण 10) 13 आईसीडी और 11 सीएफएस में खतरनाक कार्गो के भंडारण और प्रहस्तन के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। इसके अतिरिक्त, खतरनाक कार्गो के भंडार और प्रहस्तन के लिए असज्जित ऐसे आईसीडी/सीएफएस में खतरनाक वस्तुओं के भंडारण के निम्नलिखित उदाहरण देखने को मिले:
- चेन्नई IV कमिश्नरी के अंतर्गत, सीएफएस डिस्ट्रीपार्क्स लिमिटेड पर खतरनाक कार्गो के प्रहस्तन के लिए अलग से जगह निश्चित नहीं की गई थी। यह बताया गया (जुलाई 2017) कि उनके द्वारा किसी ऐसे कार्गो का प्रहस्तन नहीं किया गया था। तथापि, अनिकासित कार्गो (यूसीसी) फाइलों के सत्यापन से पता चला कि खतरनाक प्रकृति की वस्तुओं नामत: फॉस्फॉनों मिथाइल ग्लिसरीन 2 प्रोप्लायामाईन (ग्लाईफॉसेट-41 प्रतिशत) आयात किये गये थे और अनिकासित पड़े हुए थे।
- आईसीडी, पटपड़गंज पर, जहां खतरनाक कार्गो के लिए कोई अलग स्थान निश्चित नहीं किया गया था, खतरनाक कार्गो शेड के बाहर खुले स्थान में रखा जाता है। प्रशासनिक भवन, हाउसिंग कस्टम्स तथा सीडब्ल्यूसी कार्यालय, बैंक, आदि कार्गो प्रहस्तन क्षेत्र में कार्गो शेड के निकट में स्थित है, जो एक दुर्घटना प्रवण क्षेत्र है क्योंकि कार्गो प्रहस्तन कार्यकलापों के दौरान वहां दुर्घटना हो सकती है। 2000-2012 की अवधि के दौरान फर्नेस ऑयल, रेज़िड्यू वैक्स, बेस ऑयल जैसे ज्वलनशील पदार्थों वाले 30 कंटेनरों का आयात किया गया जो इस आईसीडी में ज्यो के त्यों ही पड़े थे। इनमें केंद्रीय राजस्व नियत्रंक प्रयोगशाला (सीआरसीएल) द्वारा अत्यधिक खतरनाक पदार्थ घोषित 18 कटेंनर फर्नेस ऑयल के भी शामिल थे। आईसीडी पटपड़गंज के अभिरक्षक, सीडब्ल्यूसी ने यह बताया कि ऐसे कार्गो के लिए विशिष्ट क्षेत्र अभी विकासाधीन है लेकिन लेखापरीक्षा के दौरान ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया था।
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विशाखापत्तनम में सीएफएस गेटवे ईस्ट इंडिया प्रा. लि. तथा सीएफएस सीएमए सीजीएम लॉजिस्टिक पार्क प्रा. लि., दादरी नोएडा पर एक ही भंडारण क्षेत्र में खतरनाक कार्गो को सामान्य कार्गो के साथ रखा गया था तथा सीएफएस श्रवन शिपिंग सर्विस प्रा. लि., विशाखापत्तनम में खतरनाक वस्तुएं अन्य कार्गो के साथ सीएफएस के प्रवेश द्वार के सामने भंडार की गई थी, जिसके कारण परिसर में प्रवेश करने वाले कार्गो ट्रक/ट्रेलरों के साथ टकराने का भय बना रहता है। किसी भी सीएफएस में खतरनाक कार्गो के भंडारण और प्रहस्तन के लिए अलग से सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
आईसीडी और सीएफएस में खतरनाक कार्गो के भंडारण और प्रहस्तन ऐसे स्थानों पर किया गया था, जहां पर जान और माल दोनों की सुरक्षा और सुरक्षा उपायों के लिए अत्यधिक खतरा था और ऐसे कार्गो के लिए अलग भंडार और प्रहस्तन सुविधाऐं उपलब्ध नहीं थी। इसके अतिरिक्त चूंकि कंटेनरीकृत कार्गो में किसी भी समय वास्तविक लॉजिस्टिक गलती या बेईमान आयातकों द्वारा गलत-घोषणा के कारण खतरनाक कार्गो होने की जानकारी प्राप्त हो सकती है, सभी सीसीएसपी के पास खतरनाक कार्गो के भंडारण और प्रहस्तन के लिए सुविधाएं आवश्यक रूप से होनी चाहिए, चाहे वे सामान्य रूप से खतरनाक वस्तुओं का प्रहस्तन करें या नहीं।
