अध्याय
अध्याय

5.1 कार्गो की मॉनीटरिंग

आयात-निर्यात कार्गो के संबंध में आईसीडी और सीएफएस से गेटवे पोर्ट तक तथा विपरीत क्रम में कंटेनरों की गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रणाली की जांच करने के लिए, लेखापरीक्षा ने जांच की कि क्या मॉनीटरिंग मानवीय रूप से की गई थी या आईसीईएस के ट्रांसशिपमेंट मॉड्यूल के माध्यम से की गई जिसमें सीमाशुल्क, पत्तन प्राधिकारियों, आईसीडी और शिपिंग एजेंसी के बीच कंटेनरीकृत कार्गो की ट्रांसशिपमेंट के संदेशों का इलेक्ट्रॉनिकली आदान-प्रदान शामिल है।

मॉनीटरिंग की मानवीय प्रणाली में, यह आश्वासन प्राप्त करने के लिए कि आवधिक मिलान किया गया था, लेखापरीक्षा ने जांच की कि क्या आयात कार्गो के संबंध में आंरभिक पत्तन पर आईसीडी और सीएफएस द्वारा जारी लैडिंग प्रमाणपत्र सीमाशुल्क को प्रस्तुत किये गये है और निर्यात कार्गो के संबंध में गेटवे पत्तन से ईजीएम की प्रति के साथ शिपिंग बिल की पारगमन प्रति आईसीडी और सीएफएस द्वारा प्राप्त की गई थी।

लॉग स्टैडिंग कंटेनर जो अभिरक्षकों के भंडारण में जगह पर कब्जा करके रखते है, के लिए शामिल कारणों और कार्गो की प्रकृति की पहचान करने के नज़रिये से चयनित आईसीडी और सीएफएस पर लंबित अदावाकृत/अनिकासी कार्गो का विश्लेषण किया और राजस्व और पर्यावरण पर उसके प्रभाव की जांच भी की। लेनदेन स्तर पर, लेखापरीक्षा ने यह सुनिश्चित करने के लिए जांच की कि विनिर्दिष्ट आईसीडी के माध्यम से कुछ वस्तुओं पर आयात और निर्यात प्रतिबंध/निषेधों का पालन निष्ठापूर्वक किया गया था।

5.1.1 निर्यात कार्गो की गतिविधि की उचित मॉनीटरिंग की कमी

आईसीडी या सीएफएस से किसी अन्य गेटवे पोर्ट तक निर्यात कंटेनरों की ट्रांसशिपमेंट के लिए आईसीईएस में एक एक्सपोर्ट ट्रांसशिपमेंट मॉड्यूल (ईटीएम) कार्यान्वित किया गया है। कैरियर/अभिरक्षक द्वारा भेजा गया ट्रांसशिपमेंट बॉन्ड अब आईसीईसी आवेदन में पंजीकृत किया जाना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। एक ट्रांसशिपर को एक्सपोर्ट ट्रांसशिपमेंट परमिट (ईटीपी) आवेदन आईसीईएस में प्रस्तुत करना है जो संबंधित आईसीडी या सीएफएस के प्रिवेंटिव अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा और एक ईटीपी अनुमोदन परमिट जारी किया जाएगा, जिसे भेजे जा रहे कंटेनर के साथ लगाया जाना चाहिए। जैसे ही ईटीपी परमिट जारी हो जाए, बॉन्ड डेबिट किया जाएगा और एक्सर्पोंट जनरल मैनिफैस्ट (ईजीएम) की सफलतापूर्वक फाईलिंग के पश्चात समुचित रूप से पुन: क्रेडिट किया जाएगा।

लेखापरीक्षा को प्रदान की गई जानकारी से यह पाया गया कि नोयडा, कानपुर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, बोलपुर तथा कोलकाता पोर्ट कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले दो आईसीडी तथा सात सीएफएस में ईटीएम परिचालित नहीं किया गया था तथा नोयडा, मेरठ एवं शिलांग, उ.पू.रे कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले अन्य 4 आईसीडीज में इटीएम के परिचालन की स्थिति ज्ञात नहीं है (विवरण 11)।

सीजीएसटी कमिश्नरी, बोलपुर (दिसंबर 2017) ने बताया कि आईसीडी दुर्गापुर में आयातों या निर्यातों के लिए ईडीआईप्रणाली में संदेश विनिमय की सुविधा उपलब्ध नहीं है और डाटा का विनिमय हस्त्य रूप से किया जा रहा है।

चेन्नै कमिश्नरी में पब्लिक नोटिस सं.158/2016 दिनांक 13 जुलाई 2016 द्वारा चेन्नै पत्तन से जुड़े सभी आईसीडी और सीएफएस में जहां ईटीएम प्रस्तावित किए गए थे, आईसीडी और सीएसएफ से अन्य पत्तनों जैसे इन्नौर और कट्टुपल्ली पत्तनों पर कन्टेनरों के वाहनांतरण के लिए सीएफएस पर पदस्थापित सीमाशुल्क अधिकारियों को आईसीईएस की आवश्यक भूमिकाएं न सौपें जाने के कारण इटीएम का प्रचालीकरण नहीं किया गया है। इंगित किए जाने पर, विभाग ने बताया (अगस्त 2017) कि आईसीईएस में भूमिकाएं अभिरक्षकों द्वारा मांगे जाने पर दी जाढंगी।

आईसीडी और सीएफएस पर ईटीएम के गैर प्रचालीकरण के कारण आईसीडी और सीएफएस से अन्य पत्तनों/आईसीडी/ सीएफएस पर वाहनांतरित निर्यात कार्गो के वितरण की मॉनीटरिंग केवल बोर्ड के परिपत्र सं.57/98 दिनांक 4 अगस्त 1998 के अनुसार शिपिंग बिलों की हस्तांतरित प्रति द्वारा की जाती है।

उपरोक्त परिपत्र के अनुसार, आईसीडी/सीएफएस से निर्यातित माल के लिए शिपिंग बिलों की हस्तांतरित प्रति जो कि गेटवे पत्तन पर कार्गो के आगमन का प्रमाण है, को 90 दिनों के भीतर आईसीडी या सीएफएस पर प्राप्त किया जाना है।

नौ14 कमिश्नरी के तहत आने वाले तेरह आईसीडी और बारह सीएफएस में, अप्रैल 2016 से मार्च 2017 की अवधि के लिए शिपिंग बिलों की हस्तांतरण प्रति ऐसे माल के निर्यात की तिथि से 90 दिन बीत जाने के बाद भी प्राप्त नहीं की गई थी (विवरण 12)। बोलपुर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमाशुल्क कमिश्नरी के आईसीडी दुर्गापुर पर 2012-13 से 2014-15 तक की अवधि के लिए सीमाशुल्क प्राधिकरण द्वारा मिलान नहीं किया गया था। आईसीडी मुलुंड के संबंध में, विभाग ने बताया कि हस्तांतरण प्रतियों के सामयिक मिलान के लिए निर्देश दिए गए हैं।

निर्यात कार्गो के आवागमन की मॉनीटरिंग के लिए वैकल्पिक तंत्र होते हुए निर्यात वाहनांतरण मॉडयूल के गैर-प्रचालनीकरण और शिपिंग बिलों की हस्तांतरण प्रतियों के गैर मिलान ने मॉनीटरिंग को अपर्याप्त कर दिया है।

राजस्व विभाग ने बताया (फरवरी 2018) कि चेन्नई में ईटीएम प्रचालन में है। मुंबई I कमिश्नरी में, आईसीडी मुंलुंद में हस्तांतरणीय प्रतियां काफी अनुनय के बाद नियमित रूप से प्राप्त हो रही है जबकि पिछली अवधि हेतु हस्तांतरणीय प्रतियों की प्राप्ति के संबंधित मामले का अनुसरण किया जा रहा है।

शिलांग कमिश्नरी के संबंध में ईडीआई अमीनगांव में प्रचालित नहीं थी।

राजस्व विभाग ने लेखापरीक्षा टिपपणी की पु्ष्टि की कि आईसीडी/सीएफएस से गेटवे पोर्ट तक कंटेनर संचालन की मॉनिटरिंग न केवल दस्तावेजों के भौतिक संचलन पर ही बहुत अधिक आधारित है, जो सवयं कई जोखिमों से घिरा है, और जहाँ ईटीएम मॉडयूल को ईडीआई प्रणाली में कार्यशील किया गया है, वहाँ इस प्रणाली के माध्यम से शायद ही कोई मॉनिटरिंग की जा रही है।

5.1.2आयात कार्गो के आवागमन के लिए मॉनीटरिंग की कमी

सीबीईसी परिपत्र सं.46/2005-सीमाशुल्क दिनांक 24 नवम्बर 2005 के अनुसार, एक पत्तन से एक इन्लैंड पत्तन या आईसीडी या सीएफएस तक कन्टेनराइज्ड कार्गो का वाहनांतरण जहां भारतीय सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली (आईसीईएस) प्रचालित है, को स्वचालित किया गया है और इसमें सीमाशुल्क, पत्तन प्राधिकरणों, आईसीडी और शिपिंग एजेंटों के बीच संदेशों का इलेक्ट्रॉनिक विनिमय शामिल होगा। गन्तव्य आईसीडी या सीएफएस पर परिवाहक द्वारा आईसीईएस में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत कंटेनर आवक रिपोर्ट का गेटवे पोर्ट से प्राप्त पोतांतरण सूचना के साथ मिलान किया जाएगा जिसके आधार पर इन्लैंड पोर्ट/आईसीडी/सीएफएस द्वारा ‘उतराई प्रमाणपत्र’सूचना तैयार की जाएगी जिसे आईजीएम लाइनों को बंद करने हेतु गेटवे पोर्ट को भेजा जाएगा।

कोलकाता कमिश्नरी के अन्तर्गत आने वाले सभी 5 सीएफएस में और अन्य छ:15 कमिश्नरियों के अंतर्गत आने वाले 7 आईसीडी और 6 सीएफएस में आयात कार्गो की मॉनिटरिंग हस्त्य रूप से की गई थी तथा कार्गो के पोतांतरण के लिए सूचना का कोई इलेक्ट्रोनिक विनिमय नहीं किया जा रहा था (विवरण 13)।

इसके अलावा, उन कमिश्नरियों, जहां आयात पोतांतरण मॉड्यूल (आईटीएम) कार्यान्वित किया गया था, में भी कंटेनरों की प्राप्ति को दर्शाने वाला ‘उतराई प्रमाणपत्र’ आईसीडी के संरक्षक द्वारा गेटवे पोर्ट को हस्त्यरूप से जारी किया जा रहा है तथा बाण्ड को भी हस्त्यरूप से पुन: क्रेडिट किया गया है। लेखापरीक्षा ने बताया कि ‘उतराई प्रमाणपत्र’ तथा ‘बॉण्ड राशि के स्वचालित’ पुन: क्रेडिट’ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुतीकरण हेतु आईसीईएस में उचित प्रावधान शामिल करने की आवश्यकता है।

इसी प्रकार, गेटवे पोर्ट से सीएफएसज़ तक कंटेनरों का संचलन भी स्वचालित रहा है और आईसीईएस अनुप्रयोग के माध्यम से मॉनिटर किया जा रहा हैं परन्तु मॉड्यूल का कंटेनरों के वास्तविक गन्तव्य को सुनिश्चित करने में प्रभावी रूप से उपयोग नहीं किया जा सका। चेन्नई समुद्र सीमाशुल्क कमिश्नरी में, मॉडयूल में चार कंटेनरों के गन्तव्य स्थान को गेटवे डिस्ट्रीपार्क्स सीएफएस दर्शाया गया तथा तदनुरूपी बीईज में भी दर्शाया गया कि उस सीएफएस से निकासी दी गई थी। परन्तु पूछताछ करने पर संरक्षक ने बताया कि कोई कंटेनर प्राप्त नहीं हुए और उनके सीएफएस से कोई आउट ऑफ चार्ज (ओओसी) जारी नहीं किया गया था।

लेखापरीक्षा द्वारा विसंगति के बारे में बताए जाने के बाद ही चेन्नई सीमाशुल्क कमिश्नरी के कंटेनर संचालन सरलीकरण सैल (सीएमएफसी), जो इन कटेनरों के संचालन को मॉनिटर करता है, ने मामले की जांच की तथा बताया कि वास्तव में एक कंटेनर को सेज स्थान पर भेजा गया था तथा शेष तीन कंटेनरों को डायरेक्ट पोर्ट सुपुर्दगी (डीपीडी) के अंतर्गत पोर्ट से सीधे ले जाया गया था।

कंटेनरों के संचालन में स्वचालन के बावजूद कंटेनरों की इसके वास्तविक गन्तव्य स्थान के संदर्भ में ट्रैकिंग को विभाग द्वारा सुनिश्चित नहीं किया जा सका।

स्वचालन में कमियों के बारे में बताए जाने पर विभाग ने सूचना (अक्टूबर 2017) दी कि आईसीईएस में उतराई प्रमाणपत्र सूचना डालते हुए बॉण्ड के पुन: क्रेडिट को स्वचालित करने हेतु डीजी (सिस्टम), नई दिल्ली को लिखा गया है तथा कंटेनरों की स्थिति की पहचान करने के लिए आईसीईएस में अतिरिक्त प्रावधानों की आवश्यकता भी स्वीकार की गई है (नवम्बर 2017)।

