निर्यात तथा आयात कार्गो के आवागमन की उचित मॉनीटरिंग का अभाव
सीमाशुल्क ईडीआई प्रणाली (आईसीईएस) में निर्यात ट्रांसशिपमेंट मॉड्यूल (ईटीएम) सीमाशुल्क तथा पोर्ट प्राधिकरणों, आईसीडी तथा शिपमेंट लाइनों के बीच इलेक्ट्रॉनिक मैसेज के विनिमय के माध्यम से कंटेनर आवागमन की इलेक्ट्रॉनिक मॉनीटरिंग की अनुमति देता है। कंटेनर की ट्रांसशिपमेंट में लगे सभी कैरियर (शिपिंग लाइन/आईसीडी/अन्य कैरियर) को आईसीईएस में निर्यात ट्रांसशिपमेंट परमिट के लिए आवेदन के साथ एक बांड/बैंक गारंटी पंजीकृत करना अनिवार्य है जो निर्यात कार्गो के साथ कंटेनर को आईसीडी से गेटवे पोर्ट तक ट्रांसशिप होने की अनुमति देता है। जैसे ही एक्सपोर्ट जनरल मैनिफैस्ट दर्ज किया जाता है अर्थात कार्गो जाने के लिए तैयार होता है तो बांड जिसे प्रारम्भ में डेबिट किया गया था, स्वत: ही क्रेडिट हो जाता है। मैन्यूअल प्रणाली में, आयातित कार्गो के लिए लैंडिग प्रमाणपत्रों तथा निर्यातित कार्गो के लिए हस्तातंरण प्रतियों के मिलान के माध्यम से मॉनीटरिंग की जाती है। कार्गो की मॉनीटरिंग माल तथा कंटेनरों की चोरी, हेराफेरी से बचने में सहायता करती है। लेखापरीक्षा ने पाया कि नोएडा, कानपुर, बोलपुर, चैन्नै पोर्ट एवं कोलकाता पोर्ट कमिश्नरियों के तहत नमूना जांच किए गए आईसीडी में ईटीएम का संचालन नहीं था। नौ कमिश्नरी जहां मॉनीटरिंग की मैन्यूअल प्रणाली का अनुसरण किया जा रहा था, में निर्यात के लिए शिपिंग बिलों की हस्तांतरण प्रतियां निर्यात के 90 दिनों के पश्चात भी प्राप्त नहीं हुई थी।
आयात साइड पर, लेखापरीक्षा ने देखा कि नमूना जांच किए गए आईसीडी तथा सीएफएस में आयात ट्रांसशिपमेंट मॉडयूल (आईटीएम) तकनीकी गड़बड़ के कारण कार्यशील नहीं थे। आईसीईएस के माध्यम से कंटेनरो का उनके वास्तविक गन्तव्य स्थल तक पता लगाना संभव नहीं था।
(पैरा 5.1.1)
अनिकासित कार्गो का लंबन
लेखापरीक्षा द्वारा नमूना जांच किए गए 85 आईसीडी/सीएफएस से संग्रहित किए गए अनिकासित कंटेनरों पर डाटा में यह देखा गया कि 31 मार्च 2017 तक 1.17 लाख वर्ग मीटर के कुल संग्रहण क्षेत्र पर कंटेनर निपटान हेतु लंबित थे। इनमें से 3397 कंटेनर (57 प्रतिशत) 3 वर्षो से अधिक समय से निपटान हेतु लंबित थे। अनिकासित कार्गो के विश्लेषण से पता चला कि लम्बन प्रमुख रूप से सीमाशुल्क द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्रों को जारी करने में विलम्ब, संयंत्र कोरांटीन तथा प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों जैसी भागीदार एजेंसियों से मंजूरी प्रमाणपत्रों में विलम्ब, कार्गो के निपटान के लिए क्रियान्वयन आदेशों में विलम्ब तथा कंटेनरों के पुन: निर्यात में विलम्ब की वजह से था।
अनिकासित कंटेनरों के बीच लेखापरीक्षा ने खतरनाक अपशिष्ट जैसे मेटल स्क्रैप, नगरपालिका अपशिष्ट,पुराने टायर तथा पुरानी युद्ध सामग्री के 469 कंटेनर, खाद्य मद जैसे खराब होने वाले माल के 262 कंटेनर तथा टीक/टीम्बर लॉग के 86 कंटेनर पाए।
(पैरा 5.2)
खतरनाक अपशिष्ट की डम्पिंग
विदेश व्यापार नीति की प्रक्रियाओं की हस्तपुस्तिका 2009-14 मेटल स्क्रैप तथा अपशिष्ट के आयात को विनियमित करती है। पुराने तथा खराब रैग, पीईटी बॉटल तथा अपशिष्ट के आयात को आईटीसी के शेड्यूल Iके तहत आयात नीति के अनुसार विनियमित किया जाता है। हानिकारक अपशिष्ट (प्रबंधन, हैंडलिंग और ट्रांस बाउंड्री आवागमन) नियमावली 2008 मेटल स्क्रैप और पुराने रबर टायरों के आयात को पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा दी गई विशेष अनुमति के और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुमति प्रमाणपत्र के अंतर्गत विनियमित करता है।