चित्र 18 : सामान्य कार्गो के साथ भंडार किये गये खतरनाक कार्गो के चित
सीएफएस गेटवे ईस्ट इंडिया प्रा.लि.,विशाखापत्तनम पर एक ही भंडारण क्षेत्र में खतरनाक और सामान्य कार्गो रखे हुए।
सीएफसी श्रवण शिपिंग सर्विस प्रा.लि.,विशाखापत्तनम में मुख्य प्रवेश द्वार के सामने भंडार किये गये खतरनाक कार्गो।
डीओआर ने लेखापरीक्षा आपत्ति स्वीकार करते हुए कहा (फरवरी 2018) कि विशाखापत्तनम कमिश्नरी के अंतर्गत कॉनकॉर (सीएफएस) तथा गेटवे सीएफएस में हानिकारक वस्तुओं की हैंडलिंग के लिए अलग जगह चिन्हित की गई है और हानिकारक वस्तुओं के साथ अन्य वस्तुएं नहीं रखी गई थी। श्रवण (सीएफएस) में हानिकारक वस्तु होने के कारण फार्मा रसायन मुख्य द्वार के समीप रखे गए थे।
आईसीडी पटपड़गंज के संबंध में, डीओआर ने बताया कि अभिरक्षक (सीडब्ल्यूसी) ने अपने ग्राहकों को इस पत्तन पर हानिकारक वस्तुएं न लाने की सलाह दी क्योंकि यह पत्तन दिल्ली के केंद्र में स्थित है।
इसके अतिरिक्त डीओआर ने कहा कि एचसीसीएआर 2009 के उल्लंघन के लिए संबंधित सीएफएस को कारण बताओं नोटिस जारी करने का प्रस्ताव है।
डीओआर का उत्तर स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह आईसीडी और सीएफएस के अभिरक्षकों द्वारा हानिकारक वस्तुओं की हैंडलिंग के संबंध में समुचित सुरक्षा मानकों और व्यवहार में कमी के गंभीर प्रणालीगत मुद्दे को संबोधित नहीं करता।
4.4 ईडीआई कनेक्टिविटी में व्यवधान
भारतीय सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली (आईसीईएस) 1.5 सीमाशुल्क कार्गो के स्वचालनीकरण के लिए एक एकीकृत सूचना प्रणाली (आईएस) है, जिसका प्रबंधन तथा रखरखाव सीबीईसी के अंतर्गत महानिदेशक प्रणाली और डाटा प्रबंधन द्वारा किया जाता है, जिसके माध्यम से व्यापारिक समुदाय सीमाशुल्क और अन्य पणधारियों के साथ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सूचना का आदान-प्रदान कर सकता है। दस्तावेजों की फाईलिंग, पणधारियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान, कार्गो आवागमन सीमाशुल्क निकासी आदि के द्वारा परेशानी मुक्त व्यापार के लिए न्यूनतम रूकावट के साथ प्रणाली का सुचारू कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है।
सीमाशुल्क ईडीआई सेवा की उपलब्धता में व्यवधान इन कारणों से आ सकता है:
- स्थानीय कारण जैसे आईसीडी या सीएफएस में इंस्टॉल किऐ गये ईडीआई टर्मिनल और आईसीईएस के बीच अंतिम मील कनेक्टिविटी में व्यवधान, जो कि आईसीडी और सीएफएस अभिरक्षक द्वारा स्थानीय टेलिकॉम सेवा प्रदाता के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है; या