राजस्व विभाग ने लेखापरीक्षा टिप्पणी को स्वीकार करते समय बताया (फरवरी 2018) कि वर्तमान समय में जेएनपीटी तथा आईसीडी तुगलकाबाद के बीच स्वचालित पोतांतरण मॉडयूल कार्यान्वित किया गया है और विस्तृत प्रक्रिया की संगणना डीजी, प्रणाली द्वारा की जा रही है और इसे सभी स्वचालित सीमा शुल्क स्थानों पर परिपत्रित किया जाएगा।

इसके अलावा, राजस्व विभाग ने स्वचालन में बताई गई कमियों पर प्रतिक्रिया में बताया कि आईसीईएस सॉफ्टवेयर में प्रावधान उपलब्ध है जिसमें संरक्षक इलेक्ट्रोनिक रूप में आवक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते है और बॉण्ड रि-क्रेडिट का स्वचालन भी कर सकते है। चूंकि समस्याओं की सूचना दी गई है तथापि इसमें परिशोधन किया जा रहा है।

अंतिम परिणाम प्रतीक्षित है।

5.2 अनिकासित कार्गो का लंबन

एचसीसीएआर 2009 के विनियम 6 (एम) के अनुसार दावा न किए गए, अनिकासित या परित्यक्त पड़े माल का निपटान 90 दिनों की अवधि, जिसे सीमा शुल्क कमिश्नर द्वारा पर्याप्त कारण दिखाए जाने पर बढ़ाया जा सकता है, के अंदर निर्दिष्ट तरीके से संरक्षक द्वारा किया जाए। संरक्षक सीमा शुल्क विभाग को निपटान हेतु विचार किए जाने के लिए पूर्ण ब्योरे जैसे उतराई बिल, माल का विवरण, भार, प्रेषिती/प्रेषक का नाम आदि सहित वस्तुओं की सूची प्रस्तुत करेगा।

85 चयनित आईसीडी तथा सीएफएस के संरक्षकों द्वारा प्रस्तुत अनिकासित कार्गो के ब्यौरों से यह देखा गया कि 117052.22 एम2 भंडारण स्थान लेने वाले 7877 कंटेनर 31 मार्च 2017 तक (विवरण 14) निपटान हेतु लंबित थे, जिसमें से 50390.26 एम2 भडारण स्थान लेने वाले 3391 कंटेनर 3 वर्ष से अधिक समय से निपटान हेतु लंबित थे। कंटेनरों की लंबित स्थिति तथा लंबित कार्गो के काल वार विश्लेषण के ब्यौरे नीचे दर्शाए गए है:

चित्र 19 : काल वार विश्लेषण

1 वर्ष से अधिक समय से लंबित 5774 कंटेनरों में से 4547 कंटेनर (79 प्रतिशत) निम्नलिखित पांच कमिश्नरियों में लंबित थे।

चित्र 20 : लंबन-शीर्ष पांच कमिश्नरियां

लंबित कंटेनरों की स्थिति की संवीक्षा से पता चला कि 353516 कंटेनर (45 प्रतिशत) विभिन्न चरणों पर विलंब के कारण 1 वर्ष से अधिक समय से अनिकासित पड़े है (परिशिष्ट III)।

तालिका 4
अनिकासित कार्गो के कारण
  लंबित कंटेनर
लंबन की स्थिति 3 वर्ष से अधिक 1 से 3 वर्षों के बीच
आगम पत्र भरने के बाद लंबित निकासी 351 273
यूसीसी सेक्शन 304 288
गोदाम निपटान 223 215
नष्ट किए गए 151 65
जब्त एवं रोका गया माल 1080 272
अन्य - 313
कुल 2109 1426

एक वर्ष से अधिक तथा 3 वर्षों से अधिक समय से लंबित अनिकासित कार्गो मामलों के विश्लेषण से पता चला कि निकासी में असामान्य विलंब निम्न के कारण था (i) सीमा शुल्क विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करना (ii) विभिन्न भागीदार सरकारी एजेंसियों (पीजीए) जैसे संयंत्र संगरोधन (पीक्यू), प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी), जन स्वास्थ्य कार्यालय (पीएचओ), भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानदंड प्राधिकरण (एफएसएसएआई) आदि द्वारा निकासी प्रमाणपत्र जारी करना (iii) कार्गो नष्ट करने हेतु आदेशों को कार्यान्वित करना (iv) उन मामलों में कार्गो का पुन: निर्यात करना जहां ऐसे पुन: निर्यात आदेश जारी किए गए थे।

दस17 कमिश्नरियों के अंतर्गत आने वाले चार आईसीडी तथा छ: सीएफएस में अनिकासित माल के निपटान हेतु कार्रवाई शुरू करने में विलम्ब के परिणामस्वरूप 1 से 12 वर्षों के बीच अवधि तक लंबित पड़े खराब होने वाले माल जैसे खाद्य वस्तुए, फल, दवाईयां, सुपारी, दाल आदि के 262 कंटेनरों को मानवीय खपत हेतु अनुपयुक्त माना गया था (विवरण 15)।

इसके अलावा, चेन्नई सीमाशुल्क कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले सात सीएफएस में टिम्बर/टीक के लट्ठों के 86 कटेनरों की निकासी 2 से 10 वर्षों तक की अवधि से लंबित थी। क्षेत्रीय पीक्यू अधिकारियों द्वारा माल को नष्ट करने का आदेश दिया गया था किंतु यह कार्य किया नहीं गया क्योंकि कमिश्नरी ने माल नष्ट करने के कारण होने वाली राजस्व हानि से बचने तथा लकड़ी के लट्ठों को जलाने के कारण पर्यावरण पर प्रभाव से बचने के लिए भी नई दिल्ली में पीक्यू मुख्यालय से मंजूरी मांगी थी।

जोधपुर कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले आईसीडी कोनकोर, कनकपुरा में 27 जिंदा बम तथा 19.4 एमटीएस युद्ध सामग्री स्क्रैप 2008 से बिना निपटान के पड़े थे जो गंभीर चिंता का कारण है। इसी तरह जोधपुर कमिश्ननरी के अंतर्गत आने वाले आईसीडी, उदयपुर तथा आईसीडी, भगत की कोठी में 195 कि.ग्रा. खाली कारतूस शैल तथा 102.8 एमटीएस युद्ध सामग्री स्क्रैप 2004 से बिना निपटान के पड़े थे।

चित्र 21 : आईसीडी भगत की कोठी जोधपुर में अनिकासित युद्ध सामग्री के फोटोग्राफ

हालांकि सीबीईसी ने दावा न किए गए तथा अनिकासित कार्गो के शीघ्र निपटान हेतु स्पष्ट प्रक्रियाएं18 निर्धारित की है, फिर भी यह तथ्य कि दावा न किए गए तथा अनिकासित माल के 7877 से अधिक कंटेनरों का निपटान नहीं किया गया था, बोर्ड के अनुदेशों के खराब अनुपालन को दर्शाते है। लेखापरीक्षा ने यह भी देखा कि अनिकासित पड़े 7877 कंटेनरों मेंं से 469 में खतरनाक सामग्री तथा नगरपालिका कचरा भरा है जो पर्यावरण तथा सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है (पैरा 5.3 देखें)।

लेखापरीक्षा ने देखा कि सीमाशुल्क अधिनियम की धारा 23 का सहारा लेने वाले कुछ आयातकों ने नियमित रूप से कंटेनरों को छोडा था। 31 मार्च 2017 तक चयनित आईसीडीज़/सीएफएसज में 838 कंटेनरों को आगम पत्र भरने के बाद छोड़े गया था जोकि अनिकासित पड़ा रहा (पैरा 5.4 देखे)।

राजस्व विभाग ने लेखापरीक्षा टिपपणी को स्वीकार करते समय बताया (फरवरी 2018) कि लंबे समय से लंबित कार्गों की कालबाधित रूप से निकासी करने के लिए प्रयास किए जा रहे है।

5.2.1 संरक्षक द्वारा प्रस्तुत अनिकासित कार्गो (यूसीसी) रिपोर्ट की जांच हेतु स्वतंत्र तंत्र की कमी

वर्तमान में अनिकासित/दावा न किए गए माल की लंबित सूची संरक्षक द्वारा उनके स्वयं के विशेष रूप से तैयार किए गए सॉफटवेयर का उपयोग करते हुए तैयार की जाती है तथा विभाग को प्रस्तुत की जाती है। तथापि, संरक्षक द्वारा प्रस्तुत की गई सूची में कई विसंगतियां देखी गई थी जिनका किसी स्वतन्त्र प्रति सत्यापन तंत्र के अभाव के कारण विभाग पता नहीं लगा सका था। नमूना जांच किए गए सीएफएसज़ में पता चले कुछ निदर्शी मामलों के ब्योरे नीचे दिए गए है:

सीएफएस, मै. मेरीगोल्ड लॉजिस्टिक्स (पी) लि. (बैंगलोर) में जुलाई 2015 तथा जनवरी 2016 के बीच आयातित दावा न किए गए कार्गो के सात कंटेनरों की आईसीडी द्वारा कमिश्नर, सीमाशुल्क को प्रस्तुत की गई मासिक तकनीकी रिपोर्टों (एमटीआरज) में सूचना नहीं दी गई थी।

कोलकाता (पोर्ट) कमिश्नरी में विशेष निपटान सैल (एसडीसी) केवल यूसीसी कार्गो के रिकार्ड/डाटा का रख-रखाव करता है जिसके लिए विभिन्न सीएफएस संरक्षकों द्वारा समय-समय पर निपटान हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा जाता है तथा यह विभिन्न सीएफएसज में यूसीसी के कुल लंबन पर डाटा का रख रखाव नहीं करता है।

कोलकाता (पोर्ट) कमिश्नरी ने (दिसंबर 2017) उत्तर दिया कि एसडीसी द्वारा डाटा प्राप्त एवं संकलित किया जा रहा है जैसे ही यह संरक्षकों द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और इस डाटा की सत्यता की जांच के लिए कोई तंत्र नहीं है।

पटपड़गंज कमिश्नरी में 2012-13 से 2016-17 के दौरान माल का निपटान ‘शून्य’ था जबकि इस अवधि के दौरान संरक्षक (सीडब्ल्यूसी) द्वारा प्रस्तुत अनिकासित कार्गो रिपोर्ट में 423 कार्गो को निपटान के रूप में दर्शाया गया था।

मुम्बई सीमाशुल्क जोन । कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले आईसीडी, मुलुंद में 17 कंटेनरों, जो आईसीडी में प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध थे, को उनके द्वारा अनुरक्षित मालसूची में नहीं दर्शाया गया था।

चेन्नई V सीमाशुल्क कमिश्नरी के तहत आने वाले आईसीडी इरनगटटूकोटई में माल, जो आवक तिथि से 180 दिनों से अधिक समय से अनिकासित पड़ा था, को संबंधित अवधि के दौरान आईसीडी की यूसीसी सूची में नहीं दर्शाया गया था जिसकी पुष्टि इस तथ्य से हुई कि अनिकासित/दावा न किए गए कार्गो की रिपोर्ट का कोई मासिक विवरण आईसीडी द्वारा कमिश्नरी को प्रस्तुत नहीं किया जा रहा था।

सीडब्ल्यूसी, विरूगुमबक्कम, चेन्नई VI सीमाशुल्क कमिश्नरी के अंतर्गत एक सीएफएस, में एक वर्ष से अधिक समय से अनिकासित पड़े माल के 472 लोट में से केवल 101 लोट के ब्योरे संरक्षक द्वारा अगस्त 2017 तक यूसीसी सैक्शन को प्रस्तुत किए थे।

चेन्नई V सीमाशुल्क कमिश्नरी के सैन्को सीएफएस में जून 2009 में आयातित दो कंटेनरों, जो लगभग 8 वर्षों से बिना खुले तथा बिना जांच के पड़े थे, की उनके मासिक विवरण में संरक्षक द्वारा सूचना नहीं दी गई थी। लेखापरीक्षा द्वारा बताए जाने पर विभाग ने बताया (सितम्बर 2017) कि प्रतिबधों के कारण कंटेनरों की जांच नहीं की गई थी क्योंकि ये खतरनाक थे और शीघ्र निपटान हेतु अन्य सीएफएसज में बिना खुले कार्गो के सभी ऐसे मामलों की पहचान करने के लिए कदम उठाए गए है।

राजस्व विभाग ने अपने उत्तर में बताया (फरवरी 2018) कि बैंगलुरू कमिश्नरी के संबंध में अनिकासित कार्गों के ब्यौरें अब मासिक रिपोर्ट में शामिल किए गए है और सात कंटेनरों में पड़े अनिकासित कार्गो का अब निपटान कर दिया गया है।

शेष मामलों में उत्तर प्रतीक्षित था।

5.3 खतरनाक कचरे की डंपिंग

प्रक्रिया हस्तपुस्तिका, संस्करणI, 2009-14 के पैरा 2.32.1 के अनुसार धातु कचरे, स्क्रैप का किसी रूप में आयात इस शर्त पर होगा कि इसमें खतरनाक, विषाक्त कचरा, रेडियोएक्टिव संदूषित कचरा/रेडियोएक्टिव सामग्री वाला स्क्रैप, किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र, गोला बारूद, सुरंग बम, शैल, जिंदा या उपयोग किए गए कारतूस या उपयोग की गई या अन्यथा किसी रूप में कोई अन्य विस्फोटक सामग्री नहीं होगी। पुराने तथा खराब रैग्स तथा पीईटी बोतलों/कचरे के आयात को आईटीसी (एचएस) की अनुसूची । के अंतर्गत निर्धारित आयात नीति के अनुसार विनियमित किया जाता है।