नमूना जांच किऐ गए 85 आईसीडी में लेखापरीक्षा ने पाया कि 31 मार्च 2017 तक हानिकारक अपशिष्ट के 469 कंटेनर एक से सत्रह वर्ष की अवधि तक बिना निपटान के पड़े थे। इनमें राजस्थान में तीन आईसीडी में जीवित बम,युद्ध सामग्री स्क्रैप, मुंबई सीमाशुल्क ज़ोन II के अंतर्गत एक सीएफएस में पुराने टायर,धातु स्क्रैप और हानिकारक रसायन के 92 कंटेनर,आईसीडी तुगलकाबाद में हानिकारक कार्गो के 15 कंटेनर और आईसीडी मुरादाबाद में मिश्रित अपशिष्ट के 50 कंटेनर शामिल थे।
कुछ नमूना मामलों के विस्तृत विश्लेषण से लेखापरीक्षा को पता चला कि हानिकारक अपशिष्ट के आयात के लिए कार्य प्रणाली में बिना आवश्यक दस्तावेजों के कार्गों का आयात, हाई सी सेल्स के माध्यम से म्यूनिसिपल अपशिष्ट का आयात और कार्गो की गलत उद्धघोषणा के द्वारा म्यूनिसिपल अपशिष्ट का आयात शामिल है।
इस तथ्य के अतिरिक्त कि ये आयात निर्धारित प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में शिथिलता के कारण संभव हो पाऐ थे, लेखापरीक्षा ने देखा कि हानिकारक अपशिष्ट के साथ कंटेनरों के पुन: आयात के लिए स्पष्ट प्रक्रिया के अभाव के कारण ऐसे कंटेनर बिना निपटान ही पड़े रहे।
(पैरा 5.3)
सीमाशुल्क अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत आयातकों को अनुचित लाभ
सीमाशुल्क अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत एक आयातक घरेलू निकासी के लिए माल का निर्धारण होने अथवा गोदाम में माल के जमा होने से पहले कुछ परिस्थितियों में आयातित माल का स्वामित्त्व त्याग सकता है। नमूना जांच किये गए आईसीडी और सीएफएस के मामलों में लेखापरीक्षा ने पाया कि 31 मार्च, 2017 तक आगम पत्र दर्ज करने के बाद आयातकों द्वारा 838 कंटेनर अपसर्जित कर दिऐ गये। अपसर्जित कार्गों के ऐसे मामलों की संवीक्षा से पता चला कि कुछ आयातक नियमित रूप से कार्गों अपसर्जित कर रहे थे जबकि वे उसी प्रकार की वस्तुओं का आयात कर रहे थे। लेखापरीक्षा को ऐसे कोई रिकॉर्डड कारण नहीं मिले जिसके कारण आयातक उच्च मूल्य की वस्तुओं का ऐच्छिक अपसर्जन करे। आयातित वस्तुओं में पवनचक्की के पुर्जे,स्टील कॉइल, रबर टायर आदि थे।
(पैरा 5.4)
आंतरिक नियंत्रण तथा आंतरिक लेखापरीक्षा
इस विषय के अतंर्गत दस उप-पैराग्राफों में लेखापरीक्षा ने आईसीडी और सीएफएस के नियामक तंत्र में कमजोर आतंरिक नियंत्रण दर्शाने वाले मुद्दों की रिपोर्ट की है। इन मुद्दों में अभिरक्षकों द्वारा बॉन्ड/बैंक गारंटी तथा बीमा कार्यान्वयन में कमी, लागत वसूली प्रभार की कमी, कार्गों की चोरी और उठाईगीरी,आगम पत्र और शिपिंग बिलों की मैनुअल फाईलिंग शामिल है। इसके अतिरिक्त,लेखापरीक्षा ने पाया कि स्थानीय जोखिम प्रबंधन समितियां (एलआरएम), जैसाकि सीबीएसई के 2007 के परिपत्र के अंतर्गत अपेक्षित है, न्यूनतम 12 आईसीडी में जहां से डाटा प्राप्त हुआ था,स्थानीय जोखिम प्रबंधन समितियां स्थापित नहीं की थी। लेखापरीक्षा ने पश्च अनुपालना लेखापरीक्षा (पीसीए) विंग स्थापित न किया जाना, पीसीए लेखापरीक्षा के लिए चयनित दस्तावेजों की लंबित संवीक्षा और आंतरिक लेखापरीक्षा के अभाव जैसी कमियां देखी।
(पैरा 5.8.1 से 5.8.10)