- स्वयं सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली में कनेक्टिविटी मसले जैसे सर्वर विफलता, डब्ल्यूएएन कनेक्टीविटी मसले, भारतीय सीमाशुल्क इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स/इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज (ईसी/ईडीआई) गेटवे (आईस गेट) कारण आदि।
स्थानीय टेलिकॉम प्रदाता के साथ ब्रेकडाउन कारणों को लेकर लास्ट माईल कनेक्टिविटी को पुन: स्थापित करने के लिए अभिरक्षक जिम्मेदार है, जबकि आईसीईएस सेवा का पुन: स्थापन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सीमाशुल्क की होती है, जो कि महानिदेशक (प्रणाली) के पास ‘सक्षम सेवा’ नामक एसआई हेल्पडेस्क में ‘टिकट’ प्रस्तुत करके आईसीईएस सेवा व्यवधानों की समयानुसार रिर्पोटिंग करके सुनिश्चित की जानी है।
लेखापरीक्षा ने लेखापरीक्षा के लिए चयनित आईसीडी और सीएफएस पर खराबी की बारम्बरता तथा खराबी की सूचना की संख्या को देखकर ईडीआई कनेक्शनों की कार्यक्षमता का निर्धारण किया। 38 आईसीडी और 40 सीएफएस से रुके काम समय अभिलेखों के रखरखाव पर जानकारी प्राप्त हुई थी।
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लेखापरीक्षा ने पाया कि स्थानीय कनेक्टिविटी विफलताओं और/या आईसीईएस काम में रूकावट के लिए लॉग बुक का रखरखाव केवल 38 आईसीडी में से केवल छ:12 और 40 सीएफएस में से तीन13 में किया जा रहा था जहां से जानकारी प्रदान की गई। तथापि, ऐसे सभी ब्रेकडाउन और उनकी अवधि के अभिलेख के रखरखाव के लिए किसी निर्धारित प्रक्रिया की अनुपस्थिति में इन थोड़े से रिकॉर्डों की शुद्धता और पूर्णता का सत्यापन भी नहीं किया जा सका। इसके अतिरिक्त, फील्ड लोकेशनों पर सीमाशुल्क ईडीआई कनेक्टिविटी को प्रभावित करने वाली कनेक्टिविटी की धीमी गति को रिकॉर्ड और रिपोर्ट करने के लिए सीबीईसी ने कोई भी बेंचमार्क/ पैरामीटर या कोई प्रणाली विकसित नहीं की है।
आईसीडी दुर्गापुर में ईडीआई कनेक्टिविटी की बार-बार खराबी
आईसीडी, दुर्गापुर में सीमाशुल्क प्राधिकारी ने बताया कि वहां ईडीआई कनेक्टिविटी में बार-बार और लगभग प्रतिदिन विफलताएं आती थी और ईडीआई हेल्पडेस्क (सक्षम सेवा) में बार-बार शिकायतें दर्ज की गई लेकिन कार्यालय में उनका कोई मैनुअल रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा था। अधिकतर मामलों में, शिकायतें फोन पर दर्ज की गई थी और जैसे और जब भी समस्या हल हो जाती थी उसकी जानकारी भी (हेल्पडेस्क) फोन पर दे दी जाती थी। ऐसी फोन कॉल के रिकॉर्ड का रखरखाव करना अत्यंत कठिन कार्य है। इसके अतिरिक्त यह भी बताया गया कि शिकायतों के रिकॉर्ड का रखरखाव करने संबंधी कोई निर्देश नहीं हैं।
- लेखापरीक्षा में देखा गया कि सीमाशुल्क कमिश्नरी, मरमगोआ के अंतर्गत आईसीडी, वर्ना, गोआ में, कोलकाता (पत्तन) कमिश्नरी के अंतर्गत हल्दिया, पश्चिम बंगाल में स्थित चार सीएफएस में से तीन (एलसीएल लॉजिस्टिक्स प्रा. लि., ए.एल. लॉजिस्टिक्स तथा एपीजे इंफ्रालॉजिस्टिक्स) तथा मंगलुरू कमिश्नरी के अंतर्गत सीएफएस पनमबुर में कनेक्टिविटी ईडीआई की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