खतरनाक कचरा (प्रबंधन, व्यवस्था एवं ट्रांस बाउंड्री संचालन) नियमावली,2008 के अनुसार पूर्व लदान निरीक्षण प्रमाण-पत्र (पीएसआईसी) तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओइएफ) से अनुमति तथा राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी के बिना धातु स्क्रैप तथा उपयोग किए गए टायरों जैसे खतरनाक माल के आयात को आयातक द्वारा भारत में इसके पहुँचने की तिथि से 90 दिनों के अंदर माल के पुन: निर्यात करना अपेक्षित है और इसका कार्यान्वयन संबंधित राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।

संरक्षकों द्वारा 31 मार्च 2017 तक प्रस्तुत अनिकासित कार्गो (यूसीसी) के ब्योरों से पता चला कि धातु स्क्रैप, नगरपालिका कचरा, उपयोग किए गए टायरों जैसे खतरनाक कचरे के 469 कंटेनर एक से सत्रह वर्षों की अवधि तक अनिकासित पड़े रहे थे (विवरण 16)। इसमें आईसीडीज कनकपुरा, भगत की कोठी और उदयपुर में जिंदा बम, युद्ध सामग्री स्क्रैप (ऊपर पैरा 5.2 में पहले ही इंगित है), मुम्बई सीमाशुल्क जोन-II के अंतर्गत सीएफएस नवकर कार्पोंरेशन में उपयोग किए गए टायरों, धातु स्क्रैप तथा खतरनाक रसायनों के 92 कंटेनर, आईसीडी तुगलकाबाद में खतरनाक कार्गो के 15 कंटेनर और अन्य के साथ आईसीडी मुरादाबाद में मिश्रित कचरे के 50 कंटेनर शामिल थे। लेखापरीक्षा ने देखा कि विभाग ने उन मामलों सहित आयातकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई शुरू नहीं की थी जहां पुन: निर्यात आदेश जारी किए गए थे।

भारत में खतरनाक कचरे के आयात की कार्य प्रणाली की जांच से पता चला कि ऐसे आयात आंशिक रूप से सीमाशुल्क अधिनियम के तहत निम्नलिखित नियमों तथा प्रक्रियाओं में शिथिलता तथा आंशिक रूप से सीमाशुल्क अधिनियम में कमी के कारण हुए थे। कुछ निदर्शी मामलों पर नीचे चर्चा की गई है:

i अनिवार्य दस्तावेजों के बिना खतरनाक कार्गो का आयात

मुंबई सीमा शुल्क जोन ।। तथा नागपुर । कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले क्रमश: पांच19 सीएफएसज तथा एक20 आईसीडी में धातु कचरे तथा स्क्रैप, उपयोग किए गए टायरों के स्क्रैप के 197 कंटेनर 79 आयातकों द्वारा आवश्यक दस्तावेजों (पीएसआईसी, बिक्री ठेका, पीसीबी से प्रमाणपत्र, एमओईएफ से मंजूरी) के बिना अप्रैल 2007 तथा मार्च 2017 के बीच आयात किए गए थे जो बिना दावे के पड़े थे। इसमें मै. मुबई फेब्रिक्स प्रा.लि. के 20 कंटेनर शामिल है जो नियमित रूप से इस माल का आयात और इसकी निकासी कर रहा था।

इसके अतिरिक्त, सीडब्ल्यूसी लोजिस्टिक्स पार्क सीएफएस, मुम्बई के अंतर्गत चार आयातकों वाले पांच मामलों के संबंध में विभाग द्वारा पारित अधिनिर्णयन आदेशों में अनियमित आयातों के लिए बोर्ड परिपत्र सं. 56/2004, दिनांक 18 अक्टूबर 2004 में यथा निर्धारित अनिवार्य दस्तावेजों के बिना ऐसे कार्गो के लदान के लिए शिपिंग लाइनों पर कोई शास्ति नहीं लगाई गई थी।

चित्र 22 : आईसीडी, अजनी, नागपुर में बिना दावे के पड़ा धातु स्क्रैप
ii खुले समुद्र बिक्री के माध्यम से नगरपालिका कचरे का आयात

मुंबई सीमा शुल्क जोन । कमिश्नरी के अंतर्गत आने वाले आईसीडी मुलुंद में ‘पूराने कटे-फटे रैग्स तथा रग्स’ के 11 कंटेनरों का आयात मैसर्स स्पार्कग्रीन एनर्जी (अहमदनगर) प्रा.लि. द्वारा ₹ 2.53 लाख के अल्प मूल्य पर मै. नेटक्रेडल इंडिया प्रा. लि. से खुला समुद्र बिक्री (एचएसएस) पर किया गया था (सितम्बर 2016) और कार्गो को छोड़ दिया था। अधिक रुचिकर यह है कि मै. नेटक्रेडल इंडिया प्रा.लि. कम्प्यूटर संबंधी कार्यकलाप (वेबसाइट आदि का रख-रखाव) का कारोबार करता था और मै. स्पार्कग्रीन एनर्जी विद्युत परियोजना के कारोबार में था, अत: यह स्पष्ट है कि वे आयातित माल के अंतिम प्रयोक्ता नहीं थे।

चित्र 23 : आईसीडी मुलुंद में मै. स्पार्कग्रीन एनर्जी के छोड़े गए कंटेनर का फोटोग्राफ
iii गलत-घोषित कार्गो द्वारा नगरपालिका कचरे का आयात

तूतीकोरिन कमिश्नरी में, पांच आयातकों21 द्वारा मिश्रित प्लास्टिक कचरा, रद्दी कागज तथा कागज स्क्रैप के रूप में माल को गलत-घोषित कर 20 कंटेनर नगरपालिका कचरे का आयात किया गया था।

उपलब्ध ब्यौरे से यह पता चला कि 20 कंटेनरों में से 10 को सउदी अरब तथा संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात किया गया था। सभी मामलों में, तमिलनाडु प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी), तूतीकोरिन ने कार्गो की जांच की थी तथा प्रेषक को पुन: निर्यात की सिफारिश की थी। टीएनपीसीबी आदेशों के आधार पर, सीमा शुल्क विभाग ने आयातकों पर शास्ति लगाई थी तथा संरक्षक द्वारा मूल देश को कंटेनरों के पुन: निर्यात का आदेश दिया था। ये आदेश काफी पहले 2005 में और अभी 2015 में जारी कर दिए गए थे किंतु कार्गो के पुन: निर्यात हेतु आयातक द्वारा या संरक्षक द्वारा कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं की गई थी। अत: नगरपालिका कचरे के 20 कंटेनरों का दो से ग्यारह वर्षों की अवधि तक तूतीकोरिन आईसीडी में पड़े रहना जारी है।

नोएडा कमीश्नरी के सीएमए-सीजीएम लॉजिस्टिक्स पार्क प्राइवेट लिमिटेड, दादरी में, लेखापरीक्षा में पाया गया कि एक आयातकर्ता, मैसर्स आनंद ट्रिपलेक्स बोर्ड लि. ने विषय वस्तु को ‘रद्दी कागज’ के रूप में घोषित करके 19 जून 2009 से 27 जून 2009 के बीच 12 कंटेनरो का आयात किया परन्तु उसमें अत्यधिक दूषित नगरपालिका अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट आदि शामिल पाए गए थे। सभी कंटेनर साउथ हेम्पटन, यू.के . से आयात किये गये थे। यह देखा गया कि सभी कंटेनर 8 वर्षों की अवधि के बीच गैर निस्तारित पड़े हुए हैं।

इस प्रकार के माल को उत्पादक देश को पुन: निर्यात के लिए प्रक्रिया निर्धारण में विफलता और इस प्रकार की डंपिंग के लिए उत्तरदायी व्यक्ति की जवाबदेही निर्धारित करने में विफल होने के कारण नगरपालिका और खतरनाक अपशिष्ट की बड़े पैमाने पर डंपिग हुई।

डीओआर ने अपने उत्तर में बताया (फरवरी 2018) कि आईसीडी तुगलकाबाद, मुंबई I, मुबंई II, हैदराबाद तथा तुतीकोरिन कमिश्नरियों ने जुर्माना तथा शास्ति की उगाही से चूककर्ता आयातकर्ताओ के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की तथा कार्गो को फिर से निर्यात करने के आदेश दिए। मुंबई II कमिश्नरी ने आगे बताया कि अनिकासित खतरनाक कचरे का निपटान एजेसियों के साथ समन्वय मे समस्या के कारण समय लेने वाली एक प्रक्रिया है जो सुरक्षित निपटान के लिए ऐसे माल के लिए बोली लगा सकते है।

तथ्य यह है कि नगरपालिका अपशिष्ट की डंपिंग देश में एक बढता खतरा है अनिकासित खतरनाक कचरे का निपटान जिसे पृथक मामलों में कार्योत्तर कार्रवाई से नहीं निपटा जा सकता है। कठोर दंड के साथ कानूनों की मजबूती तथा संबंधित एजेन्सियों के बीच समन्वय स्थापित करके नगरपालिका कचरे की डंपिग को प्रभावी रूप से रोकने की आवश्यकता है।

जैसा कि अगले पैरा में बताया गया है कि सीमाशुल्क अधिनियम मे कुछ खण्ड जो ऐसे आयातो को प्रोत्साहित कर सकते है, की समीक्षा करने की आवश्यकता है।

5.4 सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 23 के तहत आयातकों को अनुचित लाभ।

सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 23 के अनुसार, आयातित माल का मालिक, धारा 47 के तहत घरेलू खपत हेतु माल की निकासी के आदेश एवं धारा 60 के तहत एक गोदाम में माल को जमा करने की अनुमति के एक आदेश से पहले किसी भी समय माल अपना अधिकार छोड़ सकता है और इसके बाद वह उस पर शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, बशर्ते कि इस प्रकार के किसी भी आयातित माल पर के मालिक को इस प्रकार के माल के अपने अधिकार को छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसके संबंध में यह प्रतीत होता है कि इस अधिनियम अथवा उस समय लागू किसी अन्य कानून के तहत अपराध होना माना गया है। तथापि, प्रावधान जिसके तहत माल को छोड़ा जा सकता है, उन शर्तो को निर्दिष्ट नहीं करते।

31 मार्च 2017 को, चयनित आईसीडी/सीएफएस में, आगम पत्र भरने के बाद 838 कंटेनर छोडे गए थे, जो निकासी के लिए शेष थे। अनिकासित कार्गो सूची की संवीक्षा से पता चला कि कुछ आयातकों ने नियमित रूप से कार्गो को परित्यक्त किया जबकि समान कार्गो का आयात करना जारी रखा और निकासी की। चैन्नई सीमाशुल्क कमिश्नरी में देखे गए इस प्रकार के मामले नीचे दर्शाये गए है:

  • मैसर्स लेटविंड श्री राम मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (2015-16 और 2016-17) ने ₹ 25.8 करोड़ मूल्य के 25 बीईज में ‘पवन चक्की के कल-पुर्जो’ का आयात किया और माल का परित्याग किया जो कि अनिकासित पड़े हुए थे जबकि समान अवधि के दौरान उसी प्रकार के आयात आयातक द्वारा निकाले गए थे।
  • अन्य आयातक मैसर्स काईजन कोल्ड फार्मड स्टील प्राइवेट लिमिटेड ने (2013-14 और 2014-15) ₹ 6.6 करोड़ मूल्य पर 89 बीईज मे ‘इस्पात कॉइल’ आयात किया परन्तु परित्यक्त माल अनिकासित पड़े हुए थे जबकि उसी समय पर उसी आयातक द्वारा समान कार्गो आयात किया गया था और निकासी की गई थी।
  • इसी प्रकार, मेसर्स फॉलकन टायरस लि. ने ₹ 3.2 करोड़ मूल्य के आठ बीईज में ‘सिंथेटिक बुटाइल रबड़’ (2013-14 और 2014-15) आयात किया और छोड़ दिया जो अनिकासित पड़े हुए थे यद्यपि आयातक ने समान कार्गो का आयात और निकासी को जारी रखा था।
  • मैसर्स इटंरनेशनल फ्लेवरस एण्ड फ्रैगनेन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (2012-13 और 2016-17) ने 26 बीईज के माध्यम से ₹ 2.60 करोड़ के मूल्य पर ‘फ्लेवरिंग एजेंटो’ का आयात किया था। 31 मार्च 2017 तक माल अनिकासित पड़े हुए थे, जबकि उसी समय पर समान आयात आयातक द्वारा निकासित किए गए थे।

लेखापरीक्षा में कोई अभिलिखित कारण नहीं पाए गए थे जिसने इस प्रकार के उच्च मूल्य वाले माल को जानबूझकर परित्यक्त करने के लिए आयातकों को प्रेरित किया हो। विशेष रूप से कार्गो के नियमित परित्यक्त करने के कारणों की समीक्षा करने तथा कार्गो को छोड़ने में किसी भी दुर्भावनापूर्ण संभावना का पता लगाने के लिए विभाग को बताया गया था विशेष रूप से जब इसमें परेषक के लिए विदेशी मुद्रा का बहुत बड़ा प्रेषण शामिल था।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) बताया कि सीबीसी कार्गो के लगातार परित्यक्त में अवैध इरादे से निपटने के लिए मुद्दे की जांच करेगा।