आईसीडी और सीएफएस परिसरों में ईडीआई कनेक्टिविटी की अनुपलब्धता के कारण वहां तैनात सीमाशुल्क अधिकारियों के लिए समयबद्ध ढंग से कार्गो जांच रिपोर्ट, निर्यात परेषणों के लिए लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर (एलईओ) प्रदान करने, आयात कंसाईंमेंट के लिए आउट ऑफ चार्ज (ओओसी) देने आदि फाइल करना असंभव हो रहा था जिससे आईसीडी और सीएफएस में प्रहस्तित कार्गो देर तक पड़ा रहता है।
लेखापरीक्षा ने देखा कि जून 2017, में 18व्यापार संघ और बड़े कॉरपोरेट घरानों ने संयुक्त रूप से सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली/ आईस गेट में बारबार ब्रेकडाउन के मामले पर यह कहते हुए प्रधानमंत्री द्वारा त्वरित दखल देने की मांग की कि व्यापार और उद्योग जगत आयात/निर्यात तथा कंसाइनमेंट की निकासी में प्रतिदिन सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली के काम में रूकावट के कारण गंभीर कठिनाई का सामना कर रहा है; जिसके कारण निकासी के लिए नियत समय में वृद्धि हुई, परिणामस्वरूप लेनदेन की लागत में अत्यंत वृद्धि हुई। इस विरोध-पत्र में इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया कि यद्यपि व्यापार ओर उद्योग जगत द्वारा यह मामला सीबीईसी के समक्ष नियमित रूप से उठाया जा रहा है, फिर भी काम में रूकावट के मामलों की आवृत्ति बढ़ी है।
आईसीडी/सीएफएस में काम में रूकावट समय डाटा की अनुपलब्धता के कारण विभिन्न आईसीडी और सीएफएस से प्राप्त आईसीईएस अनुपलब्धता से संबंधी शिकायतों के लिए प्रस्तुत टिकटों की संख्या पर स्थान वार डाटा और उनके समाधान समय डाटा सितम्बर 2017 में महानिदेशक (सिस्टम) से मंगाऐ गये थे, लेकिन जानकारी अभी तक प्रतीक्षित है।
डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि लेखापरीक्षा की यह आपत्ति कि कनेक्टिविटी की धीमी गति के मामलों को रिकॉर्ड करने के लिऐ कोई प्रणाली नहीं है, उस अवसंरचना के लिऐ गलत है जिसका प्रावधान महानिदेशक,(सिस्टम) द्वारा किया जा चुका है। एक विशिष्ट स्थान पर नेटवर्क कनेक्टीविटी (महानिदेशक, सिस्टम द्वारा उपलब्ध) की गुणवत्ता और उपलब्धता की निरंतर मॉनीटरिंग की जाती है। नियोजित और अनियोजित डाउनटाईम के साथ-साथ महानिदेशक (सिस्टम) द्वारा उपलब्ध कराई गई नेटवर्क कनेक्टिविटी ऐसी जानकारी का व्यवस्थित ढंग से रखरखाव करती है और यह महानिदेशक, (सिस्टम) के पास सरलता से उपलब्ध है।
तथापि, लेखापरीक्षा द्वारा विभिन्न आईसीडी और सीएफएस से प्राप्त आईसीईएस की अनुपलब्धता से संबंधित शिकायतों के लिए प्रस्तुत टिकटों पर स्थान-वार डाटा और उनके समाशोधन वर्तमान तिथि तक उपलब्ध नहीं कराये गए है।
निष्कर्ष
लेखापरीक्षा ने आईसीडी की स्थापना करने परन्तु उनके कार्यशील न होने के मामले देखे क्योंकि आवश्यक अवसंरचना उपलब्ध नहीं कराई गई थी जिससे निर्मित समग्र क्षमता अप्रयुक्त रह गई।