5.5 पर्यावरणीय विनियमों के अनिवार्य अनुपालन का अभाव

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) की अधिसूचना सं.एस.ओ. 2265 (एफ) दिनांक 24 सितम्बर 2008 के अनुसार, खतरनाक माल के प्रहस्तन, भण्डारण, पैकेजिंग, परिवहन आदि मे लगे सुविधा के प्रत्येक अधिभोगी के लिए (अभिरक्षक) राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड को आवेदन करना और आईसीडी के प्रारंभ होने की तिथि से साठ दिनों की अवधि के अन्तर्गत राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक होगा। उप नियम (2) के तहत राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिया गया निर्बाधन के साथ केन्द्रीय प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय समय पर निर्दिष्ट मानक परिचालक प्रक्रियाओं अथवा दिशा-निर्देशो के अनुपालन और खतरनाक माल के भण्डारण, परिवहन, नष्ट करने आदि के लिए सुविधाओं की पर्याप्तता को दर्शाते हुए बोर्ड द्वारा हस्ताक्षरित क्षेत्र निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति होगी।

खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हैंडलिंग एंड ट्रांस बाउंड्री मूवमेंट नियम 2008) के प्रावधानों (नियम 5) और जल अधिनियम (प्रदषूण नियंत्रण और रोकथाम) 1974 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति जो खतरनाक माल के भण्डारण, संग्रहण, निर्यात और आयात में लगा हुआ है, उसे राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड और केन्द्रीय प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करना आवश्यक है। इस प्रकार प्राप्त की गई एनओसी का समय-समय पर नवीकरण किया जायेगा।

लेखापरीक्षा में नमूना जांचित 85 में से 29 आईसीडी/सीएफएस द्वारा प्रस्तुत सूचना से, 12 आईसीडी और 11 सीएफएस ने सूचित किया कि राज्य/केन्द्रीय प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से सरंक्षको द्वारा मंजूरी प्राप्त नहीं की गई थी यद्यपि खतरनाक कार्गो का प्रहस्तन किया गया (विवरण 17)। इसके अतिरिक्त एक आईसीडी और छ: सीएफएस ने प्रदषूण नियंत्रण बोर्डों से आवश्यक एनओसी के नवीकरण के बिना विभिन्न अवधियों के लिए खतरनाक माल का प्रहस्तन और भण्डारण किया जिसका ब्यौरा नीचे दिया गया है:

तालिका 5
खतरनाक कार्गो का अनधिकृत प्रहस्तन
क्रम सं. सीएफएस, आइसीडी और सीमा-शुल्क कमिश्नरी का नाम खतरनाक माल के प्रहस्तन के लिए अनुमोदन तिथि प्रहस्तन की अवधि खतरनाक कार्गो के प्रकार
1 स्पीडी मल्टीमोड्स लि., न्हावा शेवा-IV 5 दिसम्बर 2016 अक्टूबर 2011 से सितम्बर. 2016 डायोक्साबाइसीक्लो ऑक्टेन एथाईल एसीटेट, शीतल गैस, डाइक्लोफेनस सोडियम
2 सीडब्ल्यूसी लोजिस्टिक्स पार्क, न्हावा शेवा-III 3 सितम्बर 2014 जनवरी 2012 से अगस्त 2014 अमीनो 4 क्लोरोबेंजीन ट्राइफ्लोराइड, एम्पटी क्लोरीन सिलेंडर, जिंक एेश
3 आईसीटी एण्ड आईपीएल (पूर्व में यूनाइटेड लाइनर एजेन्सी), नहावा शेवा-III 1 दिसम्बर 2016 मार्च 2011 से नवम्बर 2016 सोडियम साइनाइड, ऐक्रेलिक एसिड, टेरापैथलॉय, शीतल गैस
4 कॉन्टीनेंटल वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन, न्हावा शेवा -I 19 दिसम्बर 2016 मार्च 2011 से नवम्बर 2016 छर्रे, पेंट, कच्ची ऊन, 2,2 डाईथियोडिबेन्जोइक एसिड
5 पंजाब स्टेट एण्ड कंटेनर वेयरहाऊस कार्पोरेशन, न्हावा शेवा -III 13 अक्टूबर 2014 मार्च2011 और अक्टूबर 2014 छर्रे, पेंट, अलकालायट बेंजीन, ग्रीज
6 नवकार कार्पोरेशन लि., न्हावा शेवा-V 3 सितम्बर 2014 मार्च 2011 से अगस्त 2014 फेरस सल्फेट पाउडर, पटाखे
7 आईसीडी, अजनी, नागपुर I कमिश्नरी पीसीबी प्रमाणपत्र बिना माल प्रहस्तित जुलाई 2016 से मार्च 2017 मैटल स्क्रैप, खतरनाक अपशिष्ट

स्रोतः स्थानीय सीमा शुल्क कमीश्नरी द्वारा प्रस्तुत डाटा

न्हावा शेवा बंदरगाह से जुडे उपरोक्त उल्लेखित छ: सीएफएस ने उपयुक्त प्राधिकरण से उचित अनुमोदन प्राप्त करने से पहले ही खतरनाक कार्गो का अनधिकृत निपटान किया था और इसके कारण अन्य कार्गो और मानव जीवन की सुरक्षा को जोखिम में डाला गया था।

कोलकाता (पोर्ट) कमीश्नरी ने बताया (दिसंबर 2017) कि सीएफएस सीडब्ल्यूसी, कोलकाता ने मंजूरी के लिए पीसीबी को आवेदन किया तथा अन्य लेखापरीक्षित सीएफएसज ने सूचित किया कि उन्हे अपने परिसर के लिए पीसीबी की निकासी की आवश्यकता नही है क्योंकि वे विनिर्माण/प्रंसस्करण/रिसाईक्लिंग यूनिटे नही है। हालांकि जेन सेट के लिए उनके पास पीसीबी मंजूरी है। सीएफएस एलसीएल लॉजिस्टिक, हल्दिया ने सूचित किया कि वे अपने जेनसेट के लिए पीसीबी मंजूरी कलिए आवेदन कर रहे है। विभाग ने बताया कि सीएफएस के लिए पर्यावरण जोखिम आकलन के मानदंडों को लागू करने के लिए सीमा शुल्क प्राधिकरण को सशक्त करने के लिए एचसीसीएआर 2009 में कोई स्पष्ट प्रावधान उपलब्ध नही है।

आगे, सीजीएसटी कमीश्नरी, बोलपुर ने बताया (दिसंबर 2017) कि राज्य एवं केन्द्रीय प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड़ से मंजूरी की आवश्यकता नही है क्योकिं आईसीडी, दुर्गापुर में कोई प्रदषूण उत्पन्न करने वाली मशीन नही है।

उत्तर स्वीकार्य नही है क्योंकि आईसीडी पूर्वानुमान नही कर सकता कि भविष्य में आईसीडी खतरनाक माल को नही संभालेगा। यदि आवश्यकता होगी तो मंत्रालय एचसीसीएआर 2009 में तदानुसार संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि सीबीईसी लेखापरीक्षा की आपत्ति के विषय में सभी संरक्षकों के मुख्य आयुक्त को सूचित करने पर विचार कर रही है तथा उनसे सभी संरक्षकों को उचित अनुदेश जारी करने को कहा गया है।

5.6 निषिद्ध और प्रतिबंधित माल का आयात और निर्यात

सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 2(33) मे यथा परिभाषित ‘‘निषेध माल’’ का अर्थ है ‘‘ऐसा माल जिसका आयात एवं निर्यात सीमाशुल्क अधिनियम के तहत एवं उस समय पर लागू किसी अन्य कानून के तहत किसी भी प्रतिबंध के अध्यधीन है’’। इस प्रकार, किसी भी अन्य कानून के तहत प्रतिबंध को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत लागू किया जा सकता है। विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1962 की धारा 3 और 5 के तहत, केन्द्र सरकार ऐसे माल के निर्यात और आयात को प्रतिबंधित करने, निषेध करने एवं नियमित करने के लिए प्रावधान बना सकती है, जो डीजीएफटी, वाणिज्य विभाग, द्वारा निर्धारित एफटीपी मे परिलक्षित है। कुछ माल आयात और निर्यात के लिए पूर्णतया निषेध किये गए हैं जबकि कुछ माल एक लाइसेन्स के तहत और/अथवा कुछ प्रतिबंधों के साथ आयात एवं निर्यात किये जा सकते है।

कुछ उत्पादों द्वारा अनिवार्य भारतीय गुणवत्ता मानको (आईक्यूएस) का अनुपालन आवश्यक हैं और इस उद्देश्य के लिए भारत में इन उत्पादों के निर्यातकों को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) में अपने आप को पंजीकृत कराना आवश्यक है।

सीमा शुल्क की जवाबदेही है कि वह एफटीपी और अन्य संबद्ध अधिनियमों के तहत माल के आयात और निर्यात पर लगाये गये निषेधों और प्रतिबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करें। कुछ विशिष्ट माल के आयात और निर्यात अन्य नियमों जैसा कि पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम, वन्य जीव अधिनियम, आयुध अधिनियम, आदि के तहत निषेध/प्रतिबंधित किये जा सकते है और इन पर सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के दंडनीय प्रावधान लागू होंगे जिससे उपरोक्त अधिनियम की धारा 111 (डी)- आयात के लिए और निर्यात के लिए-113 (डी) के तहत ऐसे माल जब्ती योग्य होगें। इस प्रकार, सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 के दंडनीय प्रावधानो के उद्देश्य से इन संबद्ध विधानों के प्रावधानो को समझना सुसंगत है।

प्रतिबंधित मदों का आयात तथा निर्यातः चेन्नैIV कमीश्नरी के अन्तर्गत आने वाले आईसीडी कणकोर, टोन्डियापेट में, ₹ 0.89 करोड़ मूल्य के मदों वाले 43 परेषण, जिनका निर्यात प्रतिबंधित था, संबंधित निर्यात/आयात की अवधि के दौरान माल पर प्रतिबंध लागू होने के बावजूद निर्यात किये गए पाए गए थे (विवरण 18)।

निषिद्ध माल का आयात तथा निर्यातः चार कमीश्नरी के तहत आने वाली चार22 आईसीडी में, निषिद्ध माल यानि स्टील सीट, स्टील मेल्टिंग स्क्रैप, ड्रग्स तथा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट आदि के 49 कंसाइनमेंट आयात के लिए निकाले गए थे तथा निषिद्ध माल जैसे एरी कोकून निर्यात के लिए अनुमत किये गए थे, तीन कंसाइनमेंट के संदर्भ में कार्गो की कीमत ₹ 9.03 करोड़ थी। शेष कंसाइनमेंट की कीमत लेखापरीक्षा को उपलब्ध नही कराई गई थी। हालांकि उन वस्तुओं के संदर्भ में क्रमशः एमओईएफ से अनिवार्य निकासी या आईटीसी (एचएस) आयात और निर्यात नीति की अनुसूची 1 तथा अनुसूची 2 में निर्दिष्ट शर्तो की पूर्ति के लिए दस्तावेज प्रस्तुत नही किये गए थे (विवरण 19)। कुछ मामलों को नीचे दर्शाया गया हैः

  • 31 दिसम्बर 2016 तक यथा संशोधित, दवाएं और सौंदर्य प्रसाधन नियमावली, 1945 की धारा 43ए के अनुसार, विनिर्दिष्ट बदंरगाहों और आईसीडी के माध्यम को छोड़कर कोई भी दवाएं भारत में आयात नहीं की जांएगी। दिनांक 19 मार्च 2007 की सार्वजनिक सूचना में, अहमदाबाद सीमा-शुल्क कमिश्नर ने आईसीडी के माध्यम से दवाएं और औषधीय माल का आयात प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी किए थे।

    आईसीडी खोडियार, गांधीनगर में, सीमा शुल्क टैरिफ के अध्याय 30 के तहत आने वाली दवाएं और औषधीय उत्पादों के 14 परेषण 2012-13 से 2016-17 के दौरान आयात किए गए थे और निकासी की गई थी। इन आयातों पर कमीश्नर द्वारा लगाये गए प्रतिबंध लागू नहीं किये गये थे और विभाग ने आईसीडी के माध्यम से इस माल की निकासी की अनुमति दी थी।
  • अध्याय-2 (विदेशी व्यापार नीति 2009-14) के पैरा 2.32 के अनुसार, धातु अपशिष्ट, स्क्रैप का किसी भी रूप में आयात, इस शर्त के अध्यधीन होगा कि इसमें खतरनाक, विषैला अपशिष्ट, रेडियोधर्मी दूषित अपशिष्ट/स्क्रैप जिसमें रेडियोधर्मी सामग्री, किसी भी प्रकार के शस्त्र, गोलाबारूद, सुरगें, गोले, जीवित एवं उपयोग किये जा चुके कारतूस एवं किसी भी रूप में किसी प्रकार की विस्फोटक सामग्री या तो उपयोग की गई या अन्यथा शामिल नहीं होंगे और स‍क्रै्प का आयात केवल निर्दिष्ट नामांकित बदंरगाहो के माध्यम से किया जायेगा। आईसीडी वेरना को इस प्रकार के आयात के लिए निर्दिष्ट नहीं किया गया था। गैर मिश्र धातु इस्पात मैलटिंग स्क्रैप के 19 कंटेनर (506.79 मिट्रिक टन) मर्मगोवा स्टील लि. द्वारा आईसीडी वेरना के माध्यम से आयात किए गए थे जिनकी आईसीडी के माध्यम से निकासी की गई थी यद्यपि आईसीडी वेरना स्क्रैप प्रहस्तन के लिए निर्दिष्ट बंदरगाहों की सूची में शामिल नहीं किया गया था।

डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) ने बताया कि नोएडा सीमा शुल्क में प्रतिबंधित वस्तुओं की मंजूरी केवल एमओईएण्डएफ द्वारा जारी आयात लाइसेंस की प्रस्तुति पर ही दी गई है। तुगलकाबाद कमीश्नरी में, जुर्माना एवं शास्ति के अलावा जब्ती प्रस्ताव के लिए कारण बताओ ज्ञापन जारी किया गया था।इसके अलावा आईसीडी, खोडियार, अहमदाबाद में आयातित वस्तु फार्मयुस्टिकल दवा थी जिसे इस तथ्य को देखते हुए मंजूरी दे दी गई थी कि इस पर समाप्ति तिथि है और दूषित हो सकता है यदि इसे नियत अवधि के अंदर मंजूरी नहीं दी गई। आईसीडी वर्ना, गोवा में गैर-मिश्र धातु इस्पात पिघलने वाले स्क्रैप (506.79 मीट्रिक टन) का एक परेषण हार्बर में मार्मागोआ पोर्ट के माध्यम से आयात किया गया था लेकिन पूर्व अनुमति के साथ आईसीडी वर्ना में संग्रहीत किया गया था।

डीओआर का उत्तर स्वीकार्य नही है क्योंकि नोयडा आयुक्त के तहत आयात के मामले में उपरोक्त आयातित लाईसेंस को लेखापरीक्षा को प्रस्तुत नही किया गया था। अहमदाबाद द्वारा प्रतिबंधित सूची में होने के बावजूद प्रतिबंधित दवाओं की निकासी के लिए इन तथ्यों की तुलना में अधिक विश्वसनीय औचित्य की आवश्यकता है कि दवाओं की समाप्ति तिथि आ रही थी। आईसीडी वर्ना में धातु स्क्रैप का भंडारण गैरकानूनी था क्योंकि आईसीडी मेटल स्‍क्रैप को संभालने के लिए अधिकृत बंदरगाहों की सूची में नहीं है।

5.7 सरकारी राजस्व का संरक्षण

5.7.1 विदेशी मुद्रा की वसूली न करना

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर फिरती नियमावली, 1995 के उप-नियम 16ए(1) के साथ पठित, सीमा-शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 75(1), के प्रावधानों के अनुसार, जहां फिरती की राशि एक निर्यातक को भुगतान की गई है परन्तु इस प्रकार निर्यात माल के संबंध में बिक्री मुनाफा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (एफईएमए) 1999 के तहत अनुमत समय के अन्दर वसूल नहीं किया गया है, वहां इस फिरती राशि को वसूल किया जाना है। उपनियम 16ए(2) यह निर्धारित करता है कि यदि निर्यातक (एफइएमए) 1999 के तहत अनुमत अवधि अथवा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विस्तारित अवधि के अन्दर निर्यात मुनाफे की उगाही के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो सहायक/उप कमीशनर सीमाशुल्क निर्यातक को निर्यात मुनाफे की उगाही के साक्ष्य को प्रस्तुत करने के लिए एक नोटिस जारी करेगा, ऐसा नहीं करने पर दावेदार को भुगतान की गई फिरती राशि की वसूली के लिए एक आदेश पारित किया जाएगा।

  • सात23 कमिशनरियों के तहत नौ आईसीडी में, विभाग ने निर्यातों के 35092 परेषणो में ₹ 534.9 करोड़ के शुल्क फिरती की वसूली के लिए कोई कार्रवाही प्रारंभ नहीं की थी जहां ₹ 3838.46 करोड़ की विदेशी मुद्रा वसूली के लिए शेष रह गई। विवरण 20 में ब्यौरे प्रस्तुत किये गये हैं।

    चार24 कमिशनरी के तहत नौ आईसीडी में से चार आईसीडी में, 31 दिसम्बर 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बकाया विवरण (आरबीआई-एक्सओएस) से इसकी पुष्टि की गई थी कि ₹ 3692.43 करोड़ राशि के निर्यात मुनाफे , 31 मार्च 2016 से पहले दायर 34013 एसबीज में उगाही नहीं किये गये थे जिसमें ₹ 208 करोड़ की शुल्क फिरत शामिल थी। लेखापरीक्षा में इंगित किया गया था कि विभाग द्वारा सम्मिलित शुल्क फिरती की वसूली के लिए कोई कार्रवाही प्रारंभ नहीं की गई थी।.

    तूतीकारीन कमीश्नरी ने बताया (अक्टूबर 2017) कि 2012 से अब तक लम्बित बैंक वसूली प्रामणपत्र (बीआरसीज) के लिए निर्यातकों को 125 कारण बताओ ज्ञापन (एससीएनज) जारी किये गए थे तथा लम्बन को कम करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया है।

    हालाँकि, वसूली के कोई ब्यौरे प्रस्तुत नहीं किये गए है तथा उत्तर प्रतीक्षित है।
  • आईसीडी मुलुंड में, विभाग ने 54 मामलों में मांग की पुष्टि की थी और आदेश दिया था कि ₹ 13.95 करोड़ के शुल्क फिरती का प्रतिदाय किया जाना आवश्यक था क्योंकि 2 से 8 वर्षों की अवधि बीत जाने के बाद भी निर्यात मुनाफे की उगाही नहीं की गई है। इन मूल-आदेशों (ओआईओ) के संबंध में सम्बद्ध दलों द्वारा कोई भी अपील दायर नहीं किये जाने के कारण, सीमा-शुल्क अधिनिमय, 1962 के अनुसार विभाग को वसूली कार्रवाई प्रारंभ करनी चाहिए। ₹ 13.95 करेाड़ के शुल्क फिरती की वसूली के लिए कार्रवाई प्रारंभ करने में विलम्ब के विषय में विभाग को बताया गया था।

उत्तर में, विभाग ने बताया कि 46 मामलों में ₹ 8.50 करोड़ की फिरती राशि की वसूली के लिए कार्रवाई की पहल चल रही है और ₹ 4.97 करोड़ की फिरती वाले 7 मामलों में कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि निर्यातकों ने अपील की हुई है। ₹ 0.48 करोड़ की फिरती वाले एक मामले में आरोप हटा दिये गये थे।

तथापि, विभाग सीमाशुल्क अधिनियम की धारा 142 की शर्तो में फिरती राशि की वसूली करने में विफल रहा था जो निवारक नोटिस जारी करने एवं संपत्ति की जब्ती द्वारा वसूली करने का प्रावधान करता है।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) बताया कि बेगंलुरू कमिश्नरी में मै. ई-लेंड अपैरल लि. (जिसेपहले मुद्रा लाईफस्टाइल लि. के रूप में जाना जाता था) ने ई-बीआरसी प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त,निर्यात आय की गैर-वसूली के लिए दो अन्य निर्यातकों जिनके नाम मै. इंडसर ग्लोबल लि. और मै. यूबी ग्लोबल लि. है को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

तुतिकोरीन, चैन्ने-IV, जोधपुर, हैदराबाद और मुंम्बई जोन 1 में जहां निर्यात आय की वसूली नहीं हुई है वहां मामलों में फिरती की वसूली के लिए कमिश्नरी कार्यवाही प्रारंभ की गई है।

निर्यातकों द्वारा प्राप्त किये गए शुल्क लाभों के स्थान पर विदेशी मुद्रा वसूली प्राप्ति की निगरानी की विफलता ₹ 534.9 करोड़ की संपूर्ण राजस्व माफी पर प्रश्न लगाती है।

5.8 आन्तरिक नियंत्रण और आन्तरिक लेखापरीक्षा

आन्तरिक लेखापरीक्षा तथा निरीक्षण सहित आन्तरिक नियंत्रण एक महत्वपूर्ण प्रबंधन साधन है और कारोबारी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए एक इकाई के प्रबंधन द्वारा अपनाई गई सभी पद्धतियों और प्रक्रियाओं को शामिल करता है। लेखापरीक्षा आन्तरिक नियंत्रण की प्रभावशीलता का आंकलन करने के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का अनुपालन,परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए तंत्र धोखाधड़ी को रोकने और पता लगाने के साथ दुरूपयोग को रोक ने और उसे पहचानने के लिए प्रणलिएां, और डाटा प्रबंधन प्रणाली, आन्तरिक रिपोर्टिंग और लेखांकन जैसे मानदंडों की जाँच करती है। इसके लिए लेखापरीक्षा आन्तरिक अभिलेखों, फाइलों, बैठक के कार्यवृत्त, निरीक्षण रिपोर्टों और लेखापरीक्षा निष्कर्ष प्राप्त करने के लिए निरीक्षण रिपोर्टों पर की गई कार्रवाई पर विश्वास करती है।

5.8.1 अभिरक्षकों द्वारा बॉण्ड, बैंक गारंटी और बीमा के क्रियान्वयन में कमी

एचसीसीएआर, 2009 के पैरा 5(3) के अनुसार, अभिरक्षक को निम्न क्रियान्वित करना है:

  • आयातित माल पर शामिल शुल्क की औसत राशि के बराबर तथा 30 दिनों की अवधि के दौरान सीमा शुल्क क्षेत्र में भण्डार किए जाने हेतु सम्भावित निर्यात माल के मूल्य के दस प्रतिशत के बराबर एक बॉण्ड;
  • इस प्रकार के शुल्क के दस प्रतिशत के बराबर एक बैंक गारंटी प्रस्तुत करना (बीजी) अथवा नकदी जमा करना;
  • अनुमानित क्षमता के आधार पर 30 दिनों की अवधि के लिए सीमा शुल्क क्षेत्र में भण्डार किए जाने हेतु संभावित माल के औसत मूल्य के बराबर राशि के लिए बीमा।

इसके अतिरिक्त, परिपत्र सं. 42/2016 दिनांक 31 अगस्त 2016 के अनुसार, अभिरक्षक द्वारा लिए जाने वाले बॉण्ड और बीमा की गणना के उद्देश्य के लिए भंडारण अवधि 30 दिनों से 10 दिनों तक कम कर दी गई है।

नमूना जांच के लिए चयनित 44 आईसीडी में से सात25 कमिश्नरियों के अन्तर्गत आने वाले 7 आईसीडी में अभिरक्षकों द्वारा ₹ 703.62 करोड़, ₹ 1.75 करोड़ और ₹ 398.97 करोड़ राशि के क्रमश: भण्डार बॉण्ड, बीजी तथा बीमा के कम क्रियान्वयन देखे गए थे ( विवरण 21 )

इसी प्रकार, नमूना जांच के लिए चयनित 41 सीएफएस में से पांच26 कमिश्नरियों के तहत आने वाले पंद्रह सीएफएस मेंअभिरक्षकों द्वारा भंडारित बॉण्ड, बीजी और बीमा के क्रमश: ₹ 450.38 करोड़, ₹ 39.06 करोड़ और ₹ 8530.40 करोड़ की राशि के कम निष्पादन देखे गए थे (विवरण 22)

मुम्बई सीमा शुल्क क्षेत्र 1 कमिश्नरी के तहत आने वाले आईसीडी, मुंलुड के अभिरक्षक मैसर्स कॉनकोर ने अपने संचालन (1995) से और यहां तक कि एचसीसीएआर, 2009 के लागू होने के बाद भी किसी भी भंडारण बॉण्ड का क्रियान्वयन नहीं किया था। ₹ 44.51 करोड़ की बॉण्ड राशि का निष्पादन न करने के कारण आईसीडी के संरक्षण में भंडारित माल के संबंध में विभाग द्वारा सीमा शुल्क राजस्व सुरक्षित नहीं किया गया था।

तुगलकाबाद कमिश्नरी के तहत आने वाले आईसीडी तुगलकाबाद में, अभिरक्षक ने केवल 01 फरवरी 2017 को 17 मार्च 2014 से 16 मार्च 2019 की अवधि के लिए ₹ 1051 करोड़ का एक बॉण्ड निष्पादन किया था जो यह दर्शाता है कि आईसीडी किसी भी भंडारण बॉण्ड के बिना लगभग 3 वर्षो से कार्य कर रहा है।

पटपड़गंज कमिश्नरी के तहत आने वाले आईसीडी पटपड़गंज में, अभिरक्षक (कंटेनर वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन) ने 21 मार्च 2016 को पूर्व भंडारण बॉण्ड के व्यपगत होने के 15 महीनों के बाद 12 जून 2017 को केवल ₹ 100 करोड़ के अभिरक्षक सह वाहक बॉण्ड का नवीकरण करवाया था।

यद्यपि शिलांग एनईआर कमिश्नरी के तहत आईसीडी अमीनगॉव आईसीडी 01 जून 1986 से परिचालित हुआ परन्तु अभिरक्षक (कॉनकोर) ने 23 जून 2017 को केवल ₹ 8 करोड़ का बॉण्ड निष्पादित किया था।