अनेक आईसीडी और सीएफएस द्वारा एचसीसीएआर 2009 के अंतर्गत यथा आवश्यक खतरनाक कार्गो के प्रहस्तन के लिए स्थान पृथक्करण सहित विनिर्दिष्ट कार्यकलापों के लिए स्थान चिन्हित नहीं किया गया जिससे जीवन और पर्यावरण पर संकट हो सकता है।
ईडीआई कनेक्टिविटी जो कि आयातों और निर्यातों की त्वरित निकासी की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, की लगातार निगरानी किये जाने की आवश्यकता है। तथापि, ईडीआई स्थानों जहां से ईडीआई सुविधा की अनुपलब्धता का पता और स्थानीय निगरानी की जा सकती है, पर सीबीईसी द्वारा ईडीआई में रुके काम समय रिकॉर्डों के रखरखाव के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किये गये थे। इसके अतिरिक्त महानिदेशक (प्रणाली) किसी भी पणधारी के साथ ईडीआई में रुके काम समय की सीमा पर कोई जानकारी साझा नहीं करते और इस संबंध में महानिदेशक (प्रणाली) के प्रदर्शन में कोई भी पारदर्शिता नहीं है।
सिफारिशें
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खतरनाक वस्तुओं के प्रहस्तन सहित विनिर्दिष्ट कार्यकलापों के लिए स्थानों का पृथक्करण कार्मिकों की सुरक्षा और पर्यावरण संकट की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। सीबीईसी इन आवश्यकताओं के उल्लंघन में लिप्त सीसीपीएस के लिए एचसीसीएआर के अंतर्गत दंडात्मक खण्ड प्रस्तुत करने पर विचार करें।
डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि सीमाशुल्क क्षेत्र में कार्गों की हैंडलिंग के विनियमों में शास्ति प्रावधान पहले से विद्यमान है। इसके अतिरिक्त, सभी क्षेत्राधिकारी मुख्य आयुक्तों को उनके क्षेत्राधिकार में आने वाले आईसीडी और सीएफएस के सीमाशुल्क क्षेत्र में कार्गों हैंडलिंग के विनियमों के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार प्रदर्शन को मॉनीटर करने को कहा जाएगा।
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सभी ईडीआई स्थानों पर रुके काम समय की जानकारी सभी प्रयोगकर्ताओं और पणधारियों को आसानी से उपलब्ध की जानी चाहिए क्योंकि सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली कार्गो की निकासी के लिए महत्वपूर्ण है। सीबीईसी सभी ईडीआई स्थानों के लिए रुके काम समय डाटाबेस प्रणाली बनाने और यह जानकारी सीसीपीएस के प्रदर्शन उपायों के भाग के रूप में सार्वजनिक करने को आवश्यक बनाने पर विचार कर सकता है।
राजस्व विभाग ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि विशिष्ट स्थान पर नेटवर्क कनेक्टिविटी (डीजी (सिस्टम) द्वारा उपलब्ध कराई गई) की गुणवत्ता और उपलब्धता की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है। जैसाकि ऊपर बताया गया है, डीजी (सिस्टम) द्वारा दी गई नेटवर्क कनेक्टिविटी के साथ-साथ नियोजित एवं अनियोजित डाउनटाइम के लिए ऐसी सूचना का प्रणालीगत रूप से रख रखाव किया जा रहा है और यह डीजी (सिस्टम) के पास सरलता से उपलब्ध है। तथापि, इसकी सूचना प्रतीक्षित हैं।
तथापि, इसकी सूचना प्रतीक्षित हैं।