मुम्बई सीमाशुल्क क्षेत्र II कमिश्नरी के तहत मैसर्स स्पीडी ट्रांस्पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को अधिसूचना सं. 16/2005 दिनांक 30 दिसम्बर 2005 के द्वारा सह सरंक्षक के रूप में अधिसूचित किया गया था परन्तु विभाग ने 2010 से 2016 तक लाइसेन्स के नवीकरण के समय भी अर्थात एचसीसीएआर, 2009 के लागू होने के बाद भी अभिरक्षक द्वारा बीजी निष्पादित कराने पर जोर नहीं दिया था।

मुम्बई सीमाशुल्क क्षेत्र II कमिश्नरी के तहत आने वाले मेसर्स सीडब्ल्यूसी लोजिस्टक पार्क, सीएफएस के संबंध में, भंडारित माल के संबंध में 15 मई 2015 से 30 दिसम्बर 2015 तक की अवधि के दौरान कोई भी बीमा कवरेज नहीं किया गया था।

कोलकाता (बंदरगाह) कमिश्नरी के तहत एक सीएफएस मैसर्स बॉमर लारी एण्ड क. लि. को पी.एन. 104/94 दिनांक 01 नवम्बर 1994 के द्वारा अभिरक्षक नियुक्त किया गया था और एचसीसीएआर 2009 के लागू होने के बाद भी, अभिरक्षक ने विनियमन 5(3) के अनुसार निष्पादित किये जाने वाले आवश्यक किसी बॉण्ड को जमा नहीं किया था।

कोलकता बंदरगाह ने बताया (दिसंबर 2017) कि सीएफएस को वर्ष 2016-17 के लिए आयात कीमत, निर्यात कीमत और आयात ड्युटी पर डाटा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है और उक्त डाटा के आधार पर, सीएफएस को संशोधित बैंक गारंटी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

डीओआर ने अपनी प्रतिक्रिया में (फरवरी 2018) बताया कि अभिरक्षकों से लेखापरीक्षा आपतियों का अनुपालन करने का अनुरोध किया गया है।

5.8.2 सीमाशुल्क कर्मचारी तैनाती और लागत वसूली प्रभार

एचसीसीएआर 2009 के विनियम 5(2) के अनुसार, सरंक्षक ऐसे सीमाशुल्क क्षेत्रों पर कमिश्नर द्वारा नियुक्त सीमाशुल्क अधिकारियों की नियुक्ति की लागत करने के लिए वचनबद्ध होगा और लागत वसूली के आधार पर निर्धारित दरों पर निर्धारित ढंग से भुगतान करेगा, जब तक इनको भारत सरकार के वित्त मंत्रालय किसी आदेश के द्वारा विशिष्ट छूट प्राप्त नहीं होती।

सीबीईसी नियमपुस्तक के अध्याय 27 के पैरा 4 के अनुसार, आईसीडी/सीएफएस पर सीमाशुल्क निकासी के उद्देश्य से बोर्ड के प्रशासनिक विंग द्वारा मंजूरी आदेश जारी करके लागत वसूली के आधार पर सीमाशुल्क कर्मचारियों की तैनाती की जाती है। अभिरक्षक को आईसीडी अथवा सीएफएस पर वासतव में तैनात अधिकारियों के कुल वेतन के 185 प्रतिशत की दर पर भुगतान करना आवश्यक है जो प्रत्येक तिमाही के लिए अग्रिम भुगतान किया जाना है।

आईसीडी/सीएफएस के लागत वसूली पदों, जो गत दो वर्षों के लिए निम्नलिखित निष्पादन बैंचमार्क के साथ दो लगातार वर्षों से प्रचालन में रहे हैं, के नियमन के लिए विचार किया जायेगा।

  • आईसीडी द्वारा संभाले गए कन्टेनरों की सं.-7200 टीईयू प्रति वर्ष
  • सीएफएस द्वारा संभाले गए कन्टेनरों की सं.- 1200 टीईयू प्रति वर
  • आईसीडी/सीएफएस द्वारा प्रसंस्करित बी/ई की सं.-आईसीडी के लिए 7200 प्रति वर्ष और सीएफएस के लिए 1200
  • स्टाफिंग प्रतिमानों के अनुसार केवल निर्यात से संबंधित इन आईसीडी/सीएफएस के लिए (i) से (iii) तक बेंचमार्क 50 प्रतिशत तक घटाये जायेंगे।

तथापि, लागत वसूली प्रभारों की छूट पिछली अवधि के लिए किसी दावे के बिना भावी प्रभाव वाली होगी।

नमूने के तौर पर चयनित 44 आईसीडी में से 1227 कमिश्नरियों के तहत आने वाले 15 आईसीडी में लागत वसूली प्रभार लम्बित थे जिनकी ग्यारह आईसीडी में वसूली योग्य राशि ₹ 20.11 करोड़ थी और शेष 4 आईसीडी में वसूलने योग्य सीआरसी की राशि का पता नहीं लगाया जा सका (विवरण 23)।

उसी प्रकार, कमिश्नरी रिकार्डों और नमूना जांच के लिए चयनित 41 सीएफएस में, लेखापरीक्षा ने देखा कि दस28 कमिश्नरियों के अन्तर्गत आने वाली 23 सीएफएस में सीआरसी बकाया थी, जिसकी 11 सीएफएस में वसूली योग्य राशि ₹ 18.24 करोड़ थी और बाकी 12 सीएफएस में वसूली योग्य राशि को निर्धारित नहीं किया जा सका (विवरण 24)।

अपने उत्तर में डीओआर ने (फरवरी 2018) बताया कि आईसीडी तुलगकाबाद और आईसीडी पडपडगंज को छोड़कर जो लागत वसूली आधार पर परिचालन नहीं कर रही थी, बकाया की वसूली के लिए अथवा मामलों को नियमित करने के लिए कार्रवाही प्रारंभ की गई थी जहां अभिरक्षकों ने छूट माँगी थी।

5.8.3 सीमाशुल्क अधिकारियों के पदस्थापन में असंगति

कोलकाता सीमाशुल्क कमिश्नरी में सैन्चुरी प्लाई जेजेपी, सीएफएस को 24 फरवरी 2017 तक सीआरसी से छूट दी गई थी। लेखापरीक्षा ने देखा कि सीएफएस ने 2016-17 में 47,748 टीईयू और 16,265 दस्तावेजों का निपटान किया था, तदनुसार 13 सीमाशुल्क अधिकारियों को सीएफएस में तैनात करने की आवश्यकता है। तथापि, 18अधिकारियों को वहां तैनात किया गया था जिसके परिणामस्वरूप सीएफएस में अधिकारियों की अधिक तैनाती हुई। सीएफएस मैसर्स बामर लॉरी एंड क. जिसने 44,614 टीईयू, और 17,014 दस्तावेज का निपटान किया था, में सीमाशुल्क अधिकारियों की संख्या केवल दस थी।

इस संबंध में, व्यय प्रबंधन विंग, महानिदेशक एचआरडी सीबीईसी ने अपने पत्र दिनांक 3 नवम्बर 2015 में अन्य बातों के साथ, निर्देश दिए कि तैनाती प्रतिमानों से अधिक परिनियोजित स्टाफ को कार्य में बाधा उत्पन्न किए बिना हटाया जायेगा। इसलिए, निर्धारित तैनाती प्रतिमानों से अधिक अधिकारियों की तैनाती और जिसके लिए लागत वसूली प्रभारों की भी उगाही नहीं की जा रही, अनुचित हैं और डीजी (एचआरडी) प्रतिमानों के विरूद्ध है।

आईसीडी, कलिंगनगर में सीमाशुल्क कार्य को संभालने के लिए किसी सीमाशुल्क स्टॉफ का आवंटन नहीं किया गया था। जयपुर सड़क सीमा शुल्क डिवीजन का स्टॉफ मरचेंट ओवरटाइम (एमओटी) आधार पर आईसीडी में सीमा शुल्क कार्य को संभालने के लिए तैनात किया गया था। जब आईसीडी में स्टाफ की गैर-तैनाती के कारण क्षेत्राधिकारी सहायक आयुक्त के ध्यान (अगस्त 2017) में लाए गए तब यह उत्तर दिया गया (अगस्त 2017) कि मामला सीमा शुल्क (निवारक), भुवनेश्वर कमिश्नरी को भेज दिया गया था।

आईसीडी सनथ नगर में, मूल्यांकक/अधीक्षक के 4 पद, टीए के 3 पद और हवलदार के 7 पद संस्वीकृत पदों में से रिक्त पड़े थे। समान रूप से आईसीडी थिम्मापुर पर 2016-17 के दौरान टीए के 2 पद, 2 एलडीसी और 4 सिपाही के पद रिक्त थे। दाखिल किए गए बीई और एसबी की अधिक संख्या पर विचार करते हुए, विशेषकर आईसीडी सनथनगर में, स्टाफ की कमी का व्यापार सुविधा और निर्धारणों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) बताया कि कोलकता में क्षेत्राधिकारी कमिश्नर ने कार्य की मात्रा के कारण अधिक स्टाफ के विनियोजन को जारी रखना न्यायसंगत है, जबकि बताया आईसीडी कंलिंग नगर और आईसीडी संथनगर में स्टाफ की कमी रिक्तियों के कारण बतायी गई थी।

डीओआर की प्रतिक्रिया लेखापरीक्षा द्वारा बताए गये श्रमबल के असमान बटवारें के मामले को पुष्ट करती है। स्वीकृत पदों की संख्या को रेशनलाईज करने के लिए स्टाफ विनियोजन नीति की समीक्षा की आवशयकता हो सकती है जो अखिल भारतीय आधार पर कार्य भार को उचित ठहराए।

5.8.4कार्गो की चोरी और उठाईगीरी

अभिरक्षक अपनी अभिरक्षा में आयातित और निर्यात माल की सुरक्षा एवं रक्षा के लिए जिम्मेदार होगा और सीमा शुल्क क्षेत्र में उसके प्रवेश के बाद माल की उठाईगिरी पर शुल्क के भुगतान के लिए भी उत्तरदायी होगा जैसाकि एचसीसीएआर,2009 के विनियम 6 में निर्दिष्ट है।

चार29 कमिश्नरियों के तहत आने वाले 2आईसीडी और 2 सीएफएस में कार्गो की चोरी एवं लापता मामले देखे गए (विवरण 25) जो कि अभिरक्षक की ओर से परिसरों में सुरक्षा की गंभीर कमियों और राजकोष के राजस्व की हानि को दर्शाता है। कुछ दृष्टांत नीचे दर्शाए गए है।

चेन्नई V सीमा शुल्क कमिश्नरी के तहत सेनको ट्रांस लिमिटेड, सीएफएस चेन्नई में मैसर्स विग्नेश ट्रेडर्स द्वारा 76430 किग्रा धातु स्क्रैप का आयात (नवम्बर 2012) किया गया था किंतु आयातक द्वारा निकासी नहीं की गई थी। विभाग ने मामले पर फै सला सुनाया (जनवरी 2015) और माल को पूरी तरह जब्त करने के आदेश दिए। कार्गो की बाद में अप्रैल 2016 में ई-नीलामी की गई। किंतु उच्चतम बोलीदाता ने कार्गो के अधिग्रहण से मना कर दिया क्योंकि 34070 किग्रा धातु स्क्रैप कम पाया गया। तथापि, विभाग द्वारा कार्गो की कमी के लिए जिममेदारी सुनिश्चित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई एवं शेष मात्रा अभी तक निकासी बिना पड़ी है।

सीएफएस की ओर से लापरवाही के कारण मैसर्स स्पीडी मल्टीमोड्स लि. सीएफएस, मुम्बई अपनी अभिरक्षा में भण्डारित छ: कन्टेनरों में से 36.29 एमटी ‘रेड सेन्डर्स’ की व्यवस्थित चोरी/उठाई गीरी का पता लगाने में असफल रहें। एसआईआईबी (X) द्वारा माल को जब्त किया गया था और सीमा शुल्क की सुरक्षित अभिरक्षा के लिए सीएफएस में रखा गया। उक्त मामला नवम्बर/दिसम्बर 2014 के महीने में देखा गया था। 28 अक्तूबर 2016 को सीएफएस से कुल ₹ 12.29 करोड़ की वसूली की गई थी। मैसर्स पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन लि. में भी ‘रेड सेन्डर्स’ की चोरी/उठाईगिरी का समान मामला देखा गया था।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) मुंबई I और II कमिश्नरियों के संबंध में बताया कि संरक्षक उचित प्रक्रिया का पालन करने और विसंगति को दर करने के लिए सचेत किया गया है और मामले में की गई कार्यवाही की सूचना कमिश्नरी को देने के लिए कहा गया है।

लेखापरीक्षा का विचार है कि प्रतीत होता है कि डीओआर द्वारा लेखापरीक्षा में सूचित किये गये चोरी के मामलों में तहकीकात संबंधी कार्रवाई करने के बजाय केवल निर्देश पारित कर के बड़ी सरलता से चोरी और उठाईगिरि के मामले से अपना पल्ला झाड़ लिएा है जो ऐसी चोरियों को संभव बनाने वाली प्रणालीगत कमियों का पता लगाने में सहायता कर सकता था।

5.8.5 आगम पत्रों और लदान बिलों का हस्त्य रूप से भरा जाना

एचसीसीएआर,2009 के विनियम 5 के अनुसार सीसीएसपी द्वारा पूरी की जाने वाली एक शर्त यह है कि अभिरक्षक कस्टम ऑटोमेटिड प्रणाली के साथ सुरक्षित कनेक्टिविटी और सीमाशुल्क समुदाय के साझेदारों के बीच सूचना के विनिमय के लिए अभिरक्षक को हार्डवेयर, नेटवर्किंग और उपस्कर का प्रावधान करेगा।

सीमा शुल्क अधिनिमय 1962 की धारा 46 और 50 के अनुसार आयात दस्तावेजों और निर्यात दस्तावेजों को इलैक्ट्रॉनिकल ढंग से दर्ज करना (ईडीआई प्रणाली द्वारा) अनिवार्य है। दुरुपयोग से बचने के लिए, सीबीईसी ने 4 मई 2011 को निर्देश जारी किए कि आयात/निर्यात माल का मैनुअल प्रसंस्करण एवं निपटान केवल असाधारण मामलों में ही अनुमत होगा और मैनुअल दस्तावेजों का डाटा अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाना चाहिए और निर्धारित समय अवधि में सभी स्थानों द्वारा संचारित किया जाना चाहिए।

सात30 कमिश्नरियों के तहत आने वाले आठआईसीडी और छ:सीएफएस में 2012-13 से 2016-17 की अवधि के दौरान 11535 मैनुअल आगमपत्र (बीई) एवं लदान बिल (एसबी) दर्ज किये गए जो कि बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों के सिद्धांतों के विरूद्ध हैं (विवरण 26)।

सीडब्ल्यूसी पनमबूर सीएफएस में, जिसका प्रचालन 1997 में शुरू हुआ, आईसीईएस कनैक्टीविटी की अनुपस्थिति के कारण सभी बीई को हस्तरूप से भरा गया जबकि आईसीडी वेरना जिसका प्रचालन 2001 में प्रारंभ हुआ था में नेटवर्किंग संबंधित तकनीकी मामलों और बीएसएनएल लीज लाइन के कारण आईसीईएस प्रणाली के गैर-परिचालन के कारण मैनुअल फाईलिंग को अनुमत किया गया था।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) सूचित किया कि आईसीडी तुलगलकाबाद में ज्यादातर लदान की सेज में दर्ज दस्ती शिपिंग बिलों सहित मैनुअल निकासी प्रक्रिया के माध्यम से निकासी की जाती है। चुंकि उक्त शिपिंग बिलों को सेज पर दस्ती दर्ज किया गया है उनकी आईसीईएस के माध्यम से निकासी नहीं की जा सकती क्योंकि ईडीआई तंत्र के माध्यम से दस्ती शिपिंग बिलों की निकासी के लिए आईसीईएस में कोई विकल्प नहीं है। हैदराबाद कमिश्नरी में कमिश्नरी से उचित अनुमति के पश्चात ही दस्ती फाईलिंग को अनुमत किया जा रहा है वो भी केवल तब जब ईडीआई शिपिंग बिल दर्ज करना व्यवहार्य नहीं हो।

5.8.6 निर्धारण एवं जांच के लिए स्थानीय जोखिमों का निर्धारण करने के लिए आईसीडी पर स्थानीय जोखिम प्रबंधन समिति स्थापित न करना।

सीबीईसी परिपत्र सं. 23/2007 सी.शु दिनांक 28 जून 2007 के पैरा 5.1 से 5.3 में प्रावधान है कि एक स्थानीय जोखिम प्रबंधन (एलआरएम) समिति का गठन प्रत्येक सीमाशुल्क गृह में किया जायेगा और कम से कम सीमा शुल्क कमिश्नर के पद के अधिकारी द्वारा चलाया जायेगा। जोखिम सूचकों का पता लगाने के उद्देश्य से मुख्य मदों के आयात में प्रवृतियों की समीक्षा एवं मूल्यांकन के लिए समिति की प्रत्येक माह में एक बार बैठक होगी।

  • निकासी से पूर्व माल का निर्धारण एवं जांच और पीसीए दोनों के लिए स्थानीय स्तर पर हस्तक्षेपों पर निर्णय लेना।
  • पहले से मौजूद व्यवधानों के परिणामों की समीक्षा करना एवं उनके बने रहने, संशोधन या रोकने आदि पर निर्णय लेना।
  • आरएमएस के निष्पादन न की समीक्षा और आरएमएस परिणाम के आधार पर की गई कार्रवाई के परिणामों का मूल्यांकन करना।
  • सीमा शुल्क कमिश्नर के अनुमोदन से, आरएमडी द्वारा यथा निर्धारित, आरएमडी को आवधिक रिपोर्ट भेजना।

‘आईसीईएस 1.5 पर सीएजी की निष्पादन रिपोर्ट’ (2014 की रिपोर्ट स.11) पर पीएसी (16वीं लोक सभा) की 23वी रिपोर्ट (2015-16) के पैरा 38 और 39 में एलआरएम समितियों के कार्यचालन के संबंध में पीएसी को दिए गए उत्तर में सीबीईसी ने बाद में लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह आश्वासन भी दिया था कि‍ सभी 89 ईडीआई स्थानों पर एलआरएम समितियों का गठन किया गया है जहां आरएमएस प्रचालन में था।

38 कार्यरत आईसीडी में से, 12 आईसीडी31 में एलआरएम समिति का गठन नहीं हुआ था एवं अन्य 14 आईसीडी32 में हालांकि एलआरएम समिति का गठन हुआ था और बैठकें हुई थी; परन्तु वह बोर्ड के परिपत्र के अनुसार मासिक आधार पर नहीं थी। शेष 12 आईसीडी ने एलआरएम समिति के गठन के बारे में सूचना प्रस्तुत नहीं की थी। केवल आईसीडी, पीतमपुर (एमपी) में यह देखा गया कि एलआरएम समितियों की बैठक प्रत्येक माह की गई थी (विवरण 27)।

डीओआर अपने उत्तर में (फरवरी 2018) बताया कि सीबीईसी परिपत्र स. 23/2007 सी.शु. के अनुसार ही एलआरएम मासिक बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

5.8.7 सीमाशुल्क निकासी सुगमता समिति का गठन न करना

बोर्ड परिपत्र सं. 44/2016 सीमाशुल्क दिनांक 22 सितम्बर 2016 के अनुसार, सीमाशुल्क निकासी सुगमता समिति (सीसीएफसी) आईसीडी पर क्षेत्राधिकार वाली कमिश्नरी में संस्थापित की जानी थी। सीसीएफसी का नेतृत्व अपने संबंधित क्षेत्राधिकार के लिए कमिश्नर सीमाशुल्क या प्रधान कमिश्नर सीमाशुल्क के द्वारा किया जायेगा। इसकी सदस्यता में विभिन्न विभागों/एजेंसियों/पणधारकों के सबसे वरिष्ठ क्षेत्राधिकारी पदाधिकारी शामिल होंगे जिनकी अनुमति निर्यातित/आयातित माल की निकासी में आवश्यक होती है। सीसीएफसी का एक अधिदेश आयातित एवं निर्यात माल की निकासी प्रक्रिया के संबंध में व्यापार एवं उद्योग के सदस्यों की शिकायतों का समाधान करना है।

विभाग द्वारा दी गई सूचना से केवल चार33 कमिश्नरियों ने बताया कि इनलैंड कन्टेनर डिपो की सुविधा का लाभ उठा रहें आयातकों/निर्यातकों द्वारा सामना की गई कठिनाइयों का ध्यान रखने के लिए सीसीएफएसी का गठन किया गया और चार34 कमिश्नरियों ने समिति का गठन नहीं किया। तथापि 27 कमिश्नरियों के संबंध में सूचना नहीं दी गई थी (विवरण 28)।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) आईसीडी, पड़पड़गंज, नोएडा, नागपुर, मुम्बई I, और हैदराबाद कमिश्नरी के संबंध में बताया कि 2016/2017 से संबंधित कमिश्नरियों में सीसीएफसी को गठित किया गया है और बैठकों का नियमित आयोजन किया जा रहा है।

5.8.8 सीसीएसपी की नियुक्ति के अनुमोदन का नवीनीकरण न करना

एचसीसीएआर, 2009के विनियम 13 के अनुसार, विनियम 10 के तहत नियुक्ति की वैधता के व्यपगत होने से पूर्व सीसीएसपी द्वारा किये गए आवेदन पर सीमाशुल्क आयुक्त विनियम 10 के तहत दिये गए मूल अनुमोदन या ऐसे अनुमोदन के अंतिम नवीनीकरण, जैसा भी मामला हो, के समाप्त होने की तिथि से आगे पांच वर्ष की अवधि के लिए नवीकृत कर सकता है यदि अनुमोदित सीमाशुल्क कार्गो सेवा प्रदाता का निष्पादन अधिनियम और नियमों, विनियमों, अधिसूचनाओं एवं उनके तहत आदेशों के किन्हीं भी प्रावधानों के तहत उसके दायित्वों के संबंध में संतोषजनक पाया जाता है।

एचसीसीएआर 2009 का विनियम 12(8) प्रावधान करता है कि यदि कोई सीसीएसपी इन विनियमों के किसी प्रावधान की अवहेलना करता है या ऐसे खण्डन में सहयोग देता है या विनियम के किसी भी प्रावधान का अनुपालन करने में असफल होता है जिसका इसको अनुपालन करना था, तब वह शास्ति के लिए उत्तरदायी होगा जोकि 50 हजार रूपये तक बढा़ई जा सकती है।

31 मार्च 2017 तक तीन आइसीडी35 और तीन सीएफएस36 प्रचालन जारी रख रहे थे जबकि उक्त विनियम के तहत अभिरक्षक के तौर पर नियुक्ति के अनुमोदन को नवीकृत नहीं किया गया था।

पटपडगंज कमिश्नरी के तहत आईसीडी, पटपड़गंज में, अभिरक्षक के अभिरक्षा की कानूनी वैधता बीत जाने के 15 महीनों के बाद सीमाशुल्क कमिश्नर को अभिरक्षा के नवीनीकरण का आवेदन दिया गया था किंतु यह पता नहीं लगाया जा सका कि क्या अभिरक्षक के नवीनीकरण के लिए कोई अनुमोदन दिया गया था।

मुम्बई सीमाशुल्क कमिश्नरी जोन II में मैसर्स स्पीडी मल्टीमोड्स लिमिटेड (पूर्व में मैसर्स स्पीडी ट्रांसपोर्ट लिमिटैड) को 5 वर्षों की अवधि के लिए अधिसूचना सं. 16/2005 दिनांक 30 अक्तूबर 2005 द्वारा जेएनसीएच के सह-संरक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया था। 31 दिसम्बर 2010 को मूल अभिरक्षा अनुमोदन की समाप्ति के बावजूद, अभिरक्षक ने प्रचालनों को जारी रखा। अभिरक्षक के तौर पर नियुक्ति का नवीनीकरण 5 वर्षों से अधिक बीत जाने के बाद 28 अक्तूबर 2016 को जारी किया गया था।

लेखापरीक्षा द्वारा बताए जाने पर, मै. सीडब्ल्यूसी पनाम्बुर ने पंद्रह वर्षों की समाप्ति के बाद अपने अभिरक्षण को पब्लिक नोटिस संख्या 40/2017 दिनांक 27.11.2017 के द्वारा नवीकरण किया था।

यह अनुमोदनों का विस्तार जारी करने में विभाग की ओर से खराब निगरानी को दर्शाता है और विनियमों के अनुपालन में असफलता के लिए दंड संबंधी उपबंधों का उपयोग नहीं किया जा रहा है।

डीओआर ने अपने उत्तर में (फरवरी 2018) आईसीडी पडपडगंज के सबंध में बताया कि अक्टूबर 2014 से पहले आईसीडी पीपीजी आईसीडी टीकेडी के भाग के रूप में कार्य कर रही थी और अभिरक्षक ने आईसीडी टीकेडी पर 22.03.2011 को अपने बांड निष्पादित किये थे। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई होने के नाते,सीडब्ल्यूसी ने कार्गो हेंडलिंग विनियमन नियमों के अन्तर्गत सभी शर्तों को पूर्ण किया है। अन्तराल अवधि के लिए चूक को नियमित किया गया था। भविष्य में देखभाल की जाएगी कि बांड की उचित निगरानी की गई है। मुंबई I जोन के संबंध में कमिश्नर अन्तिम नवीनीकरण की समाप्ति से पहले आईसीडी मुलंद के लिए सीसीएसपी के रूप में कोनकॉर का नियमित नवीनीकरण कर रहा हैं।

5.8.9पश्च निकासी लेखापरीक्षा (पीसीए) विंग के निष्पादन में कमी

बोर्ड परिपत्र सं. 15/2012 दिनांक 13 जून 2012 के अनुसार स्वनिर्धारण के प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन और व्यापार में इसके लाभों को सुनिश्चित करने के लिए, बोर्ड ने निर्णय लिएा कि आरएमएस के तहत वर्तमान सुगमता स्तर को महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ाना चाहिए। तदनुसार, जोखिम नियमों और जोखिम पैरामीटरों को विवेकपूर्ण करने के द्वारा आईसीडी के मामले में 60 प्रतिशत तक सुगमता स्तर को बढ़ाने का निर्णय लिएा गया था। उसी समय उच्चतर सुगमता के परिणामस्वरूप पश्च निकासी लेखापरीक्षा (पीसीए) पर आगम पत्रों की अधिक संवीक्षा की आवश्यकता हो गई है।

38 कार्यरत आईसीडी में से, 25 आईसीडी में से पीसीए विंग का गठन किया गया है और पांच आईसीडीज37 में मार्च 2017 तक पीसीए विंग का गठन नहीं किया गया था। आठ आईसीडी38 में पीसीए विंग के गठन का विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया था (विवरण 29)। तीन आईसीडी/सीएफएस39 में, 2012-13 से 2014-15 के दौरान 15351 बीईज को पीसीए के लिए चुना गया था जिनमें से 11072 की लेखापरीक्षा की गई थी और शेष 4279 बीईज समय बाधित हो गए जैसा कि विवरण 30 में विवरण दिया गया है।

बोर्ड द्वारा निर्धारित उच्च सुगमता स्तरों को देखते हुए, पीसीए बहुत महत्व रखता है और विभाग द्वारा दिखाई गई कोई भी ढिलाई बोर्ड द्वारा निर्धारित पद्धति की विफलता का कारण होगा।

अपने उत्तर में डीओआर ने (फरवरी 2018) में बताया कि सुविधा स्तर में वृद्धि के साथ, सीबीईसी ने लेखापरीक्षा के अधिक महत्व की आवश्यकता को पहचाना और तदनुसार तीन लेखापरीक्षा कमिश्नरियों को दिल्ली, मुंबई और चैन्ने में इस तरह के कार्य को प्रभावी ढंग से करने के लिए अधिसूचित किया गया है।

5.8.10 आंतरिक लेखापरीक्षा का न किया जाना

44 आईसीडी में से 6 आईसीडी में आंतरिक लेखापरीक्षा क्षेत्राधिकारी कमिश्नरी द्वारा की गई थी और 15 आईसीडी में आंतरिक लेखापरीक्षा नहीं की गई थी। शेष 23 आईसीडी ने की गई आंतरिक लेखापरीक्षा के विवरण प्रस्तुत नहीं किए।

41 लेखापरीक्षित सीएफएस में से, केवल तीन सीएफएस में ही क्षेत्राधिकारी कमिश्नरी द्वारा आंतरिक लेखापरीक्षा की गई थी और दस सीएफएस में आंतरिक लेखापरीक्षा नहीं की गई थी। शेष 28 सीएफएस ने आंतरिक लेखापरीक्षा करने के बारे में सूचना प्रस्तुत नहीं की थी (विवरण 31)।

डीओआर ने अपने उत्तर (फरवरी 2018) में बताया कि सरलता स्तरों में वृद्धि के साथ सीबीईसी ने लेखापरीक्षा के अधिक महत्व की आवश्यकता को पहचाना और तदनुसार में तीन लेखापरीक्षा कमिश्नरी दिल्ली, मुंबई और चेन्नई ऐसे कार्यो को कुशलतापूर्वक करने के लिए अधिसूचित की गई हैं।

निष्कर्ष

सीमाशुल्क की ईडीआई प्रणाली द्वारा कन्टेनरों की ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा केवल एक बेहद आवश्यक व्यापार सुगमता उपाय ही नहीं है बल्कि यह पत्तनों और आईसीडी और सीएफएस के बीच कन्टेनरों के आवागमन की निगरानी के लिए सीमाशुल्क विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण नियामक तंत्र भी है। तथापि लेखापरीक्षा ने आयात वाहनांतरण मॉडयूल में कमियां और निर्यात वाहनांतरण मॉड्यूल के अप्रचालन के दृष्टांत देखे जिसने ऑनलाइन ट्रैकिंग आरम्भ करने का प्रयोजन विफल कर दिया।

इसके अलावा, लेखापरीक्षा ने 7877 कन्टेनरों का एक बड़ा लम्बन देखा जो एक से दस वर्षों तक की अवधियों से लेखापरीक्षा के दौरान नमूना जाँच किये गए आईसीडी और सीएफएस में निकासी के बिना पड़े थे। निकासी न किए गए कार्गो के विश्लेषण से मामलों की अधिकता का पता चला जिसने आयातों और निर्यार्तों के लिए कन्टेनरीकृत कार्गो के प्रबंधन को त्रस्त कर दिया। सीमाशुल्क अधिकारियों और अन्य सरकारी एजेंसियों जैसे प्लांट करन्टाइन, प्रदषूण नियंत्रण, खाद्य सुरक्षा आदि से एनओसी प्राप्त करने में विलम्ब कन्टेनरों की नीलामी/निपटान समस्या का केवल एक सिरा है। लेखापरीक्षा ने पाया कि खतरनाक सामग्री के साथ डम्प किए जा रहे कन्टेनरों के असंख्य दृष्टांतों के कारण समस्या बहुत अधिक बढ़ गई। लेखापरीक्षा द्वारा नमूना जांच से पता चला कि न केवल खतरनाक सामग्री जैसे कि धातु स्क्रैप, म्यूटीलेटिड रबर एवं युद्ध सामग्री पर्यावरणीय विनियमों और सीमाशुल्क पद्धतियों के उल्लंघन में आईसीडी के माध्यम से आयात की गई बल्कि आईसीडी विदेश से म्यूनिसिपल अपशिष्ट की डम्पिंग के लिए एक स्थिर स्थान हो गए हैं। लेखापरीक्षा की संवीक्षा से पता चला कि ऐसे कार्गो के बहुत से आयातक नियमित आयातक हैं।

विनियमों में कमियों के कारण खतरनाक सामग्रियों और म्यूनिसिपल अपशिष्ट की डम्पिंग को सुलझाने के लिए सरकार की प्रतिक्रिया बहुत अधिक बाधित है। लेखापरीक्षा ने देखा कि कुछ आयातकों द्वारा सीमाशुल्क अधिनियम की धारा 23(2) का नियमित रूप से उपयोग कन्टेनरों को छोडने के लिए किया गया था। सीमाशुल्क द्वारा ऐसे आयातकों द्वारा भविष्य में समान माल के आयात से रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई और उसी समय सीमाशुल्क प्राधिकरण पर निकासी न किए गए कन्टेनरों को मढ़ दिया गया। जब तक सख्त अपरिहार्य कारण न हों, तब तक सीमाशुल्क अधिनियम या किसी अन्य विनियमों में आयातकों को कार्गो को छोड़ने से रोकने के लिए कुछ नहीं है।

लेखापरीक्षा ने यह भी देखा कि जहाँ खतरनाक सामग्री के पुनर्निर्यात के लिए विनियम प्रभावी नहीं हैं जिसके परिणामस्वरूप पुनर्निर्यात के आदेशों के अनुसरण में विलम्ब के लिए आयातकों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की जाती,वहीं म्यूनिसिपल अपशिष्ट की डम्पिंग से निपटने के लिए ऐसे कोई विनियम लेखापरीक्षा द्वारा नहीं देखे गए। परिणामस्वरूप म्यूनिसिपल अपशिष्ट वाले कन्टेनर जलाये जाने की प्रतीक्षा में अरक्षित ही पड़े रहे जो कि अपने आप में एक गंभीर पर्यावरणीय खतरा है।

विनियामक संरचना के उल्लंघन के अन्य दृष्टांतो के साथ बहुत से आइसीडी और सीएफएस को केन्द्रीय और राज्य प्रदषूण नियंत्रण बोर्ड से आवश्यक मंजूरी के बिना ही खतरनाक कार्गो का संचालन करते हुए देखा गया। लेखापरीक्षा ने एक कमजोर अनुरक्षण प्रणाली दर्शाने वाले वर्जित एवं बाधित मदों के आयात एवं निर्यात के मामले देखे।

आंतरिक नियंत्रण तंत्र जोकि अनुसरण किए जा रहे ठोस नियामक पद्धतियों में प्रदर्शित होता है, का अभाव पाया गया क्योंकि बॉड, बैंक गारंटी एवं बीमा में कमी के दृष्टांत देखे गए थे। ईडीआई प्रणाली के कार्यान्वयन के बावजूद, लेखापरीक्षा ने देखा कि आगम पत्र और लदान पत्र की दस्ती फाइलिंग आठ आईसीडी और दो सीएफएस में प्रचलित थी। बहुत से आईसीडी पर जोखिम प्रबंधन समीतियों की अनुपस्थिति और सीमाशुल्क निकासी सुगमता समीतियों का गठन न होना कमजोर विनियामक और सुगमता तंत्रों के अन्य सूचक थे। पश्च निकासी लेखापरीक्षा कार्य लेखापरीक्षा द्वारा नमूना जांचित 5 आईसीडी में संस्थापित नहीं किए गए थे। यह सब एक साथ मिलकर लेखापरीक्षा को इस निष्कर्ष पर पहुंचाते है कि आईसीडी और सीएफएस में समग्र अनुपालन परिवेश कमजोर था।

सिफारिशें
  • कन्टेनर आवागमन की निगरानी को मजबूत बनाने के लिए बोर्ड आईसीईएस में लैडिंग प्रमाणपत्र मैसेज डालने द्वारा बांड के रीक्रेडिट को स्वचालित करने के लिए आईसीईएस में उचित संशोधन लाने पर विचार करें। बोर्ड अभिरक्षक की रिपोर्ट पर भरोसा करने के बजाय अनिकासित कार्गो/कन्टेनरों की स्वतंत्र निगरानी के लिए एक रिपोर्टिंग तंत्र का विकास करने पर भी विचार करें।

    डीओआर ने बताया (फरवरी 2018) कि आईसीईएस सॉफ्टवेयर में प्रावधान उपलब्ध है जिसका उपयोगअभिरक्षक इलेक्ट्रॉनिक रूप से आगमन रिपोर्ट प्रस्तुत करने और बांड के रीक्रेडिट को स्वचालित करने के लिए भी कर सकते है। तथापि, समस्याओं को उनके परिचालनों के साथ सूचित किया गया है, उनका सुधार किया जा रहा है। अनिकासित कार्गो/कन्टेनरों की स्वतंत्र निगरानी के लिए अभिरक्षक रिपोर्ट पर भरोसा करने के बजाए एक रिपोटिंग तंत्र के विकास के संबंध में सिफारिशों पर सीबीईसी विषय की जांच करेगा और रिपोर्टिंग और निगरानी तंत्र में सुधार करने के लिए कदम उठायेगा।
  • सीमापार व्यापार के माध्यम से भारत में खतरनाक अपशिष्ट की बडे पैमाने पर डपिगं को रोकने के लिए चूककर्ता आयातकों तथा शिपिगं लाइनों के विरूद्ध खतरनाक सामग्री (प्रबन्धन, प्रहस्तन एवं ट्रांस बाऊन्ड्री आवागमन) नियमावली अथवा किसी अन्य स्थानीय कानून के अंतर्गत आपराधिक कार्यवाही, यदि आवश्यक हो, सहित कठोर दाण्डिक कार्यवाही शुरू करने के लिए सीमाशुल्क अधिनियम/सीमाशुल्क विनियमावली में प्रावधान किया जाए। सीबीइसी इस संबंध में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को तत्संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।

    डीओआर ने बताया (फरवरी 2018) कि सीमा शुल्क अधिनियम 1962 में आयातकों पर दंड लगाने के प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त, अपराध को बढ़ावा देने के मामले में शिपिंग लाइनें भी दंड कार्रवाई के लिए जवाबदेह हैं। आयातकों द्वारा अनुबंधित समय में अपनी लागत पर खतरनाक कार्गो के पुनर्निर्यात के संबंध में सुझावों के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय के साथ परामर्श करना आवश्यक है। चूंकि सीबीईसी सीमाशुल्क क्षेत्र में कार्गों का प्रबंधन विनियमों की समीक्षा करने का इच्छुक है, ऐसे मामलों में वाहक को दण्ड देने सम्बंधी उपरोक्त सिफारिश पर भी विचार किया जाएगा।
  • खतरनाक अस्पष्टता के पुनर्निर्यात की प्रक्रियाओं में किसी भी अस्पष्टता से बचने के लिए बोर्ड पर्यावरण एवं जहाजरानी मंत्रालय जैसे अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ सलाह करके इन प्रक्रियाओं को निर्धारित करें।

    डीओआर ने बताया (फरवरी 2018) कि मंत्रालय ने आपत्ति पर सहमति दी है कि गलत ढंग से आयातित खतरनाक अपशिष्ट संबंधित आयातक द्वारा पुनर्निर्यात किया जाना चाहिए। मंत्रालय नोडल मंत्रालय से परामर्श के बाद आवश्यक कदम उठायेगा।
  • नियमित रूप से कार्गो को स्वेच्छा से छोड़ने के लिए धारा 23 के प्रावधानों का अनुचित लाभ उठाने वाले आयातकों के जोखिम का समाधान करने के लिए, बोर्ड प्रावधान की समीक्षा करें ताकि कार्गों का परित्याग केवल दुर्लभतम मामले में ही अनुमत किया जा सके ।

    डीओआर ने बताया (फरवरी 2018) कि मंत्रालय सिफारिश की जांच करने के लिए अभिप्रेत है और यदि आवश्यक हुआ तो अधिनियम में उपयुक्त संशोधन लाया जाएगा।